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हिमाचल : वोटिंग में अव्वल पर चुनाव लड़ने में फिसड्डी नारी शक्ति, क्या कहते हैं आंकड़े पढ़ें

अभी तक 19 महिलाएं ही लांघ पाईं विधानसभा की दहलीज

शिमला-हिमाचल में नारी शक्ति वोट डालने के मामले में तो अव्वल हैं पर चुनाव लड़ने के मामले में फिसड्डी साबित हुई हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1967 (सड़सठ) से 2017 तक 19 महिलाएं ही विधानसभा की दहलीज लांघ पाईं हैं। इसमें कांग्रेस और भाजपा से 9-9 महिलाएं हैं और एक जनता पार्टी से संबंधित रही हैं।

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कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स सबसे अधिक सात, आशा कुमारी 6, विप्लव ठाकुर और चंद्रेश कुमारी तीन-तीन, कृष्णा मोहनी दो, सरला शर्मा, पदमा, लता, अनिता वर्मा एक-एक बार जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। भाजपा नेत्री सरवीण चौधरी ने चार, उर्मिल ठाकुर ने दो, सुषमा शर्मा, लीला, विनोद कुमारी, रेणू चड्डा, कमलेश कुमारी, रीता देवी और रीना कश्यप ने एक-एक बार जीत विधानसभा की चौखट पार की है। जनता पार्टी से श्यामा शर्मा तीन बार विधायक रही हैं।

कांग्रेस नेत्री विद्या स्टोक्स ने ठियोग, आशा कुमारी ने डलहौजी (पहले बनीखेत), विप्लव ठाकुर ने जसवां (पहले देहरा), चंद्रेश कुमारी ने बमसन, थुरल, धर्मशाला, श्यामा शर्मा ने नाहन, कृष्णा मोहनी ने सोलन, सरला शर्मा ने कुठलैहड़, पदमा ने भटियात व अनिता वर्मा ने हमीरपुर से चुनाव जीता है।

भाजपा नेत्री सरवीण चौधरी शाहपुर, उर्मिल ठाकुर हमीरपुर, सुषमा शर्मा चिंतपूर्णी, लीला गोपालपुर, विनोद कुमारी दून, रेणू चड्डा बनीखेत (अब डलहौजी), कमलेश कुमारी भोरंज, रीता देवी इंदौरा और रीना कश्यप पच्छाद से विधानसभा पहुंची हैं। श्यामा शर्मा ने नाहन से चुनाव लड़ा था। हालांकि, 1967 से 2017 तक करीब 118 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया है। इसमें 19 ही जीत सकी हैं।

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1967 के चुनाव में दो महिलाएं चुनावी मैदानी में उतरी और दोनों की जीत नहीं सकीं। 1972 में सात महिलाओं में से 4 जीतीं और 1 की जमानत जब्त हुई। 1977  में 9 में से 1 महिला विधानसभा पहुंची और 2 की जमानत जब्त हुई। 1982 में 9 में से 3 महिलाओं ने विधानसभा की दहलीज लांघी है व 4 की जमानत जब्त हुई है।

1985 में 10 में से तीन महिलाएं जीतीं और 4 की जमानत जब्त हुई। 1990 में 18 महिलाओं में से चार जीतीं और 11 की जमानत जब्त हुई। 1993 में 15 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव में भाग्य अजमाया पर 3 ही जीत पाईं थी और 6 की जमानत जब्त हुई थी। 1998 में 26 महिलाओं में से 6 ने जीत दर्ज की थी और 15 की जमानत जब्त हुई थी।  2003 में 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और चार ने जीत दर्ज की और 16 की जमानत जब्त हुई।

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2007 में 25 महिलाओं में से 5 ने विधानसभा की दहलीज लांघी और 14 की जमानत जब्त हुई थी। 2012 में 34 महिलाओं में से 3 जीतीं और 22 की जमानत जब्त हुई थी। 2017 में 19 महिलाएं चुनावी रण में कूदी थीं और 4 ने जीत दर्ज की थी व 11 की जमानत हुई थी। अब तक कांग्रेस, भाजपा और जनता पार्टी से ही महिलाएं जीत कर सकी हैं। किसी आजाद या अन्य दल की महिला ने जीत दर्ज नहीं की है।

बता दें कि 1967 से 1993 तक विधानसभा चुनाव में मतदान के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे थे। पर 1998 से 2017 विधानसभा चुनाव तक महिलाओं ने बाजी मारी है। 2017 में  महिला वोट प्रतिशतता ने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। 77.92 फीसदी महिलाओं ने मत का प्रयोग किया था। 1998 से बेशक महिला वोट प्रतिशतता पुरुषों से अधिक हो गई पर महिलाओं के जीतने का ग्राफ पहले जैसे ही रहा है।

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