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हिमाचल : दराट से हमला करने की दोषी को एक साल का कठोर कारावास April 22, 2024
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बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने पूछा था सवाल
शिमला। हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार नियमित करने की कोई नीति बनाने नहीं जा रही है। ऐसा कोई विचार सरकार का नहीं है। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल के सवाल के जवाब में दी।
बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में 2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी विभागों व उपकर्मों में लगभग 19,916 कर्मी आउटसोर्स आधार पर तैनात है। हिमाचल वित्तीय नियम 2009 के अंतर्गत सरकारी विभागों में आउटसोर्स के माध्यम से सेवाएं लेने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने बजट में इनका 750 रुपये बढ़ाया है। ESI व यात्रा भत्ते का प्रावधान करने पर भी सरकार विचार कर रही है। कोशिश यही होगी कि आउटसोर्स कर्मियों को निकाला न जाए।
किसानों ने सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की उठाई मांग
शिमला। हिमाचल प्रदेश की 80 प्रतिशत की आबादी गांव में बसती है और कृषि व बागवानी से जुड़ी हुई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार 17 मार्च को अपना पहला बजट पेश करने जा रही है। जिसको लेकर हिमाचल के किसानों व बागवानों को काफी उम्मीदें बंधी है।
बागवानों की मुख्य मांग बागवानी संबंधी उपकरणों की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने और प्रदेश में सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की है। बता दें कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों द्वारा अपने उत्पादों स्वयं दामों के निर्धारित करने का चुनावी वादा किया है। ऐसे में सुक्खू सरकार क्या पहले बजट में इस दिशा में करती है ये देखने वाला होगा। अभी तक किसानों के उत्पाद के दाम खरीददार और आढ़ती ही तय करते हैं। औने-पौने दाम में फल सब्जियां और अन्य उत्पाद खरीद कइ गुणा दाम पर बेचते हैं।
वहीं, शिमला के लोगों को भी शहर के लोगों को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। लोगों का कहना है कि महंगाई चरम पर है सरकार को बजट में राहत देनी चाहिए। स्टेट की ओर से लगाया जाने वाला टैक्स व अन्य कर में राहत दी जानी चाहिए। लोगों का ये भी कहना है कि बिजली की दरों को बढ़ाने के बजाए सरकार को 300 यूनिट बिजली देनी चाहिए।
बागवानों का कहना है कि उन्होंने काफी समय तक अपनी मांगों को लेकर संघर्ष किया। उन्हें उम्मीद है कि बजट में कीटनाशक दवाइयों व पर मिलने वाली सब्सिडी बढ़ाई जाएगी। बागवानों की आय से अधिक लागत आ रही है सरकार को बागवानों की मांगों को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए।
डिप्टी सीएम बोले-हर साल लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की आय
शिमला। हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक 2023 को पारित कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का रास्ता साफ हो गया है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को हिमाचल विधानसभा के सदन में हिमाचल प्रदेश जलविद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक 2023 सदन में पेश किया था, जिसको आज पास कर दिया गया।
हालांकि विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि सेस लगाने से बिजली के दाम तो नहीं बढ़ जाएंगे। क्योंकि यहां पर उद्योग लगाने वाले बिजली के लालच में आते थे, अब बिजली महंगी होने से उनका झुकाव कम हो जाएगा। सरकार को मामले को कैबिनेट में लाने व अध्यादेश जारी करने की क्या जरूरत थी।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि इस अध्यादेश पर रात दो बजे हस्ताक्षर करने की क्या जरूरत थी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि प्रदेश में राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार इस तरह के जरूरी कदम उठा रही है। कांग्रेस सरकार व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए आई है। सरकार दिन रात मेहनत कर रही है। फिर रात को अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से क्या फर्क पड़ता है। सरकार की नियत साफ है।
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने विधेयक पर कहा कि जलविद्युत उत्पादन पर उपकर लगने से हिमाचल को हर साल लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल में इस समय 172 पनबिजली परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं में 10,991 मेगावाट बिजली हर साल पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आय के साधन बहुत सीमित हैं। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में नए संसाधन जुटाना बहुत जरूरी हो गया है।
