शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एचपीपीसीएल (HPPCL) के दिवंगत जीएम विमल नेगी का मामला गूंजा। चर्चा न मिलने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। नारेबाजी करते हुए विपक्ष के सदस्य सदन के बाहर आए। विपक्ष भी मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
बता दें कि हिमाचल विधानसभा की आज की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव लाया। विपक्ष ने एचपीपीसीएल के दिवंगत जीएम विमल नेगी के मामले में चर्चा की मांग की। सत्तापक्ष से संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग पर सवाल उठाया। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने चर्चा को अस्वीकार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अगर कुछ कहना चाहे तो कह सकते हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जब कहने केलिए उठे तो उन्होंने विपक्ष को ही आड़े हाथ ले लिया। इस पर विपक्ष के सदस्य बिफर गए और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर आ गए।
विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हमने नियम 67 के नोटिस दिया था। मांग की थी कि एक ईमानदार अधिकारी की इस तरह मृत्यु पर चर्चा होनी चाहिए। परिवार की सीबीआई जांच की मांग का विपक्ष समर्थन करता है। हम सरकार से जानना चाहते थे कि सरकार मामले की सीबीआई जांच करवाएगी। मुख्यमंत्री इसके लिए आदेश देंगे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि एचपीपीसीएल के दिवंगत जीएम विमल नेगी की मृत्यु पर परिवार और कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। परिजनों की मांग है कि दोनों अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए। जयराम ठाकुर ने भी मामले में दर्ज एफआईआर पर भी सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि एफआईआर में डायरेक्टर इलेक्ट्रिकल देश राज का नाम है। दूसरे अधिकारी का नाम नहीं है। उन्हें पद से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अधिकारी को बचाने की कोशिश कर रही है। हमारी मांग है कि एफआईआर में दूसरे अधिकारी का भी नाम हो। साथ ही मामले की सीबीआई जांच हो।
जयराम ठाकुर ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि सीबीआई जांच क्यों करनी है, सीबीआई तो आपके हाथ में है। इस तरह की बात करना दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि एक ईमानदार अधिकारी की मृत्यु हुई है। हम मामले में चर्चा चाहते थे। इसलिए हमने सदन से वॉकआउट किया।