Breaking News

  • भुंतर एयरपोर्ट पर एनसीसी के माइक्रोलाइट विमान की पहली ट्रायल लैंडिंग सफल
  • नादौन में 70 पदों के लिए इंटरव्यू, 10वीं फेल भी ले सकते भाग, कितना मिलेगा वेतन-जानें
  • राजकीय प्राथमिक पाठशाला मिहाड़ा में बच्चों ने मनाई दीपावली
  • HPPSC : पुलिस कांस्टेबल पुरुष एवं महिला भर्ती का अंतिम परिणाम घोषित-यहां देखें
  • मेडिकल कॉलेज चंबा में ट्रॉमा, सीपीआर दिवस और रोड सेफ्टी सप्ताह-पोस्टर बनाकर किया जागरुक
  • पझौता के धनेश्वर में मकान बनाने के लिए खोद दी आधी सड़क, अब डंगा लगाने में आनाकानी
  • जिला स्तरीय म्यूजिक एंड कल्चरल टूर्नामेंट में शिवा गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल झंडूता का दबदबा
  • RNT पब्लिक हाई स्कूल रैंखा में दिवाली के उपलक्ष्य में करवाई विभिन्न प्रतियोगिताएं
  • हमीरपुर : मुख्य बाजार में 20 अक्तूबर तक बंद रहेगी वाहनों की आवाजाही
  • दुबई में नौकरी का सुनहरा मौका : बढ़िया सैलरी, कांगड़ा में 21 को इंटरव्यू

शारदीय नवरात्र : पांचवे दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि, बीज मंत्र व आरती

ewn24 news choice of himachal 26 Sep,2025 8:59 am


    शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप यानी मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। 

    सिंह पर सवार स्कन्दमाता देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। 

    सच्चे मन से पूजा करने पर स्कंदमाता सभी भक्तों की इच्छाओं को पूरी करती हैं और कष्टों को दूर करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए माता की आराधना करना उत्तम माना गया है। 

    माता रानी की पूजा के समय लाल कपड़े में सुहाग का सामान, लाल फूल, पीले चावल और एक नारियल को बांधकर माता की गोद भर दें। ऐसा करने से जल्द ही घर में किलकारियां गूंजने लगती हैं। स्कंदमाता मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं और इनकी पूजा करने से ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। माता का यह स्वरूप ममता की मूर्ति, प्रेम और वात्सल्य का साक्षात प्रतीक हैं। 

    मां स्कंदमाता पूजन विधि


    प्रात: काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    इसके बाद मां का पूजन आरंभ करें एवं मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
    मां के श्रृंगार के लिए शुभ रंगों का इस्तेमाल करना श्रेष्ठ माना गया है।
    स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए।
    पूजा में कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल आदि से पूजा करें।
    चंदन लगाएं, माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
    इसके बाद फूल चढ़ाएं व भोग लगाएं।
    मां की आरती उतारें तथा इस मंत्र का जाप करें।
    मां स्कंदमाता के मंत्र

    सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। 
    या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    मां स्कंदमाता का प्रिय रंग और भोग भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। आरती के बाद 5 कन्याओं को केले का प्रसाद बांटें। मान्यता है इससे देवी स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती है और संतान पर आने वाले सभी संकटों का नाश करती है। 

    मां स्कंदमाता की आरती 


    जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आता। 
    सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी। 
    जय तेरी हो स्कंदमाता तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं। 
    कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा। 
    जय तेरी हो स्कंदमाता कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो में तेरा बसेरा। 
    हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। 
    जय तेरी हो स्कंदमाता भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो। 
    इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे। 
    जय तेरी हो स्कंदमाता दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाएं। 
    दास को सदा बचाने आईं, चमन की आस पुराने आई। 
    जय तेरी हो स्कंदमाता 

    मां स्कंदमाता स्तोत्र 


    नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्। समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्॥ 
    शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्। ललाटरत्‍‌नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्॥ 
    महेन्द्रकश्यपाíचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्। सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्॥ 
    मुमुक्षुभिíवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्। नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।। 
    सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्। सुधामककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्॥ 
    शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्। तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्॥ 
    सहस्त्रसूर्यराजिकांधनज्जयोग्रकारिकाम्। सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमज्जुलाम्॥ 
    प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्। स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्॥ 
    इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्। पुन:पुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराíचताम॥ 
    जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्॥


Himachal Latest

Live video

Jobs/Career

Trending News

  • Crime

  • Accident

  • Politics

  • Education

  • Exam

  • Weather