महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप सही तरीके से करना जरूरी, वरना नहीं मिलेगा फल
ewn24news choice of himachal 17 Feb,2023 9:01 am
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर होगा
आचार्य संजीव शर्मा ने महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के जाप के बारे में बताया है। इस मंत्र का उच्चारण यदि सही तरीके से ना किया जाए तो नुकसान भी हो सकता है। पहले आपको महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं ...
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त -
इस बार महाशिवरात्रि के दिन 18 फरवरी 2023, शनिवार को ही शनि प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है. प्रदोष व्रत के दिन भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है | भगवान शिव की पूजा करने का विधान निशीत काल में है। इसलिए पूजा को लेकर संशय बना हुआ है। लेकिन हम आपको बता दें कि भद्रा का प्रभाव मांगलिक और शुभ कार्यों पर माना जाता है। मतलब शादी, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कार्यों में भद्रा देखी जाती हैं। लेकिन देवी-देवताओं की पूजा-पाठ इससे कभी प्रभावित नहीं होती है। वहीं महाशिवरात्रि के दिन भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। इसलिए पृथ्वी के कोई संबंध नहीं होगा। इसलिए भोलेनाथ की पूजा भद्रा के समय में भी की जा सकती है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप यदि आप स्वयं करना चाहते हैं तो मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें। दूसरों के बारे में बुरे विचार या कार्य न करें। मन को शांत रखें।
महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न करने से उसके उचित फल प्राप्त नहीं होता है।
यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप नहीं कर सकते हैं, तो किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं।
रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अपने सामने शिवलिंग या शिव जी का तस्वीर रखें।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार करते हैं, जबकि लघु महामृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें। इस दौरान धूप-दीप जलाकर रखना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप व पूजन करने से असाध्य रोग, अकाल मृत्यु, शत्रु से भय, राजदंड, ग्रह दोष, गृह क्लेश, प्रॉपर्टी विवाद शत्रु भय विवाह में देरी आदि में लाभ मिलता है।
इस दिन शिवलिंग के ऊपर षोडशोपचार के द्वारा पूजन बेलपत्र, भांग, आग, धतूरा, गंगाजल, मिश्रित जल अवश्य चढ़ाएं।
महाशिवरात्रि के दिन अन्न, धन, फल, वस्त्र, मिठाई ब्राह्मण को अवश्य दान करें।