मंडी। चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा प्राप्त मंडी के बच्चों ने मंगलवार को तीसरे व आखिरी दिन चंडीगढ़ की सैर की। वे चंडीगढ़ अटारी वाघा बॉर्डर से देर रात पहुंचे थे।
उनके रात्रि ठहराव की व्यवस्था होटल डायमंड प्लाजा में की गई थी। बच्चों ने चंडीगढ़ में नेक चंद रॉक गार्डन, सुखना झील, रोज़ गार्डन तथा 17 सेक्टर मार्केट का भ्रमण किया।
वाघा बार्डर में भी वे भारतीय जवानों के जज्बे को देखकर काफी उत्साहित थे और कई बच्चों ने आर्मी ज्वाइन करने की प्रेरणा भी रिट्रीट सेरेमनी देखकर ली।
वाघा बार्डर में बीएसएफ जवानों की परेड, डांस मूव, बहादुरी युक्त करतब, अपने देश के झंडे के प्रति समान और देश की सुरक्षा के लिए उनकी आन-बान-शान देखकर बच्चे बड़े प्रभावित हुए। दोनों देशों की इस रिट्रीट सेरेमनी ने बच्चों को बड़ा रोमांचित किया और देश और राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति नई सीख भी दी।
जिला प्रशासन ने बच्चों यात्रा को सुविधाजनक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एडीसी रोहित राठौर ने बच्चों के लिए वीआईपी पास की व्यवस्था करवा दी थी जिससे भारतीय जवानों और पाकिस्तानी रेंजर्स की इस परेड सेरेमनी को बड़ी नजदीक से देखने का मौका मिला। शाम को बच्चे चंडीगढ़ से मंडी वापिस लौट आए।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी एनआर ठाकुर ने बच्चों को रॉक गार्डन के शिल्पकार नेक चंद के बारे में बताया कि कैसे एक छोटी सी सरकारी नौकरी पर लगे हुए साधारण व्यक्ति ने इतना बड़ा सपना देखा और उसे पूरा किया। रॉक गार्डन के निर्माण में उसे कई वर्ष लगे और काफी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा लेकिन वे अपने मिशन से पीछे नहीं हटे।
बच्चों को बताया गया कि कैसे इस्तेमाल की गई चीजों, कवाड़, टूटे हुए कप प्लेट्स और ऐसा सामान जिसे हम बेकार समझ बैठते हैं नेक चंद ने उसे बड़ी खूबसूरती और अपनी निमार्ण कला से जीवंत कर दिया। आज इस कलाकृति को देखने हजारों लोग रोज चंडीगढ़ पहुंचते है। बच्चे रॉक गार्डन को देखकर हैरान भी थे और रोमांचित भी।