आज दूसरा नवरात्र है और आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं और इनकी पूजा का क्या महत्व है आपको विस्तार से बताते हैं। शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का विशेष स्वरूप माना गया है। नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान करती हैं।
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नवरात्र के द्वितीय दिवस पर विधि पूर्वक पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी सभी मनाकोमनाओं को पूर्ण कर जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करती हैं। पौराणिक कथाओं में मां ब्रह्मचारिणी को महत्वपूर्ण देवी के रूप में माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ तपस्या और चारिणी यानि आचरण से है। मां ब्रह्मचारिणी को तप का आचरण करने वाली देवी माना गया है।
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मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है। धार्मिक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। जीवन की सफलता में आत्मविश्वास का अहम योगदान माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति संकट आने पर घबराता नहीं है।
पूजा की विधि
- प्रात: उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर विराजें
- मां दुर्गा के इस स्वरूप मां ब्रह्माचिरणी की पूजा करेंउन्हें अक्षत, फूल, रोली, चंदन आदि अर्पित करें
- मां को दूध, दही, घृत, मधु और शक्कर से स्नान कराएं
मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी, लौंग भी चढ़ाएं - इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें
- हवनकुंड में हवन करें साथ ही मंत्र का जाप करते रहें (मंत्र- ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम:)
- इसके उपरांत स्थापित कलश, नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए
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