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वामपंथी उग्रवाद की उखड़ी जड़ें, मोदी सरकार की नीति आई काम - शाह कस रहे नकेल

ewn24news choice of himachal 12 May,2024 2:42 pm

    वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मौतों में भी 75 फीसदी की कमी

    नई दिल्ली। मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) को जड़ से उखाड़ने के लिए कारगर साबित हो रही है। 2013 में जहां 76 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे, वहीं 2023 तक इसमें 41 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। अब वामपंथी उग्रवाद 45 जिलों तक सिमट के रह गया है। मौजूदा समय में इसमें निरंतर कमी आ रही है। नक्सली घटनाओं में 64 फीसदी की कमी आई है।

    2013 में 1,136 नक्सली घटनाएं हुई थीं, वहीं 2022 में सिर्फ 413 घटनाएं हुई। 2022 में, 2013 के मुकाबले वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मौतों में भी 75 फीसदी की कमी हुई है। यह 397 से घटकर 98 तक रह गई।

    दक्षिण एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, इन घटनाओं से आम नागरिकों की मौतों में 63 फीसदी की कमी आई है। यह  2013 में 164 से घटकर 2023 में 61 रह गई हैं।  यही नहीं, 2014 के बाद 5 हजार से ज्यादा वामपंथी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
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    अगर हम एनडीए (NDA) और यूपीए के कार्यकाल में आंकड़ों की तुलना करें तो UPA के कार्यकाल के 2005 से 2013 के बीच 15 हजार 055 वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 6,108 मौतें हुई। वहीं, एनडीए  के कार्यकाल में 2014 से 2022 के बीच 7,344 वामपंथी उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में 1,951 मौतें हुई हैं।

    भारत के लिए क्यों चुनौती रहा वामपंथी उग्रवाद

    पहले हम बात करें हैं कि भारत के लिए वामपंथी उग्रवाद क्यों चुनौती रहा है। वर्षों से वामपंथी विचारधारा से प्रभावित समूह, गरीबी से जूझ रहे लोगों के असंतोष का इस्तेमाल कर उनके अंदर उग्रवाद का बीज बो रहे थे।  स्थानीय समर्थन से सशक्त होने के कारण ये समूह अक्सर सुरक्षा संस्थान के कामों में अड़चन पैदा किया करते थे। कुछ वर्ष पहले इनका विद्रोह अपने चरम पर था। इसके कारण 16 हजार से ज्यादा सुरक्षा बल और आम नागरिक अपनी जान गवा चुके थे और नक्सल प्रभावित क्षेत्र का विकास रुक सा गया था।
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    ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की  दूरदृष्टि, नीति निर्माण और दृढ़ निश्चय से संभव हो पाया है। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कई दशकों से भारत के लिए एक गंभीर चुनौती रहे वामपंथी उग्रवाद पर तगड़ी चोट के लिए गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने एक तीन स्तरीय नीति तैयार की है। वामपंथी उग्रवाद पर ट्रिपल अटैक हो रहा है।

    गृह मंत्रालय की तीन स्तरीय नीति

    वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने के लिए गृह मंत्रालय की तीन स्तरीय नीति की बात करें तो इसमें सबसे पहले विकास से जनभागीदारी शामिल है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी को सुधारने के लिए, 13,823 टावर की स्वीकृति दी गई है। संचार को गति देने के लिए पहले चरण में 4080 करोड़ की लागत से 2,343 मोबाइल टावर लगाए गए हैं। दूसरे चरण में 2210 करोड़ की लागत से 2,542 मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं।

    वहीं, केंद्र सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी को  सुधारने के लिए एक योजना को मंजूरी दी। 1342 सड़कें और 701 पुल के लिए लगभग 12,021 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ मंजूरी दी गई है। मई 2014 के बाद से 10,475 किलोमीटर सड़कें और 243 पुल बनाए गए हैं।
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    वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 90 जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 4903 नए डाकघर खोले गए।  उग्रवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित 30 जिलों में 1258 नई बैंक शाखाएं और 1348 एटीएम स्थापित किए गए।  प्रभावित जिलों में 46 आईटीआई (ITI) और 49 कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं।

    वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के जनजाति ब्लॉक में गुणवत्ता शिक्षा के लिए 245 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय को मंजूरी दी गई है, जिसमें 130 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खोले जा चुके हैं। वामपंथी उग्रवाद से गंभीर से रूप प्रभावित 11 जिले में कोई भी  केंद्रीय विद्यालय नहीं थे। मोदी सरकार ने इन जिलों के लिए 11 नए केवीएस की स्वीकृति दी है, जिसमें 9 केंद्रीय विद्यालय (KVS) खोले गए हैं और शेष 2 केवीएस के लिए कार्य चल रहा है। 6 नवोदय विद्यालय की स्वीकृति दी गई है। इन सभी को  खोल दिया गया है।
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    चरमपंथियों पर नियंत्रण

    गृह मंत्रालय की तीन स्तरीय नीति में दूसरी चरमपंथियों पर नियंत्रण है। इसका उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से निपटने और इसके प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षा बलों की क्षमताओं में वृद्धि करना है। सुरक्षा बलों के मनोबल बढ़ाने के लिए गृह मंत्री प्रभावित क्षेत्रों का समय-समय पर दौरा करते रहते हैं।

    नक्सल प्रभावित राज्यों में 2019 से लेकर अब तक 195 नए कैंप स्थापित किए गए, 250 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए और 10 नए ज्वाइंट टास्क फोर्स कैंप भी खोले गए।  नक्सलियों की फंडिंग पर लगाम लगाते हुए ईडी (ED) द्वारा 10.64 करोड़ और एनआईए (NIA) द्वारा 37 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई।
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    इनोवेटिव तकनीकी तरीकों के माध्यम से उग्रवादियों को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसमें मोबाइल लोकेशन और सोशल मीडिया ट्रैसिंग शामिल है। सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (SRE) योजना के तहत 2014-15 से 2022-23 तक सुरक्षा बलों के परिचालन आवश्यकताओं के खर्च के लिए 2,606 करोड़ रुपये रिलीज किए गए हैं।

     
    केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय

    तीसरी नीति केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय है। पिछले 9 वर्ष में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर तालमेल की वजह से प्रभावित क्षेत्र में कई विकासात्मक कदम उठाए गए हैं। केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित राज्यों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए फंड उपलब्ध किया जा रहा है।




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