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उन्होंने कहा कि यह कानून उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में लगाए गए जल उपकर का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लाया गया है। इन दोनों ही राज्यों में कई लोग जल उपकर के खिलाफ अदालतों में गए, लेकिन अदालतों ने फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया है। इसी के साथ विधेयक को ध्वनि मत पारित कर दिया गया।
सदन में आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट रखेंगे मुख्यमंत्री सुक्खू
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही आज प्रश्नकाल से शुरू होगी। आज भी सदन में गतिरोध बने रहने के आसार हैं। इस दौरान विभिन्न मसलों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक देखने को मिल सकती है। यह भी संभव है कि आज भी विपक्ष किसी अन्य मसले पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव लाकर सत्ता पक्ष को बैकफुट पर धकेलने का प्रयास कर सकता है। सेशन के पहले दोनों दिनों के दौरान भी विपक्ष ने यही रुख अपनाया है।
इसके बाद मुख्यमंत्री सुक्खू सदन में आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट रखेंगे। इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल सदन में कैग (भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक) की रिपोर्ट को टेबल करेंगे। यह रिपोर्ट सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर आधारित होगी। सदन में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पावर प्रोजेक्ट पर सेस लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। इस पर चर्चा के बाद विधेयक को पास किया जाएगा।
आज प्राइवेट मेंबर डे है। इसमें 4 सदस्यों के संकल्प चर्चा के लिए सदन में रखे जाएंगे। पहला संकल्प घुमारवीं के कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी द्वारा लाया गया है। इसमें उन्होंने बिना FCA FRA के बनी सड़कें और भवन को एकमुश्त रेगुलर करने के पॉलिसी बनाने के लिए संकल्प लाया है।
दूसरा संकल्प भाजपा MLA विपिन सिंह परमार का है। परमार पावर प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ाने और लाभांश एग्रीमेंट की अनुपालना नहीं होने से स्टेट को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचने के लिए नीति बनाने की मांग करेंगे। तीसरा संकल्प पांवटा साहिब के BJP विधायक सुखराम चौधरी का है। इसमें वह बेसहारा पशुओं से फसलों को हो रहे नुकसान बारे सदन में नीति बनाने की मांग करेंगे।
चौथा संकल्प भाजपा के झंडुता से विधायक जेआर कटवाल का है, इसमें वह भारतीय प्रजातंत्र व कल्याणकारी राज्य में निहित चिन्हित संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा को सुदृढ़ को करने तथा विषमताओं के निवारण के लिए नीति बनाने की मांग सदन में रखेंगे।
हंसराज बोले कांग्रेस में राजघरानों से निकली सत्ता
शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन आज सदन में संस्थान डिनोटिफाई करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। चंबा जिला के चुराह विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हंस राज ने चर्चा में भाग लिया। उन्होंने चुराह में डिनोटिफाई संस्थानों को दोबारा शुरू करने, विधायक विकास निधि बहाल करने की मांग उठाई और कहा कि वह चुराह की जनता के लिए आमरण अनशन पर बैठने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
चर्चा में भाग लेते डॉ. हंस राज ने कहा कि जब सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता संभाली तो व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया। जब सुखविंदर सुक्खू सीएम बने तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हें हुई। क्योंकि कांग्रेस में सत्ता राजघरानों से निकल ड्राइवर के बेटे के हाथ में आई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सभी विधानसभा क्षेत्रों से न्याय करेंगे। सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र नादौन को ही नहीं देखेंगे।
उन्होंने कहा कि चंबा जिला में बिजली दो डिवीजन हैं। लोगों को बिजली संबंधित कार्यों के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है। उनके विधानसभा क्षेत्र की चार पंचायतों में बिजली के ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं। हंसराज ने बर्फबारी में मार्ग बंद होने पर तुरंत जेसीबी भेजने के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह का आभार व्यक्त किया। हंसराज ने मांग की कि चंबा जिला को विशेष संरक्षण दिया जाए।
