शिमला। भाजपा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार द्वारा वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को लेकर दिए बयान पर बवाल खड़ा हो गया है। विपिन परमार ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया पर कांग्रेस का प्रवक्ता बनकर काम करने और विधानसभा की मर्यादा के हनन का आरोप लगाया था, इस पर कुलदीप पठानिया ने पलटवार किया है और सोच समझ कर बयानबाजी करने की नसीहत दी है।
कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि जब वह विधानसभा से बाहर निकलते हैं तो वह राजनीतिक प्राणी है। बाहर जाकर वह किसी न किसी दल के हैं। यदि कोई उनसे सवाल पूछेगा तो वह मुंह बंद नहीं कर सकते। उन्होंने ऐसा कोई विषय नहीं उठाया, जिससे सदन की मर्यादा का हनन हो रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष ने BJP विधायक विपिन सिंह परमार को सोच समझकर बोलने की नसीहत दी और कहा कि वह अध्यक्ष नहीं है, बल्कि इसी सदन के सदस्य है। अध्यक्ष को उन्हें पूछने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि विपिन परमार दो साल अध्यक्ष रहे। उनका कार्यकाल कैसा रहा यह किसी से छुपा नहीं है। वो विधानसभा के रिकॉर्ड में भी विद्यमान है।
कुलदीप पठानिया ने कहा कि स्पीकर के पास कई तरह की अथॉरिटी है। जब विधानसभा चलती है तो तब उसमें नियम अलग है। जब वह चैंबर में बैठते हैं, तो उनके पास एडमिनिस्ट्रेटिव पावर है। शायद विपिन परमार को यह जानकारी नहीं है। यदि वह इस तरह की बयानबाजी करते हैं तो उन पर कार्यवाई भी की जा सकती है।
चंबा। हिमाचल में 14वीं विधानसभा का अध्यक्ष चंबा जिला के भटियात क्षेत्र के विधायक कुलदीप पठानिया को चुना गया है। कुलदीप पठानिया चंबा जिला से चौथे विधानसभा अध्यक्ष होंगे। साथ ही भटियात क्षेत्र से दूसरे स्पीकर होंगे। इसमें तीन कांग्रेस तो एक भाजपा से संबंधित नेता अध्यक्ष बने हैं। भटियात विधानसभा क्षेत्र से जयवंत राम 1952 से 1956 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं।
इसके बाद बनीखेत से कांग्रेस नेता देशराज महाजन ने 1963 से 1972 तक विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व संभाला। 2007 में तत्कालीन भाजपा सरकार में भरमौर विधानसभा क्षेत्र से तुलसी राम को अध्यक्ष की कमान सौंपी थी। वह 2007 से 2012 तक विस अध्यक्ष रहे। अब कांग्रेस नेता कुलदीप पठानिया को अध्यक्ष बनाया गया है।
बता दें कि आज सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा अध्यक्ष पद पर कुलदीप पठानिया के चयन के लिए प्रस्ताव सदन में रखा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
इसके बाद डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया तो हर्षवर्धन चौहान ने प्रस्ताव का समर्थन किया। फिर धनी राम शांडिल ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने उसका समर्थन किया। इसके बाद नए चुने गए विधानसभा अध्यक्ष को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया।
बता दें कि पूर्व जयराम सरकार में चंबा जिला से चुनकर आए विधायक हंस राज को डिप्टी स्पीकर बनाया गया था। हंस राज चुराह विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। इस बार चंबा जिला को अध्यक्ष पद मिला है और कुलदीप पठानिया अध्यक्ष चुने गए हैं। कुलदीप सिंह पठानिया के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह पांच बार भटियात विधानसभा क्षेत्र से जीतें हैं। इसमें तीन बार कांग्रेस तो 2 बार आजाद जीते हैं।
उन्होंने 1985 में कांग्रेस की टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। 1990 में वह चुनाव हार गए। 1993 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी और शिव कुमार को प्रत्याशी बनाया। कुलदीप पठानिया ने आजाद ताल ठोक दी। वह आजाद चुनाव जीत गए। 1998 में फिर कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव हार गए। 2003 में कांग्रेस ने फिर शिव कुमार को चुनावी मैदान में उतारा और भाजपा ने किशोरी लाल को टिकट दी।
कुलदीप पठानिया एक बार फिर कांग्रेस से बगावत कर गए और आजाद चुनावी मैदान में कूद गए। भाजपा में भी बगावत हुई और भूपेंद्र सिंह चौहान आजाद चुनावी मैदान में उतर गए। 2003 के चुनाव में भटियात विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला आजाद प्रत्याशियों के बीच ही रहा और कुलदीप सिंह पठानिया ने बाजी मारी।
2007 में मुकाबला कुलदीप सिंह पठानिया और भूपेंद्र सिंह चौहान के बीच रहा। बस फर्क इतना था कि कुलदीप सिंह पठानिया कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह चौहान भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े। चुनाव में कुलदीप सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की। 2012 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बिक्रम सिंह जरयाल को चुनावी मैदान में उतारा।
कांग्रेस ने फिर कुलदीप पठानिया पर भरोसा जताया। पर कुलदीप पठानिया चुनाव जीत नहीं पाए। 2017 में भी कुलदीप पठानिया को बिक्रम सिंह जरयाल के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 2022 के चुनाव में कुलदीप पठानिया ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते हैं। अब वह हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे।