किन्नौर। तेज हवाओं में उड़ते हैं जो उन परिंदों के पर नहीं हौसले मजबूत होते हैं ... कुछ ऐसे ही मजबूत हौसले हैं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की बेटी छोंजिन अंगमो के। छोंजिन अंगमो ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर नया इतिहास रचा है।
छोंज़िन एंगमो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं दृष्टिहीन महिला बन गई हैं। उन्होंने एवरेस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
महज 8 साल की उम्र में आंखों की रोशनी खोने के बावजूद अंगमो ने कभी हार नहीं मानी और अब वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी (8848 मीटर) पर तिरंगा फहराने वाली देश की पहली दृष्टिहीन महिला बन गई हैं। छोंजिन अंगमो ने पायनियर एवरेस्ट एक्सपीडिशन के तहत यह उपलब्धि हासिल की। इस कठिन मिशन में उनके साथ गाइड डांडू शेरपा और ओम गुरुंग मौजूद थे।
छोंजिन अंगमो हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के एक दूरदराज के गांव की निवासी हैं। हेलेन केलर को आदर्श मानने वाली अंगमो उनके ज्ञान के शब्दों पर गहरा विश्वास करती हैं, "अंधे होने से भी बदतर बात दृष्टि होते हुए भी दृष्टि न होना है।
भारत-तिब्बत सीमा पर सुदूर चांगो गांव में जन्मी अंगमो ने आठ साल की उम्र में अपनी दृष्टि खो दी थी। वर्ष 2006 में पिता अमर चंद और माता सोनम छोमो ने उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल में दाखिल करवाया। बाद में उन्होंने चंडीगढ़ से 12वीं और दिल्ली के मिरांडा हाऊस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। छोंजिन अंगमो वर्तमान में दिल्ली में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के रूप में कार्यरत हैं।
अंगमो ने बताया कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का उनका सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए कई लोगों से सहयोग मांगा, लेकिन किसी ने भी सहयोग नहीं दिया। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से उनका यह सपना साकार हुआ। उन्होंने 2016 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया और सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु का पुरस्कार जीता।
उनके पिता अमर चंद ने कहा कि मेरी बेटी ने मुझे गौरवान्वित किया है और हम सभी उसकी उपलब्धि से बहुत खुश हैं। अंगमो के दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने की खबर से उनके गांव के स्थानीय लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है।
माउंट एवरेस्ट से पहले अंगमो सियाचिन के कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) पर भी चढ़ाई कर चुकी हैं। 2021 में उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर में ‘ऑप्रेशन ब्लू फ्रीडम’ अभियान में हिस्सा लिया था।
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें 2024 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। छोंजिन सिर्फ पर्वतारोहण में ही नहीं, बल्कि खेलों में भी उत्कृष्ट हैं। वह एक राष्ट्रीय स्तर की पैरा-एथलीट हैं और खेलों में कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दृष्टिबाधित पर्वतारोही छोंजिन अंगमो की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है तथा उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किन्नौर जिला के चांगो गांव निवासी छोंजिन अंगमो ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर विजय पताका फहराकर हिमाचल प्रदेश का नाम पूरे देश और पूरी दुनिया में गौरवान्वित किया है।
दृष्टिबाधित छोंजिन अंगमो ने अपार साहस और अटूट संकल्प से दुनिया को दिखा दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। उनकी यह सफलता युवाओं को अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहने की प्रेरणा प्रदान करेगी। छोंजिन अंगमो जी और उनके परिवार को इस अविस्मरणीय सफलता के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।