राकेश चंदेल/बिलासपुर। एक बड़े स्तर की मॉक एक्टिवेशन ड्रिल, जिसमें 7.5 तीव्रता के भूकंप का परिदृश्य प्रस्तुत किया गया रजनीश शर्मा, द्वितीय कमान अधिकारी की देखरेख में सफलतापूर्वक आयोजित की गई।
इस मॉक ड्रिल का कल्पित केंद्र स्वारघाट (जिला बिलासपुर) के पास निर्धारित किया गया, जिसमें उत्तर भारत के कई हिस्सों जैसे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में तीव्र झटकों का आभास कराया गया।
इस परिदृश्य में भूस्खलन, सुरंग ढहना, भवनों का गिरना और सड़कें अवरुद्ध होना जैसी आपदाओं को सम्मिलित किया गया, जिससे एक जटिल राहत एवं बचाव स्थिति निर्मित हुई।
इस मॉक ड्रिल के अनुसार, स्वारघाट क्षेत्र को सबसे अधिक प्रभावित बताया गया, जहां नेशनल हाईवे पर स्थित एक सुरंग के ढहने से स्थिति और भी गंभीर मानी गई। ड्रिल के तहत 120 से अधिक काल्पनिक हताहत और कई अन्य मलबे में फंसे हुए दर्शाए गए। मौसम और लगातार आ रहे आफ्टरशॉक्स ने राहत कार्यों को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया।
इस परिपेक्ष्य में 14वीं बटालियन NDRF की कुल 12 टीमों ने हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग भागों में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसमें से 06 टीमों ने सवारघाट ने जनरल इलाक़े में भाग लिया। चार टीमें TPL स्लापर से दो टीमें TPL नालागढ़ से पहुंचीं।
इन टीमों का नेतृत्व बलजिंदर सिंह, कमांडेंट 14वीं बटालियन NDRF के नेतृत्व में किया गया। टीमों ने सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन, आपातकालीन राहत सामग्री जैसे भोजन, कंबल व चिकित्सा सहायता के वितरण का प्रदर्शन किया।
इसके अतिरिक्त, TPL स्लॉपर की एक टीम ने शुक्रवार रात स्वारघाट में रात्रि विश्राम (नाइट हॉल्ट) किया ताकि आपातकालीन स्थिति में रात के दौरान प्रतिक्रिया और समन्वय का आकलन किया जा सके।
मौके पर रजनीश शर्मा, द्वितीय कमान अधिकारी एवं नितेश शर्मा उप-सेनानी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने संचालन की निगरानी की और मूल्यवान सुझाव प्रदान किए।
यह मॉक ड्रिल हिमालयी क्षेत्र में संभावित भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए NDRF की तत्परता और समन्वय का प्रभावी मूल्यांकन करने का एक महत्त्वपूर्ण अभ्यास सिद्ध हुआ।