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चैत्र नवरात्र : तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें बीज मंत्र और आरती

ewn24news choice of himachal 01 Apr,2025 3:14 pm


    चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का ये स्वरूप बेहद ही कल्याणकारी माना गया है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी हैं। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं। 

    इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 10 भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित हैं। इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है। 

    इनके घंटे की सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप दर्शक और आराधक के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है। 

    अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। आपको बताते हैं क्या है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और आरती ... 

    मां चंद्रघंटा की पूजा विधि


    मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं।

    अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें।

    केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं।

    मां को सफेद कमल, लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।

    इस तरह देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से साहस के साथ सौम्यता और विनम्रता में वृद्धि होती है।


    मां चंद्रघंटा बीज मंत्र

    "या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।" पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।


    देवी चंद्रघंटा की आरती

    जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।। 

    चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।। 

    क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।। 

    मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।। 

    सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।। 

    हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।। 

    मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।। 

    शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।। 

    कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।। 

    नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।   


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