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रंगों से बिंदास खेलें होली, बालों को बचाने के लिए अपनाएं ये टिप्स

स्किन और बालों के लिए खतरनाक हो सकते हैं रंग

हमारे देश में होली यानी रंगों का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होली के दिन से कुछ दिन पहले ही लोग एक-दूसरे रंग लगाना शुरू कर देते हैं। रंगों के साथ होली खेलने के लिए तो सभी उत्सुक रहते हैं लेकिन रंगों को लेकर डर भी बना रहता है।

रंग अच्छे ना हों तो स्किन और बालों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। खासकर लड़कियों को ये चिंता सताती है कि होली के रंग कहीं उनके बालों को खराब न कर दें। रंगों से होली खेलने के बाद बालों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके लिए हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। ये टिप्स लड़की हो या लड़का दोनों के लिए ही कारगर साबित होंगे …

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बालों में लगाएं तेल

होली खेलने से पहले बालों में तेल लगाने से रंग बालों में प्रवेश नहीं कर पाता और जब आप बालों के रंग को होली के बाद धो रहे होते हैं, तो बाल नहीं टूटते। इससे बचने के लिए स्कैल्प की अच्छी तरह मालिश करें। मालिश करने के लिए नारियल तेल या जैतून के तेल का उपयोग करें। इससे बालों पर एक परत चढ़ जाती है, जो बालों को सुरक्षा प्रदान करती है।

होली से पहले बालों को धोएं

होली वाले दिन सुबह बालों में तेल लगाने से पहले उनका धुला हुआ होना काफी जरूरी है। इसके लिए आप बालों को एक रात पहले अच्छे से धो सकते हैं। ऐसा करने से बालों को काफी सुरक्षा मिलेगी। अगर एक रात पहले बाल धो रहे हैं, तो एक रात पहले बालों को धोएं और कंडीशन करें। होली खेलने जाने से पहले लीव-इन कंडीशनर भी लगा सकते हैं।

बालों के सिरों को कटवा लें

होली के लिए अपने बालों की देखभाल करने के लिए सबसे पहले बालों के सिरों को कटवा लें। दरअसल, सिंथेटिक रंग आपके बालों को रूखा बना सकते हैं और दोमुंहे बालों का कारण बन सकते हैं इसलिए होली के कुछ दिन पहले बालों के सिरों को कटवा लें, ताकि उनकी अच्छी से देखभाल कर सकें।

बालों को ढक कर रखें

एक बार जब आप अपने बालों में तेल लगा लें, तो उसके बाद बालों को ढकना सबसे अच्छा उपाय है। बालों को ढकने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सिर पर स्कार्फ बांध सकते हैं या फिर कैप लगा सकते हैं। महिलाएं भी बालों को खुला रखने से बचें, इसके बजाय बालों का बन बनाकर रखें और टाइट पोनीटेल बनाएं। इससे सिर में रंग नहीं जाएगा।

डीप कंडीशनर करें

कंडीशनर बालों को अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं इसलिए शुरुआत में ही बालों को कंडीशनर करना न भूलें। कंडीशनर को अपने बालों पर कम से कम 10 मिनट तक लगा रहने दें, लेकिन ध्यान रखें कि कंडीशनर बालों की जड़ों में न लगे। 10 मिनट बाद बालों को धो लें। इसके बाद बालों को अच्छे से सुखा लें।

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कब और किस समय पर करें होलिका दहन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस साल रंगों की होली खेलने और होलिका दहन को लेकर संशय बना हुआ है। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 6 और 7 मार्च 2023 को है, लेकिन सोमवार की पूरी रात पूर्णिमा रहेगी और मंगलवार को दिनभर रहेगी। होलिका दहन पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद किया जाता है।

होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। पूर्णिमा तिथि दो दिन है जिस वजह से  इस बार होलिका दहन की डेट को लेकर लोगों में संशय की स्थिति पैदा हो गई है। होलिका दहन की सही तिथि क्या है और शुभ मुहूर्त क्या रहेगा इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं …

