चैत्र नवरात्र : चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें बीज मंत्र और आरती
ewn24news choice of himachal 11 Apr,2024 11:25 pm
चैत्र नवरात्र में चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की आदिशक्ति माना जाता है साथ ही माता दुर्गा के इस रूप को सबसे उग्र भी माना गया है।
माता दु्र्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की 8 भुजाएं होती हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है।
मां कूष्मांडा के आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और माला होती है और इनके आठवें हाथ में जप की माला है। मां कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।
देवी कूष्मांडा की साधना और पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी अपने भक्तों को हर संकट और विपदा से निकालकर सुख वैभव प्रदान करती हैं।
साथ ही जो देवी कूष्मांडा की भक्ति करते हैं माता उसके लिए मोक्ष पाने का मार्ग सहज कर देती हैं। माता के भक्तों में तेज और बल का संचार होता है। इन्हें किसी प्रकार का भय नहीं रहता है।
सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर देवी कूष्मांडा का ध्यान करें।
इसके बाद दुर्गा के कूष्मांडा रूप की पूजा करें।
पूजा में मां को लाल रंग के पुष्प, गुड़हल या गुलाब अर्पित करें।
इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य भी माता को चढ़ाएं।
माता के इस स्वरूप का ध्यान स्थान अनाहत चक्र है इसलिए देवी की उपासना में अनाहत चक्र के मिलते रंग जो हल्का नील रंग है उसी रंग के वस्त्रों को धारण करे। इससे माता के स्वरूप में ध्यान लगाना आसान होगा।
मां कूष्मांडा के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।