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कांगड़ा: 21 क्विंटल मक्खन से हुआ मां बज्रेश्वरी की पावन पिंडी का श्रृंगार, घृत मंडल शुरू

रविवार रात को जागरण का हुआ आयोजन

कांगड़ा। हिमाचल के कांगड़ा जिला में मकर संक्रांति पर मां बज्रेश्वरी जी की पावन पिंडी पर 21 क्विंटल मक्खन से श्रृंगार के साथ ही घृत पर्व का आगाज भी हो गया है। घृत पर्व के आगाज पर रविवार रात जागरण का आयोजन किया, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु मां की भेंटों पर थिरके।

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यह पर्व सात दिन तक चलेगा। सातवें दिन माता की पिंडी से मक्खन उतारकर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा। इस प्रसाद को चर्म रोगों के लिए उपयोग में लाया जाता है।

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शिमला : तत्तापानी में सैकड़ों ने लगाई आस्था की डुबकी, मकर संक्रांति मेला संपन्न

पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह रहे मुख्यातिथि

 

शिमला। मकर संक्रांति पर शिमला जिला के तत्तापानी तीर्थ स्थल में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने तत्तापानी तीर्थ स्थल पहुंचकर स्नान किया। इस दिन तीर्थस्थलों में स्नान का विशेष महत्व होता है। इसके चलते ही लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं।

शिमला और मंडी जिला की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में मनाया जाने वाला दो दिवसीय जिला स्तरीय लोहड़ी मकर संक्रांति मेला रविवार को संपन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्यातिथि पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह रहे। उनके साथ मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद प्रतिभा सिंह भी इस मौके पर उपस्थित रही।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा के दौरान करोड़ों रुपए का नुकसान पीडब्ल्यूडी को हुआ है। लगभग 1600 सड़कें बंद हुई थीं, जिन्हें रिकॉर्ड समय में खोलकर किसान, बागवानों व आम जनता को राहत पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा से प्रदेश भर में 12 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन केंद्र सरकार से कोई बड़ा आर्थिक पैकेज आपदा के समय में नहीं मिल पाया।

प्रदेश के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए है। आने वाले समय में पीडब्ल्यूडी, जल शक्ति विभाग सहित अन्य विभागों में हजारों पद भरने की प्रक्रिया राज्य सरकार ने शुरू की है, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के युवाओं को मिलेगा।

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उन्होंने कहा प्रदेश के विकास में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का विशेष योगदान रहा है। उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत प्रदेश को तीन हजार करोड़ रुपए का पैकेज मिला है, जिसके लिए हम केंद्रीय लोक निर्माण मंत्री व केंद्र सरकार के आभारी हैं।

तत्तापानी में लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह बनाने की लोगों की मांग पर उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि इस मांग को कैबिनेट में ले जाकर स्वीकृति के उपरांत पूरा किया जाएगा, ताकि यहां आने वाले लोगों को सुविधा मिल सके।

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इस अवसर पर मेला कमेटी के अध्यक्ष व एसडीएम करसोग नरेंद्र सिंह ने मुख्यतिथि को शॉल टोपी व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया, जबकि सांसद प्रतिभा सिंह को ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष हरिओम शर्मा व पूर्व प्रत्याशी महेश राज ने शॉल टोपी व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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धूमधाम से मनाया जा रहा लोहड़ी पर्व : कल मकर संक्रांति पर होगा शाही स्नान

शिमला। साल का पहला त्योहार लोहड़ी हिमाचल प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोहड़ी पर्व पर लोग बाजार में खरीदारी करते नजर आए। वहीं इस वर्ष लोगों में मकर संक्रांति को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है कि कब वह शाही स्नान कर व्रत रखें और दान करें।

पंचांग के अनुसार इस वर्ष भी मकर सक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा। वहीं, दोनों त्योहारों को लेकर तिल, मूंगफली, गच्चक, रेवड़ी व बादाम के बने आइटम लोगों द्वारा पसंद किए जा रहे हैं। राजधानी में इस मौके पर विभिन्न जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष लोहड़ी का शुभ मुहूर्त शाम 5:38 से रात 7:40  तक रहेगा।

