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पौष पूर्णिमा : भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा के साथ करें पवित्र स्नान

इस दिन कए पुण्य कर्मों से कम होगा ग्रह दोषों का असर

साल 2023 की पहली पौष मास की पूर्णिमा है। इसके बाद 7 जनवरी से नया महीना माघ शुरू होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार और पौष पूर्णिमा के योग में भगवान विष्णु, महालक्ष्मी के साथ ही सूर्यदेव, चंद्र देव और शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से धर्म लाभ के साथ ही कुंडली के ग्रह दोषों का असर कम हो सकता है। इस दिन कई संत तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाते हैं, साथ ही अन्य लोग भी नदियों में डूबकी लगाते हैं।

पौष पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य, तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करने की परंपरा है। पूर्णिमा पर किए गए इन पुण्य कर्मों से धर्म लाभ, स्वास्थ्य लाभ के साथ ही कुंडली के ग्रह दोषों का असर भी कम हो सकता है।

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पौष माह की पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। इसके बाद पूरे दिन व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। फिर किसी तीर्थ पर जाकर नदी की पूजा करनी चाहिए। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर पर स्नान करने का महत्व बताया गया है। नदी पूजा और स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है।

पौष माह की पूर्णिमा पर आप कर सकते हैं ये पुण्य काम –

 

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें।
  • घर के मंदिर में बाल गोपाल का अभिषेक करें। माखन मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
  • इस दिन किसी पौराणिक महत्व वाले तीर्थ की यात्रा करें। किसी नदी में स्नान करें। स्नान के बाद नदी के जल से ही सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
  • पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही दान भी जरूर करना चाहिए। अभी ठंड के दिन हैं तो जरूरतमंद लोगों को ऊनी कपड़ों का, जूते-चप्पल, अनाज का दान करें।
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करना चाहिए। पूजन सामग्री जैसे, कुमकुम, चावल, घी, तेल, कर्पूर, अबीर, गुलाल, हार-फूल, मिठाई आदि।
  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक एक साथ करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को अर्पित करें। इत्र चढ़ाएं। वस्त्र और फूलों से श्रृंगार करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
  • पूर्णिमा पर चंद्र देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शाम को चंद्रोदय के बाद चांदी के लोटे से चंद्र को दूध से अर्घ्य अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें।
  • हनुमान के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आपके पास पर्याप्त समय हो तो सुंदरकांड का पाठ करें।
  • पूर्णिमा पर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। गाय को हरी घास और कुत्ते को रोटी खिलाएं। किसी गौशाला में धन का दान करें।
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