दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को मिले सजा
शिमला। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 965 (JOA IT) का पेपर लीक मामले को गंभीर बताते हुए कर्मचारी चयन आयोग की कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि जैसे त्वरित कार्रवाई अभी तक हुई है, उसी प्रकार से भाजपा सरकार में हुई और भर्तियों को भी देखा जाए, जिन-जिन पर आरोप लगे हैं। जो अधिकारी व कर्मचारी दोषी पाए जाते हैं, उन्हें सजा मिले, ताकि प्रदेश के लाखों युवाओं का भरोसा इन संस्थाओं पर कायम रहे।
एनएसयूआई (NSUI) के राज्य महासचिव यासीन बट्ट ने कहा कि आज प्रदेश के सैकड़ों युवा दिन रात मेहनत कर रोजगार प्राप्त करने के लिए अलग अलग संस्थानों, विश्वविद्यालयों व पुस्तकालयों में पढ़ रहे हैं। पिछले पांच साल में कई पेपर लीक हो चुके हैं। NSUI लगातार पूर्व मुख्यमंत्री को अवगत कराता रहा।
राज्यपाल के समक्ष भी पूर्व सरकार के कार्यकाल में हो रही धांधलियों को रखा गया, लेकिन तत्कालीन प्रदेश भाजपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यासीन बट्ट ने खुशी जताई कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने दोषियों को पेपर लीक मामले को अंजाम देने से पहले ही पकड़ लिया।
उन्होंने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल हैं कि सीक्रेट ब्रांच में CCTV कैमरे खराब हैं और पूर्व सरकार ने कोई ध्यान बीते पांच साल में नहीं दिया। इसके पूर्व प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। यह कैसे संभव है कि भाजपा सरकार के समय हुई भर्तियों में एक ही महिला अफसर का बेटा 3-4 बार पूरे प्रदेश में परीक्षाओं में टॉप कर रहा है।
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