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पंडित उमेश नोटियाल ने बताया कि लोहड़ी का पर्व इस वर्ष आज है। लोहड़ी पूजन का शुभ मुहर्त शाम 5:38 से रात 7:40  तक रहेगा। पूरे विधि विधान से इस समय के बीच लोहड़ी का पूजन शुभ रहेगा। वहीं, उन्होंने मकर संक्रांति की तिथि को लेकर चल रहे संशय को लेकर कहा कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति है।

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उन्होंने कहा कि शास्त्रों और पंचांग के अनुसार यह पर्व रविवार को ही मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है, इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।

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इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति का व्रत किया जा सकता है और इस दिन तीर्थस्थलों में स्नान का विशेष महत्व है। दान पुण्य करने वाले लोग 15 जनवरी को भी दान कर सकते हैं।

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मकर संक्रांति 2023 : पानी में सिंदूर और तिल मिलाकर दें सूर्य को अर्घ्य

सूर्य देव जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर भगवान गणेश, शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी और सूर्य की साधना संयुक्त करने का महत्व प्राचीन धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसका कारण ये है कि संसार को चलाने वाली पंच शक्ति की आराधना से ही इस दिन ग्रहों को अपने अनुकूल बनाया जाता है।

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पंचांग की गणना के अनुसार 14 जनवरी, 2023 की रात 8 बजकर 58 मिनट पर सूर्य राशि बदल रहा है। एक वर्ष में सूर्य 12 राशियों में गोचर करता है और जिस राशि में प्रवेश करता है, उसे उसकी संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति 14 जनवरी रात से शुरू होगी और इसका पुण्यकाल स्नान-दान 15 जनवरी को माना जाएगा।

मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने की परंपरा भी है। देश में अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में लोहिड़ी के नाम से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है, तो दक्षिण भारत के राज्य केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में इस पर्व को पोंगल कहा जाता है। विशेष बात ये है कि तमिल पंचाग का नया साल पोंगल से ही शुरू होता है।

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मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान की परंपरा भी है। मकर संक्रांति के मौके पर बर्तन में पानी, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य उदय होने पर अर्घ्य दें। सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नम:’ मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें।

मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो सूर्य पुत्र शनि देव भी उनका तिल से पूजन करते हैं। मकर संक्रांति पूजा-पाठ के दिन श्री नारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ पूरे मनोयोग और विधि-विधान से करना फलदायी होता है। भगवान सूर्य की पूजा के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, वस्त्र आदि किसी सुपात्र को दान करें। इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग भी लगाएं।

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मकर संक्रांति पर हरिद्वार पहुंचे पझौता के लोग, गंगा में लगाई डुबकी

पझौता। मकर संक्रांति का त्योहार आज देशभर में मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। इस पवित्र त्योहार के दिन सिरमौर के पझौता क्षेत्र से कुछ लोग हरिद्वार गंगा स्नान करने के लिए पहुंचे।

इनमें गांव पड़िया से भाजपा मीडिया प्रभारी सिरमौर दिनेश शर्मा, पैण गांव से पूर्व बीडीसी चेतराम ठाकुर व संतोष देवी, नेहरटी बेहड़ से कपूर सिंह हाब्बी, परागो देवी, पूजा हाब्बी, गांव मेला शकेण से भगतराम व गांव मानवा से वीना वर्मा शामिल हैं। इन सभी ने टिहरी गढ़वाल से आई बाबा भैरव नाथ की पालकी संग आए श्रद्धालुओं के साथ गंगा में स्नान किया। दिनेश शर्मा ने बताया कि इसके बाद वह सभी मां रेणुका के दर्शन के लिए जा रहे हैं।

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मंत्री बनने के बाद कांगड़ा दौरे पर चंद्र कुमार : ज्वालामुखी-बज्रेश्वरी मंदिर में नवाया शीश

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार आज कांगड़ा दौरे पर हैं। कांगड़ा जिला से एकमात्र कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्र कुमार मकर संक्रांति पर सबसे पहले परिवार के साथ विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर पहुंचे और माता के दरबार में माथा टेका। ज्वालामुखी पहुंचने पर विधायक संजय रतन ने उनका स्वागत किया और उनके साथ मंदिर में पूजा-अर्चना में भी भाग लिया।

