ऋषि महाजन/नूरपुर। विश्व बैंक की मदद से करोड़ों रुपए खर्च करके चेक डैम तो बना दिया, लेकिन दो साल बाद भी किसानों के खेतों तक पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंची है। मामला कांगड़ा जिला के विधानसभा क्षेत्र नूरपुर की पंचायत भडवार के टीका नगरोटा के गांव सलकोह का है। अब गांव के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि विभाग और जल उपभोक्ता कमेटी की मिलीभगत से यह योजना फेल हुई है।
बता दें कि बागवानी विकास परियोजना के तहत श्रीराम गरेली खड्ड जल उपभोक्ता समूह भडवार-1 योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य 360 किसानों की 200 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई योग्य बनाना था। इसके लिए 476 लाख रुपए की योजना बनी। 13 लाख लीटर पानी संग्रहण की क्षमता तैयार की गई। 6 टैंक बनाए गए। पानी पहुंचाने के लिए जीआई और एचडीपीई पाइप डाले गए। यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि टैंकों में केवल एक बार पानी डाला गया, वह भी शायद टेस्टिंग के लिए। उसके बाद से टैंक खाली पड़े हैं। सलकोह निवासी कर्म सिंह ने बताया कि उन्होंने लाखों की जमीन टैंक बनाने के लिए दी थी। उन्हें उम्मीद थी कि खेतों में पानी मिलेगा, लेकिन अब न जमीन का लाभ मिला, न पानी। कोई अधिकारी या कमेटी का सदस्य मिलने तक नहीं आया।
उपरली वरमोली के उप प्रधान परमजीत ने बताया कि चेक डैम की गुणवत्ता बेहद खराब है। पहली बारिश में ही डैम टूट गया। बाद में क्रेट वर्क कर उसे बचाया गया। पहले दो गांवों को पानी देने की बात कही गई थी। बाद में पाइपें अन्य जगहों पर डाल दी गईं। अब न विभाग मिल रहा है, न कमेटी। गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा है।
किसान सुरजीत ने कहा कि चेक डैम बने चार साल हो गए। करोड़ों खर्च हो गए, लेकिन आज तक एक बूंद पानी नहीं मिला। उन्होंने मांग की कि सरकार जांच कराए कि इस योजना में गड़बड़ी किसकी है। डैम से किसानों को लाभ मिलना चाहिए।
हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह राणा ने बताया कि डैम का निर्माण स्थानीय जल उपभोक्ता कमेटी ने करवाया। विभाग ने केवल निगरानी की। जुलाई 2024 में यह डैम जल उपभोक्ता समूह को सौंप दिया गया। अब पानी छोड़ने और प्रबंधन की जिम्मेदारी कमेटी की है। सारा पैसा भी किसानों की बनाई कमेटी के खाते में आता है। जब उच्च अधिकारी ने कमेटी के प्रधान से बात की तो वह कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके।
जल उपभोक्ता कमेटी के सेक्रेटरी शिव देव ने कहा कि चेक डैम तैयार है। विभाग चाहता है कि सभी किसान 100 रुपए जमा करें, ताकि योजना चलाई जा सके, लेकिन यह पैसा इकट्ठा करना मुश्किल कार्य है। इसलिए डैम को जल शक्ति विभाग को सौंपने पर विचार किया जा रहा है।