Breaking News

  • मंडी ITI में कैंपस इंटरव्यू, 90 युवाओं ने लिया भाग
  • हिमाचल : मुख्यमंत्री सुक्खू ने ईसोमसा के ई-कल्याण पोर्टल का किया शुभारंभ
  • ऊना का पारा 42 डिग्री पहुंचा, अगले तीन दिन बढ़ेगा तापमान
  • ऊना : दो बहनों ने चप्पलों से पीटा मैनेजर, FIR होने पर छेड़छाड़ का जड़ा आरोप
  • घुमारवीं : फौजी, डॉक्टर बनने का देख रहे सपना, MBS Intellectual करेगा पूरा
  • झंडूता : हिमाचल प्रगतिशील लेखक संघ की वर्षगांठ मनाई, कामरेड शमशेर सिंह को किया याद
  • पालमपुर : FNF दक्षिण एशिया का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा टी गार्डन
  • हिमाचल : 14 IAS बदले, 3 डीसी और SDM मंडी और बिलासपुर ट्रांसफर
  • बिलासपुर : डाहड स्कूल में बैग फ्री डे, खो-खो में लक्ष्मीबाई सदन अव्वल
  • सोलन के कंडाघाट में गिरा टिप्पर, बच्चे की गई जान-8 घायल

मकर संक्रांति 2023 : पानी में सिंदूर और तिल मिलाकर दें सूर्य को अर्घ्य

ewn24news choice of himachal 15 Jan,2023 12:47 am

    सूर्य देव जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर भगवान गणेश, शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी और सूर्य की साधना संयुक्त करने का महत्व प्राचीन धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसका कारण ये है कि संसार को चलाने वाली पंच शक्ति की आराधना से ही इस दिन ग्रहों को अपने अनुकूल बनाया जाता है।

    मंडी में छोटी काशी महोत्सव: दिखी संस्कृति की झलक- पारंपरिक व्यंजनों के चटखारे 

    पंचांग की गणना के अनुसार 14 जनवरी, 2023 की रात 8 बजकर 58 मिनट पर सूर्य राशि बदल रहा है। एक वर्ष में सूर्य 12 राशियों में गोचर करता है और जिस राशि में प्रवेश करता है, उसे उसकी संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति 14 जनवरी रात से शुरू होगी और इसका पुण्यकाल स्नान-दान 15 जनवरी को माना जाएगा।

    मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने की परंपरा भी है। देश में अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में लोहिड़ी के नाम से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है, तो दक्षिण भारत के राज्य केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में इस पर्व को पोंगल कहा जाता है। विशेष बात ये है कि तमिल पंचाग का नया साल पोंगल से ही शुरू होता है।
    गणतंत्र दिवस समारोह: हिमाचल में कौन मंत्री कहां करेगा अध्यक्षता, जानिए 

    मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान की परंपरा भी है। मकर संक्रांति के मौके पर बर्तन में पानी, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य उदय होने पर अर्घ्य दें। सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार 'ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नम:' मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें।

    मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो सूर्य पुत्र शनि देव भी उनका तिल से पूजन करते हैं। मकर संक्रांति पूजा-पाठ के दिन श्री नारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ पूरे मनोयोग और विधि-विधान से करना फलदायी होता है। भगवान सूर्य की पूजा के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, वस्त्र आदि किसी सुपात्र को दान करें। इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग भी लगाएं।

Himachal Latest

Live video

Jobs/Career

Trending News

  • Crime

  • Accident

  • Politics

  • Education

  • Exam

  • Weather