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हिमाचल में टोमैटो फ्लू के दो संदिग्ध मरीज, आइसोलेट- पुणे भेजे सैंपल

सैंपल आने तक दोनों रहेंगे आइसोलेट

सोलन। हिमाचल के सोलन जिला में टोमैटो फ्लू के दो संदिग्ध मरीज आए हैं। दोनों एक निजी स्कूल के छात्र हैं। दोनों छात्रों के सैंपल लेकर उन्हें आइसोलेट कर दिया गया है। सैंपल जांच के लिए पुणे लैब भेजे हैं। पुणे लैब में जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि छात्र टोमैटो फ्लू से पीड़ित हैं कि नहीं। जब तक सैंपल की रिपोर्ट नहीं आ जाती दोनों छात्र आइसोलेट रहेंगे। लोग टोमैटो फ्लू से डरे या घबराएं नहीं, बल्कि एहतियात बरतें।

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बता दें कि हिमाचल स्वास्थ्य विभाग ने टोमैटो फ्लू पर एडवाइजरी जारी की है। इसके अंतर्गत टोमैटो फ्लू की विस्तृत जानकारी दी गई है।  टोमैटो फ्लू एक वायरल बीमारी है। बच्चों में देखे गए प्राथमिक लक्षण अन्य वायरल संक्रमणों के समान है, जिसमें बुखार, चकत्ते और जोड़ों में दर्द शामिल हैं।

अन्य वायरल संक्रमणों की तरह इस रोग में थकान, मतली, उल्टी, दस्त, बुखार, निर्जलीकरण, जोड़ों की सूजन, शरीर में दर्द और आम इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बुखार शुरू होने के एक या दो दिनों बाद छोटे लाल धब्बे दिखाई देते हैं, जो छाले और फिर अल्सर में बदल जाते हैं।

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यद्यपि हिमाचल प्रदेश में अभी तक इस रोग का कोई भी मामला नहीं है। दो संदिग्ध मरीज हैं। मरीज टोमैटो फ्लू से पीड़ित हैं या नहीं रिपोर्ट के बाद पता चलेगा। फिर भी हमें सतर्क व जागरूक होना आवश्यक है।

टोमैटो फ्लू एक स्व-सीमित संक्रामक रोग है, क्योंकि इसके लक्षण कुछ दिन के बाद खत्म हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह रोग तथाकथित हाथ-पैर-मुंह की बीमारी का एक नैदानिक रूप है जो स्कूल जाने वाले बच्चों में सामान्यता पाया जाता है। शिशुओं और छोटे बच्चों को भी नैपिज़, अशुद्ध सतहों को छूने और चीजों को सीधे मुंह में डालना से इस संक्रमण का खतरा होता है।

यह बीमारी मुख्य रूप से 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है, लेकिन यह वयस्कों में भी हो सकता है। अभी तक इस रोग की कोई विशिष्ट दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। विभागीय प्रवक्ता ने बताया कि रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय उचित स्वच्छता है। आस-पास की ज़रूरी वस्तुओं और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ संक्रमित बच्चे के खिलौने, कपड़े, भोजन व अन्य सामान को गैर-संक्रमित बच्चों से साझा करने से रोकना चाहिए।

कुछ आवश्यक निवारक उपाय हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए जैसे संक्रमित व्यक्ति के तत्काल संपर्क में आने से बचें, अपने बच्चों को इस रोग के लक्षणों और इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताएं, अपने बच्चे से कहें कि बुखार या दाने के लक्षण वाले बच्चों को गले न लगाएं और न ही उन्हें छुएं।

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इसके अतिरिक्त बच्चों को स्वच्छता बनाए रखने और अंगूठा या उंगली चूसने की आदत रोकने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। नाक बहने या खांसने की स्थिति में बच्चे को रूमाल का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि छाले को खरोंचें या रगड़ें नहीं और हर बार जब आप इन छालों को छूते हैं तो हाथों को साबुन से धो लें।

बच्चों को खूब पानी, दूध या रस, जो कुछ भी वे पसंद करते हैं पीने के लिए प्रेरित करके उसे हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करनी चाहिए। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर, संतुलित आहार लें। उपचार को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त आराम और नींद लेना आवश्यक है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि भयभीत न होएं, भ्रामक अफवाहों से बचें, सतर्क-सजग, जागरूक रह कर इस रोग के लक्षण दिखने पर नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।

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