नहीं कर रहे हैं बंद, सुधारा जाएगा आधारभूत ढांचा
शिमला। हिमाचल में इन दिनों सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी का मामला गरमाया हुआ है। भाजपा सुक्खू सरकार पर यूनिवर्सिटी को बंद करने का आरोप लगा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मामले को लेकर पूर्व भाजपा सरकार को ही लपेटे में ले लिया है।
शिमला में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब भी कोई यूनिवर्सिटी खुलती है तो उसके कुछ नियम और कानून होते हैं।
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विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले जयराम ठाकुर ने सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी खोली और खोली कहां कॉलेज में और उसके साथ कॉलेज को जोड़ दिया। जिस तरह स्कूल खोले, जहां बच्चे नहीं हैं और टीचर नहीं हैं, उसी तरह इन्होंने (पूर्व भाजपा सरकार) यूनिवर्सिटी भी खोल दी।
यूनिवर्सिटी में जितने छात्रों के पेपर होने हैं, उसका प्रबंध नहीं है। बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। यूनिवर्सिटी का कोई ढांचा तो बता दें, कहां उनकी बिल्डिंग बनी है। परीक्षा केंद्र कैसे हों उस दृष्टि से मंडी यूनिवर्सिटी से कॉलेज निकाले गए हैं। यूनिवर्सिटी बंद नहीं कर रहे हैं हम।
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पहले आधारभूत ढांचे में सुधार करेंगे। आधारभूत ढांचे में सुधार के बाद क्या-क्या कोर्स शुरू कर सकते हैं, उसका तय होगा। अभी कॉलेज ही वो यूनिवर्सिटी नहीं है। इसको नाम दे दिया, क्योंकि चुनाव लड़ना था और चुनाव में फायदा उठाना चाहते थे। हमारी सरकार यह देखकर काम नहीं कर रही है कि चुनाव लड़ना है।
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू) मंडी के कार्य क्षेत्र में कटौती करने के मुख्यमंत्री के फैसले को बहुत ही निंदनीय और दुर्भावना युक्त बताया था।
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उन्होंने कहा था कि सरकार एक विश्वविद्यालय और नहीं खोल सकती है, इसलिए पूरे कि सरकार द्वारा खोले गए विश्वविद्यालय को बंद करने की साजिश कर रही है। सुक्खू सरकार एसपीयू मंडी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा एसपीयू के कार्य क्षेत्र से जिला चंबा, कांगड़ा के साथ-साथ आनी और निरमंड के कॉलेजों को बाहर करना मंडी विश्वविद्यालय के साथ उन जिलों की छात्रों के साथ भी धोखा है, जो उसमें पढ़ाई कर रहे थे।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि प्रदेश में शिक्षा सर्व सुलभ हो इसलिए जिला मंडी में सरदार पटेल विश्वविद्यालय की स्थापना की और शिमला से दूर पड़ने वाले जिलों के कॉलेजों को एसपीयू के साथ संबद्ध किया, जिससे छात्रों को शिमला तक दौड़ न लगानी पड़े। प्रशासनिक रूप से भी कार्य क्षेत्र बंट जाने से दोनों विश्वविद्यालयों पर भार कम हो जाएगा। इसका लाभ प्रदेश के छात्रों को मिला।
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कुल्लू, मंडी, चम्बा, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति के छात्रों को शिमला तक का चक्कर नहीं लगाना पड़ता था। एसपीयू की वजह से इन क्षेत्र के छात्रों और उनके परिवारों को बहुत आसानी हो रही थी।
छात्रों और उनके परिजनों को सैकड़ों किलोमीटर का सफर कम करना पड़ता था। इससे समय साथ खर्च में भी कमी आई थी। सरकार के इस दुर्भावनापूर्ण फैसले की वजह से हज़ारों छात्र और उनके परिजनों को भी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
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