पालमपुर। कांगड़ा जिला के पालमपुर के गांव ननाओं (सुलह) के प्रथम परमार फ्लाइंग ऑफिसर बने हैं। ननाओं में समस्त परमार परिवारों द्वारा फ्लाइंग आफिसर प्रथम परमार का अभिनंदन किया गया।
सर्वप्रथम फ्लाइंग आफिसर अपने परिवार सहित अपने कुल देव अक्षैणा महादेव के दर्शन करने पहुंचे व कुलदेवी सच्चियात व माता शीतला का आशीर्वाद लिया। इसके बाद बैंड बाजों सहित गांव ननाओं पहुंच कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया।
गांव पहुंचने पर दादा सूबेदार राय सिंह, उर्मिला देवी, प्रिंसिपल सर्वजीत सिंह, दादा चाचा भूपिंदर सिंह ने फूल मालाएं पहनाकर प्रथम परमार का स्वागत किया व अपना आशीष दिया। गांव के सामुदायिक भवन में उना भव्य स्वागत किया गया जिसमें समस्त गांव वासियों ने पुष्प वर्षा और फूल मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया।
समारोह में स्थानीय विधायक विपिन परमार, डॉ जनक राज विधायक भरमौर, होशियार सिंह पूर्व विधायक देहरा उनकी धर्मपत्नी पुनिता चंबियाल , कैप्टन संजय पराशर CEO, MARINE IINDIA LTD ने फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया व अपना आशीर्वाद दिया। समारोह स्थल पर गांव प्रधान लवलीन परमार और समस्त पंचायत सदस्य मौजूद रहे।
महाकाली ग्रुप मंडी ने माता की चौकी में में अपने मधुर स्वरों से सबका मन मोह लिया। फ्लाइंग ऑफिसर प्रथम के पिता संजीव परमार भारतीय रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर और माता शिक्षा व्यवसाय में हैं। बड़ी बहन मीनल परमार एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में सीनियर मैनेजर हैं।
इनकी प्राथमिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय रे डि कारखाना कपूरथला व कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल में हुई तदोपरांत इनका चयनभारत के प्रतिष्ठित संस्थान महाराजा रणजीत सिंह AFPI मौहाली में हुआ।
कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के बदौलत इनका चयन NDA खडकवासला में हुआ और वहां तीन साल के कड़े परिक्षण के उपरांत इनको फाइटर पलेन उडाने की ट्रेनिंग हेतु Indian Air Force Academy हैदराबाद भेजा गया और सफल परीक्षण के उपरांत भारतीय वायुसेना में बतौर फ्लाईंग आफिसर नियुक्ति हुई।
फ्लाइंग आफिसर प्रथम परमार देश सेवा में सैन्य सेवाओं में शामिल अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी है। इनके परदादा कैप्टन दयाल सिंह परमार ने दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया था। इनके दादा सूबेदार राय सिंह 1965 और 1972 के भारत पाक युद्ध में व श्री लंका शांति सेना में भाग ले चुके हैं। इनके चाचा कारगिल युद्ध में देश हेतु अग्रिम मोर्चे पर तैनात थे।
प्रथम परमार के घर आगमन पर महामाई की चौकी का भी आयोजन किया गया था। चौकी के उपरांत सभी मेहमानों के लिए भोज का प्रबंध किया गया। गांव में कार्यक्रम को आयोजित करने में पदम परमार, अजय परमार, सूबेदार-मेजर चंद्रभान की सेवाएं अद्वितीय रहीं। कार्यक्रम को सफल बनाने में कपूरथला से विशेष तौर पर पधारे राकेश वशिष्ठ सीनियर सेक्शन इंजीनियर का विशेष योगदान रहा।