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विष्णु जी को किसने दिया सुदर्शन चक्र, पढ़िए भोलेनाथ से जुड़ी ये रोचक कथा

भोलेनाथ और श्री हरि विष्णु से जुड़ी अनेक कथाएं हमारे धार्मिक ग्रंथों में पढ़ने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा हम आज आपको बताने जा रहे हैं। ये कथा जुड़ी है भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से। जीहां वही सुदर्शन चक्र जिससे चक्रधर यानी श्री हरि विष्णु ने कई पापियों का नाश किया।

कहा जाता है कि ये चक्र अमोघ (जिसका निशाना अचूक हो) है और जिस पर भी इसका प्रहार होता है, ये उसका अंत करके ही लौटता है। इसी सुदर्शन चक्र से विष्णु जी ने भोलेनाथ पर भी वार किया था। इसके पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है। क्या है ये कथा पढ़ें विस्तार से ….

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वामन पुराण में कहा गया है कि श्रीदामा नामक एक असुर हुआ करता था। उसने सभी देवताओं को हरा दिया और फिर अहंकार में आकर भगवान विष्णु के श्रीवत्स को छीनने की योजना बनाई। इससे भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और श्रीदामा को दंडित करने के लिए भगवान शिव की तपस्या में करने लगे।

भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने भगवान विष्णु को एक चक्र प्रदान किया जिसका नाम सुदर्शन चक्र था। भगवान शिव ने कहा कि यह अमोघ है, इसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता। भगवान विष्णु ने कहा कि ,’ये अमोघ है तो इसे परखने के लिए मैं सबसे पहले इसका प्रहार आप पर ही करना चाहता हूं’।

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भगवान शिव ने कहा अगर आप यह चाहते हैं तो प्रहार करके देख लीजिए। सुदर्शन चक्र के प्रहार से भगवान शिव के तीन खंड हो गए। इसके बाद भगवान विष्णु को अपने किए पर प्रायश्चित होने लगा और शिव की आराधना करने लगे।

भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि सुदर्शन चक्र के प्रहार से मेरा प्राकृत विकार ही कटा है। मैं और मेरे स्वभाव को क्षति नहीं पहुंची है। इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीदामा से युद्ध किया और सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। सुदर्शन चक्र इसके बाद हमेशा के लिए भगवान विष्णु का हिस्सा बन गया।

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भगवान विष्णु ने जब श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था तब भी उनके पास यह चक्र था। इसी चक्र से इन्होंने जरासंध को पराजित किया था, शिशुपाल का वध भी इसी चक्र से किया गया था।

श्री कृष्ण अवतार में यह चक्र भगवान श्री कृष्ण को परशुराम जी से प्राप्त हुआ था क्योंकि राम अवतार में परशुराम जी को भगवान राम ने चक्र सौंप दिया था और कृष्ण अवतार में वापस करने के लिए कहा था।

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महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप सही तरीके से करना जरूरी, वरना नहीं मिलेगा फल

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर होगा

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आचार्य संजीव शर्मा ने महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के जाप के बारे में बताया है। इस मंत्र का उच्चारण यदि सही तरीके से ना किया जाए तो नुकसान भी हो सकता है। पहले आपको महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं …

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त –

इस बार महाशिवरात्रि के दिन 18 फरवरी 2023, शनिवार को ही शनि प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है. प्रदोष व्रत के दिन भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है | भगवान शिव की पूजा करने का विधान निशीत काल में है। इसलिए पूजा को लेकर संशय बना हुआ है। लेकिन हम आपको बता दें कि भद्रा का प्रभाव मांगलिक और शुभ कार्यों पर माना जाता है। मतलब शादी, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कार्यों में भद्रा देखी जाती हैं। लेकिन देवी-देवताओं की पूजा-पाठ इससे कभी प्रभावित नहीं होती है। वहीं महाशिवरात्रि के दिन भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। इसलिए पृथ्वी के कोई संबंध नहीं होगा। इसलिए भोलेनाथ की पूजा भद्रा के समय में भी की जा सकती है।

महाशिवरात्रि पर ऐसे भोलेनाथ को प्रसन्न, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
महाशिवरात्रि चार पहर की पूजा का समय
  • निशिता काल का समय – 18 फरवरी, रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक प्रथम पहर पूजा समय – 18 फरवरी, शाम 06 बजकर 40 मिनट से रात 09 बजकर 46 मिनट तक
  • द्वितीय पहर पूजा समय – रात 09 बजकर 46 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
  • तृतीय पहर पूजा समय – 19 फरवरी, रात 12 बजकर 52 मिनट से 03 बजकर 59 मिनट तक चतुर्थ पहर पूजा समय -19 फरवरी, 03 बजकर 59 मिनट से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक
  • व्रत पारण का समय- 19 फरवरी 2023, सुबह 06 बजकर 10 मिनट से दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक
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महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महामृत्युंजय मंत्र की जाप विधि –

महामृत्युंजय मंत्र का जाप यदि आप स्वयं करना चाहते हैं तो मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें। दूसरों के बारे में बुरे विचार या कार्य न करें। मन को शांत रखें।

महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न करने से उसके उचित फल प्राप्त नहीं होता है।

यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप नहीं कर सकते हैं, तो किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं।

रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अपने सामने शिवलिंग या शिव जी का तस्वीर रखें।

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार करते हैं, जबकि लघु महामृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार होता है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें। इस दौरान धूप-दीप जलाकर रखना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप व पूजन करने से असाध्य रोग, अकाल मृत्यु, शत्रु से भय, राजदंड, ग्रह दोष, गृह क्लेश, प्रॉपर्टी विवाद शत्रु भय विवाह में देरी आदि में लाभ मिलता है।

इस दिन शिवलिंग के ऊपर षोडशोपचार के द्वारा पूजन बेलपत्र, भांग, आग, धतूरा, गंगाजल, मिश्रित जल अवश्य चढ़ाएं।

महाशिवरात्रि के दिन अन्न, धन, फल, वस्त्र, मिठाई ब्राह्मण को अवश्य दान करें।

आचार्य संजीव शर्मा, हिमाचल प्रदेश 🙏

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