नौ बार विधायक और पांच बार सांसद रहे दिवंगत वीरभद्र
शिमला। हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है। इस बार विधानसभा सत्र दिवंगत वीरभद्र सिंह के बिना होगा। निधन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विधानसभा से लगभग 38 साल का रिश्ता टूट गया है। वीरभद्र सिंह ने वर्ष 1983 में पहला विधानसभा चुनाव जुब्बल-कोटखाई से लड़ा था और जीत दर्ज की थी। वर्ष 2009 से 2012 तक का टाइम निकाल दिया जाए तो वीरभद्र सिंह 1983 से 2021 तक विधानसभा में ही रहे। कभी मुख्यमंत्री, कभी नेता प्रतिपक्ष तो कभी विधायक के रूप में सदन में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।
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- वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
- एक बार फिर 1972 में पांचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।
- दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए।
- 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
- वीरभद्र सिंह सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
- अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल-कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
- 1990, 1993, 1998 , 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
- वीरभद्र सिंह 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। फिर दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक मुख्यमंत्री रहे।
- वीरभद्र एक बार फिर 6 मार्च, 2003 से 29 दिसंबर, 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे।
- वीरभद्र मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता रहे। 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्यमंत्री बने।
- 2009 में उन्होंने मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता। मई 2009 से जनवरी 2011 तक इस्पात मंत्री और 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया ।
- 26 अगस्त, 2012 को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
- वीरभद्र आठ बार विधायक, छ: बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।