शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार देर सायं शिमला के पीटरहॉफ में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित प्रधानाचार्य सम्मेलन की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जो विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं की रैंकिंग कर रहा है, इससे शैक्षणिक संस्थाओं का आत्म निरीक्षण तथा अंकेक्षण सुनिश्चित होगा और उन्हें अपनी कमजोरी व सामर्थ्य का भी पता चल पाएगा।
उन्होंने कहा कि जिन शैक्षणिक संस्थाओं की बेहतर रैंकिंग होगी उनके लिए परफार्मेंस बेस्ड ग्रांट की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राजकीय स्नातक महाविद्यालयों और संस्कृत महाविद्यालयों के पुस्तकालयों की ग्रेडिंग भी जारी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ हर क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा कि अब सभी सरकारी विभागों में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) फार्म बदले जाएंगे और एसीआर दर्ज करने के लिए न्यूमेरिकल आधारित प्रणाली अपनाई जाएगी। इसके सफल कार्यान्वयन के दृष्टिगत ऑनलाइन प्रणाली विकसित की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां बढ़ाई जाएगी। शिक्षा विभाग में डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ पावर किया जाएगा, इस प्रयास से सुशासन के साथ-साथ विभिन्न कार्यों की समयबद्धता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य को गरीब एवं जरूरतमंद छात्रों को आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने की वित्तीय शक्तियां भी प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ‘हॉरली बेसिज पीरियड कंसेप्ट’ (प्रति घंटा आधार पीरियड) पर कार्य कर रही है, ताकि अध्यापकों की कमी होने की स्थिति में इस आधार पर सेवाएं ली जा सकें। इसके साथ-साथ नियमित आधार पर अध्यापकों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि संस्कृत महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाएं आरंभ करने पर भी विचार किया जाएगा। जिला मुख्यालय स्थित महाविद्यालयों को और सशक्त किया जाएगा तथा दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित महाविद्यालयों को आवश्यकता के आधार पर हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार सभी विधानसभा क्षेत्रों में एकीकृत खेल परिसर विकसित करेगी।
प्रदेश सरकार उन स्नातक महाविद्यालयों में बीएड पाठ्यक्रम शुरू करेगी, जहां पर्याप्त आधारभूत ढांचा उपलब्ध है। प्रदेश सरकार आगामी वित्त वर्ष से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रही है। सरकार शैक्षणिक संस्थाओं को सुदृढ़ कर रही है क्योंकि गुणात्मक शिक्षा प्रदान किए बिना छात्रों को दी गई डिग्रियों की उपयोगिता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए जुनून के साथ आगे बढ़ रही है। स्वास्थ्य शिक्षा में भी गुणात्मक बदलाव लाए जा रहे हैं और नवीनतम चिकित्सा प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने के लिए भी नवोन्मेषी कदम उठाए गए हैं। इस वर्ष इस क्षेत्र के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिक, प्रारंभिक तथा उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध संसाधनों का सांझा उपयोग सुनिश्चित करने पर बल दे रही है।
समय की मांग के अनुरूप पहली कक्षा से छात्रों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्रदान करने की पहल को साकार किया गया है। इससे विशेष रूप से गांव के बच्चों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि जिला, उपमंडल मुख्यालयों तथा पंचायत स्तर पर आधुनिकतम सुविधाओं से युुक्त पुस्तकालय खोले जाएंगे। प्रथम चरण में 493 पुस्तकालय खोले जाएंगे जिस पर 88 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार छात्रों को गुणात्मक, समावेशी, समता पूर्ण भविष्योन्मुखी और नई तकनीक आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राजीव गांधी राजकीय डे बोर्डिंग स्कूल, डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने प्रधानाचार्यों के साथ संवाद भी किया।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने शिक्षा क्षेत्र को सशक्त करने की प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के यशस्वी नेतृत्व में इस क्षेत्र में अनेक सकारात्मक बदलाव लाए गए हैं। प्रदेश सरकार आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के साथ-साथ रिक्त पदों को भरने पर विशेष अधिमान दे रही है प्रदेश सरकार ने दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग में अध्यापकों के लगभग 15000 पद सृजित किए हैं और इन्हें चरणवद्ध तरीके से भरा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ कि मंत्रिमंडल की एक बैठक में शिक्षा विभाग में शिक्षकों के लगभग 5800 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की गई। प्रदेश सरकार अनेक आधुनिक पाठ्यक्रम शुरू कर रही है। छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिए नए पाठ्यक्रमों का समावेश करना अत्यधिक आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि अब क्षेत्र विशेष के आधार पर भी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं इससे रोजगारपरक शिक्षा के साथ-साथ क्षेत्र की आर्थिक खुशहाली के द्वार भी खुलेंगे। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थान सर्वेक्षण के अनुरूप ही खोले जाने चाहिए। शिक्षा मंत्री ने सभी प्रधानाचार्य से शिक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव देने का आग्रह किया और कहा कि उनके सार्थक सुझावों को कार्यान्वित किया जाएगा।
सचिव, शिक्षा राकेश कंवर ने सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श के सभी पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते समय छात्र हित का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए शिक्षण संस्थान भवनों का डिजाइन क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप करना आवश्यक है। उन्होंने सभी प्रधानाचार्यों से शिक्षण संस्थानों को और बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने को कहा।
निदेशक उच्च शिक्षा अमरजीत शर्मा ने सम्मेलन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षाविद् निशा, कामायनी बिष्ट, अतिरिक्त निदेशक शिक्षा विभाग डॉ. हरीश कुमार, सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के उप-कुलपति प्रो. ललित कुमार अवस्थी, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के उप-कुलपति प्रो. शशि कुमार धीमान ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति दी।
सम्मेलन में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, विधायक अनुराधा राणा, उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक, राज्य उच्च शिक्षा काउंसिल के अध्यक्ष प्रो. सरबजोत सिंह बहल, शिक्षाविद् और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।