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जमींदोज हो जाएगा शिमला ब्रिटिश कालीन थिएटर “रिवोली सिनेमा हॉल”

1930 में बद्री प्रसाद सेठ ने की थी शुरुआत

शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला में ब्रिटिश कालीन रिवोली सिनेमा हॉल का भवन अब टूटने जा रहा है। यह भवन पूरी तरह से असुरक्षित हो चुका है और इसका एक हिस्सा भी टूट चुका है। वहीं अब नगर निगम में इसे तोड़ने की अनुमति दे दी है और अब भवन जमींदोज किया जा रहा है। शिमला वासियों के लिए ये थियेटर अब याद बनकर रह जाएगा।

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रिवोली सिनेमा हॉल का भवन अंग्रेजों के समय का बना हुआ है और यहां पर 1925 में मुर्गी खाना हुआ करता था, लेकिन 1930 में दिल्ली के एक व्यापारी बद्री प्रसाद ने इसे खरीदा और यहां पर थिएटर की शुरुआत की।

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उस समय ज्यादातर अंग्रेजी फिल्में दिखाई जाती थी, लेकिन आजादी के बाद यहां हिंदी फिल्में दिखाई जाने लगी और यहां पर फिल्में देखने वालों की भीड़ उमड़ी रहती थी। शिमला का ये एक मात्र थियेटर था, लेकिन 2010 को भवन में दरारें आनी शुरू हुई और नगर निगम ने इस भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया जिसके बाद ये थियेटर को हमेशा के लिए बन्द कर दिया गया।

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अब ये ऐतिहासिक इमारत तो गिर ही जाएगी लेकिन उसके साथ ही इसके मलबे में दफन हो जाएगा थिएटर का वो सुनहरा इतिहास जहां सिंगल स्क्रीन पर ना जाने कितनी ही फिल्मों के शौकीन लोगों ने अपने दोस्तों परिवार और अपने चाहने वालों के साथ देखी होंगी। आज भी यह थिएटर लोगों की यादों में जिंदा है।

 

रिवोली के आसपास कारोबार करने वाले लोगों का कहना है कि वे यहां पर दशकों से कारोबार कर रहे हैं और दिन के समय अपना कारोबार करने के बाद शाम को यहां पर फिल्म देखने जाया करते थे शिमला का ये पहला थिएटर था और यहां पर काफी चहल-पहल रहती थी यहां 75 पैसे टिकट हुआ करती थी, लेकिन इसे अनसेफ घोषित कर दिया गया था और बंद कर दिया गया है और अब इसकी भवन को भी तोड़ा जा रहा है कारोबारियों का कहना है कि यहां पर फिर से थियेटर खोला जाना चाहिए।

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1925 में चलता था मुर्गी खाना

ब्रिटिश काल में इस भवन में साल 1925 में यहां मुर्गी खाना हुआ करता था हालांकि ये जमीन नाहन के राजा की थी जिसे 1930 में दिल्ली के एक व्यापारी बद्री प्रसाद सेठ ने खरीदा और यहां थिएटर की शुरुआत की। सिंगल स्क्रीन वाले इस थिएटर में भारी-भरकम मशीन की मदद से फिल्म दिखाई जाती थी।

 

लोग भी काफी तादाद में यहां फिल्में देखने आते थे। शिमला के मशहूर शाही थिएटर के मालिक साहिल शर्मा ने कहा कि यह शिमला शहर की काफी पुरानी इमारत थी 1925 में यहां पर पहले मुर्गी खाना हुआ करता था और उसके बाद यहां पर दिल्ली के एक व्यापारी ने इसे खरीदा और यहां पर थिएटर भी शुरू किया और कई दशकों तक यहां पर फिल्में दिखाई गई लेकिन 2010 में अनसेफ घोषित किया गया और अब तोड़ा जा रहा है।

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