विश्वविद्यालय में बड़े स्तर पर भर्तियों में फर्जीवाड़े का आरोप
शिमला। एसएफआई एचपीयू इकाई ने आज विश्वविद्यालय परिसर में भर्तियों में धांधलियों की जांच कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य सचिव अमित ठाकुर व राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने कहा कि एसएफआई (SFI)ने विश्वविद्यालय में भर्तियों में हुए फर्जीवाड़े को लेकर सितंबर 2022 में 13,000 पन्नों की सूचना आरटीआई (RTI) के माध्यम से हासिल की। इससे यह उजागर हुआ है कि विश्वविद्यालय में भर्ती हुए शिक्षकों में से 70 फीसदी के करीब लोगों को अयोग्य होने के बावजूद भी नियुक्ति मिली है। विश्वविद्यालय में बड़े स्तर पर भर्तियों में फर्जीवाड़ा किया गया है।
क्रिकेटर ऋषभ पंत हेल्थ बुलेटिन-माथे पर दो कट, घुटने में लगी चोट
उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्ष में तत्कालीन भाजपा सरकार के द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में यूजीसी की गाइडलाइन व विश्वविद्यालय अधिनियम को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों को फर्जी तरीके से भर्ती किया है। प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग आठ लाख युवा बेरोजगार हैं, जो रोजगार पाने की योग्यता भी रखते हैं, लेकिन पिछली भाजपा सरकार इन नौजवानों को रोजगार देने के बजाय अपने भगवाकरण के एजेंडे के साथ भर्तियों में फर्जीवाड़ा करके अपने चहेतों को भर्ती करने में लगी हुई थी।
एसएफआई (SFI) का मानना है कि विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका तत्कालीन वाइस चांसलर सिकंदर कुमार की रही है, जो खुद वीसी बनने की योग्यता पूरी नहीं करते थे। उन्होंने भाजपा और आरएसएस की कठपुतली बनते हुए यहां फर्जी तरीके से अपने बेटे को पीएचडी में एडमिशन भी करवाई।
सुक्खू सरकार का फरमान, गोपनीयता का ख्याल रखें सचिवालय कर्मी
कॉमरेड कुलदीप ने बताया कि आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि अधिकतर भर्ती हुए लोगों की पीएचडी डिग्री वैध नहीं है। भर्ती किए हुए लोगों ने फर्जी अनुभव के दस्तावेज दिए हैं, जिसकी जांच की जानी चाहिए। बहुत से रिसर्च पेपर ऐसे सामने आए हैं जो किसी भी जर्नल में पब्लिश नहीं हुए हैं। साथ ही साथ कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पहले सात साल तक तो कोई भी रिसर्च पेपर पब्लिश न किया और जब भर्ती का समय आया तो अचानक एक ही टॉपिक पर एक ही जर्नल में पांच रिसर्च पेपर पब्लिश हुए जो सवालों के घेरे में हैं।
इसके अलावा मेरिट को भी इसमें दरकिनार किया गया है। एपीआई ( API) में 96 नंबर वाले को साइड करके 70 नंबर वाले को नियुक्ति दी गई है। आरक्षण के लिए इस भर्ती प्रक्रिया में 200 प्वाइंट वाला रोस्टर लगाया गया है, जिसमें सीट्स को एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट में फर्जी तरीके से शिफ्ट किया गया है। कुल मिलाकर 70 फीसदी लोगों के फर्जी भर्ती के सबूत प्राप्त हुए हैं।
एसएफआई द्वारा इस शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े का पूरे प्रदेश में अलग अलग संस्थानों में विरोध किया जा रहा है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की जा रही है। अगर जल्द से जल्द मामले की न्यायिक जांच नहीं की गई तो एसएफआई पूरे प्रदेश के तमाम छात्र समुदाय को एकजुट करते हुए बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेगी, जिसके परिणाम की सारी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।