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च, 2023 की शाम 4.17 पर शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 7 मार्च, 2023 को शाम 6.09 तक है। होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्योहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाए तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

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दरअसल, होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है। पूर्णिमा तिथि, प्रदोष काल और भद्रा न हो। ऐसा बहुत ही कम होता है कि होलिका दहन इन तीनों चीजों के साथ होने पर हो। लेकिन पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का होना बेहद जरूरी है।

पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन  करना शुभ माना जाता है। होलिका दहन  6 और 7 मार्च के बीच रात 12 बजकर 40 मिनट से 2 बजे तक करना शुभ होगा क्योंकि 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम 6 बजकर 10 मिनट तक ही है, लेकिन कई जगह पर 7 मार्च को भी होलिका दहन किया जाएगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

होलिका दहन का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धा4मिक महत्व दोनों ही है क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। इसके साथ ही इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इतना ही नहीं इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं।

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होलिका दहन पूजा विधि

होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें। इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही भोग लगा दें। फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें।

इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें।  फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें। होलिका दहन के समय अग्नि में कंडे, उबटन, गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें। इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं। ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा।

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शुरू हुआ होलाष्टक : 9 दिन नहीं होंगे कोई शुभ कार्य, उग्र होंगे ये 8 ग्रह

होलिका दहन पर होता है होलाष्टक का समापन

27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो गया है। हिंदू धर्म के अनुसार होलाष्टक में भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रकार की यातनाएं दी गई थीं इस वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है। होलाष्टक में ग्रह भी उग्र होते हैं, इस वजह से कोई शुभ कार्य करने या बड़े निर्णय लेने से बचा जाता है।

हिन्दू कैलेंडर की 8 तिथियों में होलाष्टक होता है। इस साल होलाष्टक 8 नहीं बल्कि 9 दिनों का है। होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को होता है और यह फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है। होलिका दहन 7 मार्च को है। ऐसे में इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक है।

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पंचांग के अनुसार, आज 27 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि की शुरूआत 12:58 एएम से हुई है और इसका समापन 28 फरवरी को 02:21 एएम पर होगा। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि आज से प्रारंभ हो रहा है, इसलिए आज प्रात:काल से होलाष्टक लग गया है।

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इस साल 06 मार्च को शाम 04:17 बजे से फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और 07 मार्च को शाम 06:09 बजे इसका समापन होगा. ऐसे में होलिका दहन 7 मार्च को है तो होलाष्टक का समापन भी उस दिन होगा.

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होलाष्टक के कारण बंद हुए शुभ कार्य होली के दिन से यानि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ हो जाएंगे। यदि आप को कोई नया या शुभ कार्य करना चाहते हैं तो उसे 8 मार्च से कर सकते हैं। 27 फरवरी से 7 मार्च के बीच उसे करने से बचें।

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होलाष्टक की 8 तिथियों में 8 प्रमुख ग्रह उग्र रहेंगे। ऐसे में व्यक्ति का मन अशांत हो सकता है, इस वजह से होलाष्टक के समय में बड़े फैसलों को करने से बचने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक में क्रमश: चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु ग्रह अष्टमी से पूर्णिमा के बीच उग्र रहते हैं। होलाष्टक में आप चाहें तो नवग्रह शांति के उपाय कर सकते हैं।

होलाष्टक के दौरान क्या करें – क्या न करें

होलाष्टक में भगवान की भक्ति और पूजा पाठ में समय व्यतीत करें।

होलाष्टक में आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी, शनि प्रदोष जैसे व्रत आने वाले हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान दान करें और माता लक्ष्मी की पूजा करके धन-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

होलाष्टक के इन 9 दिनों में विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश या कोई नया कार्य न करें।

होलाष्टक के दौरान किसी नए वाहन की खरीदारी भी करना अशुभ माना जाता है।

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