संस्थान डिनोटिफाई को लेकर फिर तपा सदन
शिमला । हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया। प्रश्नकाल शुरू होने से पहले विपक्ष ने संस्थानों को बंद करने के निर्णय का विरोध किया। इसके साथ ही विपक्ष ने हिमाचल प्रदेश में संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगी। जिसके बाद सदन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थगन प्रस्ताव को गैर जरूरी बताकर विपक्ष पर निशाना साधा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष सदन में तथ्य पेश करने के बजाए सिर्फ भाषण बाजी कर रहा है। चर्चा करनी थी तो सदन में यह भी बताते कि इन संस्थानों के लिए कितने बजट का प्रावधान किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष हर रोज काम रोको प्रस्ताव लेकर आ रहा हैं। संस्थानों के डिनोटिफाई करने को लेकर विपक्ष द्वारा चर्चा मांगी जा रही है लेकिन वह तथ्यों के साथ चर्चा नहीं कर पा रहे हैं।
विपिन परमार के सवाल के जवाब में दी जानकारी
शिमला। हिमाचल में एचआरटीसी (HRTC) के 31 डिपो और 10 सब डिपो हैं। इनमें कुल 3,142 बसें हैं। सरकार द्वारा डीजल बसों की इलेक्ट्रिक बसों में बदलने बारे विचार किया जा रहा है। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सुलह के विधायक विपिन परमार के सवाल के जवाब में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने दी है।
सवाल के जवाब में बताया गया कि सरकार द्वारा 10 जनवरी 2022 को एक नई योजना हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिक पॉलिसी 2022 जारी की गई है। यदि इस योजना में कोई कमी महसूस की जाती है तो सरकार द्वारा इसमें संशोधन या नई इलेक्ट्रिक पॉलिसी बनाने पर विचार किया जाएगा।
चार्जिंग प्वाइंट की रुपरेखा इस बात पर निर्भर करेगी कि कितनी बसों को एक समय में चार्जिंग प्वाइंट पर चार्ज करना है। एक चार्ज्ड इलेक्ट्रिक बस द्वारा तय किलोमीटर बस में उपलब्ध बैटरी की क्षमता पर निर्भर करती है। वर्तमान में बाजार में 150 Kwh से लेकर 250 Kwh तक की बैटरियों वाली बसें उपलब्ध है जोकि लगभग 150 किलोमीटर से लेकर 250 किलोमीटर तक चल सकती है।
पहले ही दिन सदन में हुआ खूब हंगामा
शिमला । हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के पहले ही दिन सदन में खूब हंगामा हुआ। भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाकर इस पर चर्चा की मांग की।
विपक्ष ने कहा कि विधायकों को विधायक विकास निधि की अंतिम किश्त से वंचित किया गया है। बजटीय प्रावधान के बावजूद बजट नहीं दिया गया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह मामला सरकार के पास विचाराधीन है। इस पर फैसला जल्द लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियम 67 में आज सुबह ही प्रस्ताव मिले हैं। चर्चा न होने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर आ गए।
बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि विधायक विकास निधि से गांव में छोटे-छोटे काम किए जाते हैं। यह इन कामों को करने के लिए उपयोगी फंड है। इनको बंद करना सही नहीं है। 3 किश्त पहले जारी हो चुकी है, चौथी किश्त क्यों रोकी है? हमारे 9 सदस्यों ने इस पर चर्चा का नोटिस दिया है। इस पर सदन में चर्चा जरूर होनी भी चाहिए।
रणधीर शर्मा ने कहा कि जनता विधायकों से बजट मांग रही है। विधायक कहां से पैसा देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तो सेंटर द्वारा दिया गया डिजास्टर फंड भी रोक दिया है। यह जन विरोधी और विकास विरोधी सरकार है। विधायक विकास निधि के महत्व को समझते हुए इस पर चर्चा की इजाजत दी जाए, ताकि जनता को सच्चाई पता लग सके।
हिमाचल के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली दफा ऐसा हुआ है, जब नियम 67 का इस्तेमाल जनता के अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि सदस्यों के अधिकारों के लिए किया गया है। जयराम सरकार प्रदेश पर 75 हजार कर्जा छोड़ गई है। अकेले जयराम सरकार ने 27 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ा है और 11 हजार कर्मचारियों को एरियर नहीं दिया गया। यह कर्मचारियों से घोर अन्याय है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के 9 सदस्यों ने विधायक विकास निधि रोकने पर चर्चा को नोटिस दिया है। हिमाचल में सब जगह बंद-बंद किया जा रहा है। सरकार को 3 महीने हो गए हैं, कुछ तो खोलो। विकास के लिए जो बजट का प्रावधान किया गया है, उसे दिया जाए।