हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश पुलिस के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन मंडी, मध्य रेंज मंडी ने पार्सल के नाम पर ठगी करने के एक आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। आरोपी की पहचान कुलवीर पुत्र भोले राम निवासी गांव भाकावा डाकघर रसूलपुर, तहसील बहैरी, जिला बरेली उत्तर प्रदेश के तौर पर हुई है। आरोपी के खिलाफ अन्य राज्यों में भी इसी तरह के ठगी के मामले दर्ज हैं।
हिमाचल प्रदेश पुलिस के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन मंडी, मध्य रेंज मंडी के एएसपी मनमोहन सिंह ने बताया कि 27 वर्षीय आरोपी कुलवीर ने एक पूर्व सैन्य अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट करके 20 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया था। एएसपी ने बताया कि आरोपी ने पूर्व सैन्य अधिकारी के नाम पर झूठे पार्सल भेजने की कहानी बनाई थी और पार्सल में अवैध सामान, जाली पासपोर्ट तथा नशीली दवाई होने की बात कही थी। आरोपी ने ब्लैकमेल करके ठगी की राशि दो ट्रांजेक्शन के माध्यम से ली थी।
एएसपी ने बताया कि आरोपी ने एक कंपनी भी बना कर रखी है। पुलिस इसकी तलाश 5 महीने से कर रही थी, परंतु वह बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहा था। पुलिस ने आरोपी को टेक्निकल सर्विलांस और सोर्स रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार किया है।
एएसपी मनमोहन सिंह ने एक बार फिर सभी लोगों को साइबर ठगों से सावधान रहने की अपील की है। एएसपी ने आम लोगों से अनुरोध किया है कि वे अनजान नंबर से फोन न उठाएं तथा अगर कोई डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धमकाने का प्रयास करता है तो उससे बिलकुल भी न डरें और तुरंत अपने नजदीकी थाना में इस संबंध में तसदीक करें। पैसे भेजने से पहले एक बार साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या साईबर क्राइम पुलिस थाना मंडी के दूरभाष नंबर 01905-226900 पर या ईमेल आईडी pscyber-cr@hp.gov.in पर संपर्क करें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर अपराध है। इसमें पीड़ित को यह कहा जाता है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी आदि के लिए अधिकारियों द्वारा जांच के दायरे में है। ठग पुलिस अधिकारी या सीबीआई अधिकारी बनकर फोन करते हैं। पीड़ित को विश्वास दिलाया जाता है। फिर पूछताछ का सिलसिला चलता है।
पीड़ित को बताया जाता है कि इस स्कैम में कई बड़े नाम शामिल हैं। इसलिए आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है। आप किसी को इस बारे कुछ नहीं बता सकते हो। इसके बाद कई घंटे तक पूछताछ चलती है और पीड़ित को वीडियो कॉल पर ही रहने को कहा जाता है। फिर पीड़ित को डरा धमका कर बैंक अकाउंट की डिटेल आदि ले ली जाती है और अकाउंट से पैसे निकाले जाते हैं। पैसे ट्रांसफर होने के बाद कम्युनिकेशन बंद हो जाता है।