संकष्टी चतुर्थी : भगवान गणेश के विकट रूप की पूजा कर पाएं परेशानियों से मुक्ति
ewn24news choice of himachal 08 Apr,2023 8:26 pm
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 9 अप्रैल (रविवार) को है। इस दिन वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान गणेश के विकट रूप की पूजा करने का विधान है इसलिए इसे विकट संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। भविष्य पुराण में भी कहा गया है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन और आरोग्य मिलता है।
भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। वैशाख माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा को अर्घ्य देने से संतान सुख मिलता है। इसके साथ ही शारीरिक परेशानियां भी दूर हो जाती है। मनोकामनाएं पूरी करने और हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ये संकष्टी व्रत किया जाता है। वैशाख माह की इस चतुर्थी पर व्रत और पूजा करने से समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने जलंधर नाम के राक्षस के विनाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया। उससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ, उसका नाम था कामासुर। कामासुर ने शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान पा लिया।
इसके बाद उसने अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए। देवताओं ने भगवान गणेश का ध्यान किया। तब भगवान गणपति ने विकट रूप में अवतार लिया। इस रूप में भगवान मोर पर विराजित होकर अवतरित हुए। उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को हराया।
चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं।
पूजा स्थान पर भगवान गणेश, शिवजी और देवी पार्वती की स्थापना करें।
दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें और पूजा शुरू करें।
जल, पंचामृत, चंदन, अक्षत, फूल, दूर्वा और अन्य सामग्रियों से पूजा करें।
सूर्यास्त के पहले फिर से पूजा करें।
रात में चंद्रमा दर्शन कर के अर्घ्य दें और चंद्रमा की भी पूजा करें।
फल एवं मिठाईयों का नैवेद्य लगाएं और प्रसाद बांट दें।