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बजट सत्र: लोकतंत्र प्रहरी योजना पर हंगामा, विपक्ष ने किया वॉकआउट

जयराम बोले-लोकतंत्र का अपमान कर रही सरकार

शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने पहले सदन के भीतर नारेबाजी की और बाद में सदन से वॉकआउट कर दिया। सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों में इस योजना को लेकर तीखी नोकझोंक हुई।

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मुख्यमंत्री की गैर मौजूदगी में संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब देते हुए विपक्ष पर इस योजना को लेकर राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। विपक्ष के वॉकआउट पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकारी धन का दुरुपयोग अपनी पार्टी के व साधन संपन्न लोगों को पेंशन देने के लिए किया जा रहा था। सरकार का पैसा साधन संपन्न लोगों की जेब में जाना पूरी तरह गलत है। इन लोगों का आजादी की लड़ाई में क्या योगदान रहा है, ये सभी जानते हैं। बीजेपी आज मुद्दाविहीन पार्टी बनकर रह गई है। पिछली सरकार के गलत निर्णयों को ठीक करना हमारी सरकार की जिम्मेदारी हैं।

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वहीं, विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सरकार योजना को बंद कर लोकतंत्र का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के खिलाफ जिन लोगों ने आवाज उठाई और जेल गए उनके लिए यह योजना शुरू की गई। विधानसभा मे एक्ट लाकर इसे पारित किया, कांग्रेस के नेताओं ने इसे अपमान समझा और इसे निरस्त किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जयराम ने कहा कि जब उनकी सरकार आएगी तो यह बिल दोबारा विधानसभा में लाकर यह योजना दोबारा शुरू की जाएगी और यह राशि डबल की जाएगी।

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बजट सत्र: लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने के मुद्दे पर हो सकता है हंगामा

दो बजे शुरू होगी विधानसभा की कार्यवाही

शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही दोपहर दो बजे शुरू होगी। बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर विपक्ष विरोध जता सकता है। वहीं, हिमाचल विधानसभा बजट सत्र में आज पूर्व जयराम सरकार द्वारा शुरू की गई लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने को लेकर हंगामा हो सकता है। बजट सत्र के दौरान सदन में प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस योजना को बंद करने का प्रस्ताव रखेंगे। इसे लेकर बुधवार को भी सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हो चुकी है।

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संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान यह योजना सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए आरएसएस (RSS) और पॉलिटिकल लोगों को लाभ देने के लिए शुरू की गई थी, क्योंकि उस दौरान मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत RSS और पॉलिटिकल लोग जेल गए थे।

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प्रश्नकाल में ज्यादातर सवाल बस रूट, विश्राम गृह, पेयजल योजना, एनडीआरएफ (NDRF) व अवैध कब्जे आदि से संबंधि हैं। कालका-शिमला फोरलेन को लेकर सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा होगी। इसे लेकर भाजपा (BJP) विधायक सत्तपाल सत्ती कंडाघाट में सुरंग की अलाइनमेंट परिवर्तित करने से लागत बढ़ने और निर्माण में हो रही देरी का मामला सदन में उठाएंगे।

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सुक्खू सरकार से बोले शांता-हमें नहीं चाहिए पेंशन, पर अपमान तो मत करो

पालमपुर। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात की जरा भी आशा नहीं थी कि हिमाचल प्रदेश की नई सरकार मेरे जैसे आपातकाल में जेल जाने वालों का इस प्रकार से अपमान करेगी। सरकार द्वारा इस अपमानजनक व्यवहार से वह बहुत अधिक आहत हैं। हम सब लोग देश की दूसरी आजादी की लड़ाई में जेल गए थे। विधानसभा में यह कहा गया कि पिछली सरकार ने हम चहेतों को पेंशन की खैरात दी है।

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उन्होंने कहा कि आज से 48 साल पहले 1975 में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को एक जेल खाना बना दिया गया था। जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे लगभग 75 हजार लोगों को जेलों में डाल दिया था। कोई दलील, अपील नहीं थी। यहां तक कि संविधान में दिया गया जीने का मूल अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था। भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा काला अध्याय था।

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उन्होंने कहा कि उस समय न तो कोई विदेशी आक्रमण हुआ था और न कोई भूचाल आया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाने पर इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया और चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। केवल और केवल एक नेता की कुर्सी बचाने के लिए पूरे देश को जेल खाना बना दिया।

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शांता कुमार ने कहा कि हम सब किसी सम्मान या पेंशन के लिए जेल नहीं गए थे। लोकतंत्र की रक्षा के लिए सिर पर कफन बांध कर उस युद्ध में हम कूदे थे। बहुत से जेलों में ही मर गए थे, हमें चहेता कहना हम सबका और देश का बहुत बड़ा अपमान है।

 

उन्होंने कहा कि 48 साल पहले जेल में काटे 19 महीने की यातना बच्चों और परिवार को हुई कठिनाईओं के सारे घाव इस अपमान ने एक बार फिर ताजा कर दिए। शांता कुमार ने कहा कि सरकार को हमारे साथ किए इस अन्याय के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। हमें कोई सम्मान नहीं चाहिए, पेंशन भी नही चाहिए परन्तु ऐसे हल्के शब्दों का उपयोग करके यह अपमान बहुत बड़ा अन्याय है।

 

बता दें कि पूर्व की भाजपा सरकार ने आपातकाल में जेल गए लोगों को लोकतंत्र प्रहरी घोषित कर लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना शुरू की थी। जेल में बिताई अवधि के अनुसार 12 हजार से 20 हजार रुपए की पेंशन दी जा रही थी। पर सुक्खू सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी योजना को बंद करने का फैसला लिया है। हाल ही में हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह मुद्दा उठाया था।

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हिमाचल विस में गूंजा ‘लोकतंत्र प्रहरी योजना’ का मुद्दा-जयराम ने पूछा, क्यों की बंद

सुक्खू बोले- बिल पर चर्चा के दौरान देंगे जवाब

शिमला। आपातकाल के दौरान जेलों में गए लोगों की पेंशन योजना पर हिमाचल में सियासत गरमा गई है। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई “लोकतंत्र प्रहरी योजना” को बंद कर दिया गया है। इसका प्रश्न आज विधानसभा में लगा था। पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत इस मामले को उठाया और सरकार से पूछा कि लोकतंत्र प्रभारी योजना बंद क्यों की गई। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस को लेकर सदन में बिल लाया गया है, उस पर चर्चा के दौरान वह इसका जवाब देंगे।

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पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोगों को जेलों में डाला गया। शांता कुमार को 19 महीने जेल में रखा गया। ऐसे लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने “लोकतंत्र प्रहरी योजना” शुरू की थी, जिसके तहत प्रदेश के 80 लोगों को 12,000 व  20,000 की पेंशन का प्रावधान किया था, जिसको सरकार ने बंद किया है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। यूपी व राजस्थान जैसे राज्यों में भी यह योजना चलाई जा रही है, लेकिन कांग्रेस का कहना गलत है कि केवल आरएसएस (RSS) के चुनिंदा लोगों को लाभ देने के लिए पूर्व भाजपा सरकार ने यह योजना शुरू की थी।

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