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चौधरी चंद्र कुमार ने यहां मकर संक्रांति की प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां का आशीर्वाद सभी पर बना रहे, ऐसी वह कामना करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने मां ज्वाला जी मंदिर में हवन में भी आहुतियां डालीं। प्रदेश की सुख समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना की।

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इसके बाद उन्होंने कांगड़ा स्थित मां बज्रेश्वरी के दरबार में शीश नवाया। मंत्री बनने के बाद चौधरी चंद्र कुमार का यह पहला कांगड़ा दौरा है। इसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखा गया। रानीताल, कांगड़ा, गगल, सनौरा चौक, कुठमा और भड़ोई आदि में उनका जोरदार स्वागत किया गया। कांगड़ा में न्यू पेंशन कर्मचारी महासंघ कांगड़ा खंड के प्रतिनिधियों ने उनका स्वागत किया। कांगड़ा में चंद्र कुमार का लड्डू खिलाकर मुंह मीठा किया गया।

 

चौधरी चंद्र कुमार जवाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और अभी तक की फाइनल की कई कैबिनेट में कांगड़ा जिला से एकमात्र मंत्री है। उन्हे सुक्खू कैबिनेट में कृषि एवं पशुपालन विभाग का जिम्मा सौंपा गया है।

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इस साल किस तिथि को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानिए शुभ मुहूर्त

इस साल मकर संक्रांति को लेकर इस बार कुछ उलझन बनी हुई है। दो तिथियों 14 और 15 जनवरी लेकर विवाद है। दरअसल, सूर्य जब मकर राशि में आते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। आमतौर पर 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में आने से पारंपरिक रूप से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती रही है। इसलिए आम धारणा के अनुसार लोग 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाने की बात कर रहे हैं। जबकि पंचांग के अनुसार शाम के समय सूर्य के मकर राशि में आने की वजह से मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा। 15 जनवरी को ही संक्रांति का स्नान और दान पुण्य किया जाना शास्त्रानुकूल रहेगा।

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14 जनवरी को सूर्य रात में 8 बजकर 44 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में मकर संक्रांति वारानुसार राक्षसी और नक्षत्रानुसार मंदाकिनी कहलाएगी। इस संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह सूर्योदय से एक घंटे पूर्व से माना जाएगा। 15 जनवरी को सुबह 6 बजकर 15 मिनट से पवित्र स्नान दान किया जाना उत्तम रहेगा। पुण्य काल 15 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में मकर संक्रांति से संबंधित सभी रीतियों और परंपराओं को निभाना शुभ होगा।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा देशभर के कई भागों में है इसलिए इसे खिचड़ी पर्व भी कहते हैं। लेकिन एक मान्यता यह है कि रविवार के दिन खिचड़ी खाने से गरीब होते हैं। ऐसे में जब मकर संक्रांति 15 को मनाएंगे तो रविवार को खिचड़ी कैसे खाएंगे। इसके लिए एक उपाय यह है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति शाम में लग जा रही है ऐसे में दोपहर के बाद से संक्रांति मान्य हो जाएगी।

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इसलिए 14 जनवरी को 12 बजे के बाद खिचड़ी बनाकर कुल देवी देवता को खिचड़ी का भोग लगा सकते हैं और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं इससे शनि दोष भी आपके कटेगा और खिचड़ी की परंपरा भी निभा पाएंगे। 15 जनवरी को तिल गुड़ खाना उत्तम रहेगा इससे सूर्य ग्रह की स्थिति अच्छी होगी और सूर्य के शुभ फल आपको प्राप्त होंगे।

मकर संक्रांति पर गंगा अथवा पवित्र नदियों में डुबकी लगाना चाहिए। अथवा जल में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।

मकर संक्रांति पर जरूरतमंद लोगों को गर्म वस्त्र और कंबल दान करना अच्‍छा माना जाता है। इससे शनि देव का प्रतिकूल प्रभाव दूर होता है।

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के लड्डू दान किए जाते हैं। इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी दान करने और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है। इससे सूर्य और शनि की कृपा प्राप्त होती है।

मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य में लाल पुष्प, वस्त्र, गेहूं, अक्षत और सुपारी डालना चाहिए। सूर्य इस दिन उत्तरायण होते हैं और स्वर्ग का द्वार खुलता है इसलिए इस पूजा का विशेष महत्व है।

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