ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश के पूर्व परिवहन मंत्री वजीर केवल सिंह पठानिया का अट्ठासी साल की आयु में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार वीरवार को बासा वजीरा के मोक्षधाम में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। बेटे राजीव पठानिया ने चिता को मुखाग्नि दी। केवल सिंह पठानिया का जन्म 29 जून 1938 को हुआ था। केवल सिंह पठानिया, शिरोमणि क्रांतिकारी राम सिंह पठानिया के वंशज थे। वह तीन बार विधायक रहे। ज्वालामुखी से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर परिवहन मंत्री बने थे।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुदर्शन शर्मा ने केवल सिंह पठानिया से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया। उन्होंने बताया कि कैसे भूमिहीनों को दान दी भूमि की रजिस्ट्री उन्होंने अपने पैसों से करवाई। सुदर्शन शर्मा ने बताया कि पिछले साल की बात है। पूर्व मंत्री केवल सिंह पठानिया ने कुछ जगह गरीब लोगों को दान की हुई थी।
पर लोगों को मालिकाना हक नहीं मिला था। केवल सिंह पठानिया ने अपनी पेंशन के पैसों से उन परिवारों के नाम जमीन की रजिस्ट्री करवाई। केवल सिंह पठानिया कहते थे कि एक दिन मैं दुनिया छोड़कर चला जाउंगा। अगर इन लोगों के नाम जमीन नहीं होगी तो इन लोगों को आगे जाकर दिक्कत होगी। सुदर्शन शर्मा ने कहा कि ऐसे लोग धरती पर कभी-कभी आते हैं। उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
पूर्व वन मंत्री राकेश पठानिया ने केवल सिंह पठानिया के निधन को बड़ा लॉस करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब वह कॉलेज पढ़ते थे, तो केवल सिंह पठानिया और सत महाजन का चुनाव मशहूर होता था। पूरे हिमाचल से मात्र केवल सिंह पठानिया और सत महाजन के बीच चुनावी जंग की खबर बीबीसी पर आती थी।
क्योंकि उस वक्त सोशल मीडिया आदि कुछ नहीं होता था। उन्होंने कहा कि केवल सिंह पठानिया जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। जब जनता पार्टी बनी तो यह सीएफडी से आए थे। कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी (CFD) के प्रदेशाध्यक्ष थे। इन्होंने चुनाव जनता पार्टी से लड़ा था। 6 लोग चुनाव हारे थे, जिनमें केवल सिंह पठानिया भी थे।
इसके बाद सत महाजन कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। उस वक्त अगर केवल सिंह पठानिया जीतते तो अध्यक्ष पद के दावेदार थे और मुख्यमंत्री के उम्मीदवार भी थे। नूरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष करण सिंह पठानिया ने कहा कि केवल सिंह पठानिया ने लोगों और क्षेत्र की सेवा बिना स्वार्थ से की। ऐसे व्यक्तित्व कभी कभार पैदा होते हैं। उन्होंने केवल सिंह पठानिया को श्रद्धांजलि दी।