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खन्ना बोले- भूलें न कांग्रेसी, इंदिरा गांधी ने भी लगाया था BBC पर प्रतिबंध

विश्व पटल पर बढ़ते भारत के प्रभुत्व को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे कुछ लोग

शिमला। भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने शिमला में बीबीसी के दफ्तरों पर आईटी विभाग द्वारा चल रहे ‘सर्वेक्षण’ के बीच कहा कि आयकर विभाग की कार्रवाई पर जिस प्रकार विपक्षी पार्टियों द्वारा राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वह बेहद चिंताजनक है। दुर्भाग्य से बीबीसी का प्रोपेगंडा और कांग्रेस पार्टी का एजेंडा एक साथ मेल खाता है।

खन्ना ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को ये याद रखना चाहिए कि किस तरह से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुद बीबीसी पर प्रतिबंध लगाया था।

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खन्ना ने कहा कि आयकर विभाग बीबीसी कार्यालय पर कानूनी रूप से सर्वे का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दरअसल कुछ ‘वर्ग’ विश्व पटल पर भारत के बढ़ते प्रभुत्व को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि विश्व पटल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत किस प्रकार आगे बढ़ रहा है। भारत वर्तमान में G-20 की अध्यक्षता कर रहा है, लेकिन कई ऐसी शक्तियां कार्यरत हैं जिन्हें भारत का बढ़ता कद नहीं भा रहा।

उन्होंने कहा कि बीबीसी को भारत में पत्रकारिता करने का पूरा अधिकार है, लेकिन उन्हें देश के कानून का पालन करना होगा। भारत में कार्यरत कोई भी एजेंसी या कंपनी हो, चाहे वह मीडिया से जुड़ी हो या फिर अन्य गतिविधियों से उन्हें भारत में स्थापित कानून को मानना होगा व उसका पालन करना होगा। अगर कुछ गलत किया नहीं तो फिर डर कैसा, चिंता कैसी? आयकर विभाग को अपना काम करने देना चाहिए और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाना चाहिए।

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खन्ना ने विभिन्न उदाहरणों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार अब तक बीबीसी द्वारा कथित तौर पर भारतीय भावनाओं का अपमान किया गया। बीबीसी द्वारा अपने एक कार्यक्रम में कश्मीर में सक्रिय और भारत की अखंडता को चुनौती देने वाले आतंकवादी को एक करिश्माई युवा आतंकी विशेषण से नवाजना कैसी पत्रकारिता है? बीबीसी भारत में काम कर रहे हैं लेकिन हमारे संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत अपनी सभ्यता-संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता है, यहां के त्यौहार का मजाक उड़ाते हुए बीबीसी ने एक समय होली को अपवित्र त्यौहार बताया। आखिर बीबीसी हमारे त्योहारों के बारे में क्या जानते हैं? एक अन्य रिपोर्ट में, उन्होंने यह कहते हुए हमारे आइकन और राष्ट्रपिता का अपमान करते हुए कहा कि महात्मा गांधी भारत को आजाद कराने में विफल रहे।

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उन्होंने नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों में चल रहे सर्वेक्षण पर अपनी टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर भी हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से मेरा सवाल है कि जब बीबीसी कार्यालयों में आयकर का सर्वेक्षण किसी तार्किक निष्कर्ष पर अभी नहीं पहुंचा है, तो वे किस आधार पर उन्हें क्लीन चीट देते हुए जांच एजेंसी पर सवाल खड़े कर रही हैं? वे इंतजार क्यों नहीं कर सकते? ऐसा क्यों है कि कांग्रेस हमेशा राष्ट्र विरोधी शक्तियों के साथ खड़ी रहती है?

खन्ना ने कहा कि भारत एक ऐसा है देश जो हर संगठन को देश के कानूनों के तहत काम करने का अवसर प्रदान करता है, बशर्ते उनके पास कोई छिपा हुआ एजेंडा न हो और वे देश के खिलाफ कोई जहर न उगल रहे हों।

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BBC डॉक्यूमेंट्री पर ‘बैन’ के खिलाफ आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

प्रतिबंध के बावजूद कई जगहों पर हुई थी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच में होगी। आपको बत्ता दें कि डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है। एक याचिका वरिष्ठ पत्रकार एनराम, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर और अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर विचार करेगी।

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20 जनवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने यूटयूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था। शर्मा की याचिका में आईटी अधिनियम के तहत 21 जनवरी के आदेश को अवैध, दुर्भावनापूर्ण और मनमाना, असंवैधानिक और भारत के संविधान के अधिकारातीत और अमान्य होने के कारण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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प्रतिबंध के बावजूद की गई स्क्रीनिंग…

डॉक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन कांग्रेस समेत कई दूसरे दलों और उससे जुड़े संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री को सार्वजनिक स्थानों पर चलाकर दिखाया था। जेएनयू, डीयू, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों में इसकी स्क्रीनिंग को लेकर तनाव का माहौल बना जब बीजेपी समर्थित संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध किया।

शर्मा की याचिका में तर्क दिया गया है कि BBC डॉक्यूमेंट्री ने 2002 के दंगों के पीड़ितों के साथ-साथ दंगों के परिदृश्य में शामिल अन्य संबंधित व्यक्तियों की मूल रिकॉर्डिंग के साथ वास्तविक तथ्यों को दर्शाया है और इसे न्यायिक न्याय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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क्या है डॉक्यूमेंट्री पर विवाद

बीबीसी ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही यह विवादों में घिर गई थी। इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है. वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है।डॉक्यूमेंट्री की रिलीज के साथ ही केंद्र सरकार ने इसे शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्विटर लिंक को ब्लॉक करने का आदेश दिया था। यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को हटाने के सरकार के फैसले की विपक्षी पार्टी की तरफ से जमकर विरोध किया गया और इसे सेंसरशिप कहा गया।

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HPU में 19 मिनट तक चली BBC की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री, पुलिस ने उठाई स्क्रीन

शिमला। देशभर में बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री सुर्खियां बटोर रही है। लेफ्ट समर्थित छात्र संगठन देश भर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी शनिवार शाम 6 बजे एसएफआई छात्र संगठन ने प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की।

HPU में 19 मिनट तक चली BBC की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री, पुलिस ने उठाई स्क्रीन 

 

इससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से डॉक्यूमेंट्री को न चलाने का निर्देश जारी कर दिया गया था। मौके पर तैनात हिमाचल प्रदेश पुलिस शिमला पुलिस के पदाधिकारियों के समझाने के बावजूद एसएफआई कार्यकर्ताओं ने डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग की जिद पकड़े रखी। शाम छह बजे भाषणबाजी के बाद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग शुरू हुई। करीब 19 मिनट तक डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने के बाद पुलिस हरकत में आई।

शिमला पुलिस के जवानों ने मौके पर से प्रोजेक्टर के लिए लगाई गई स्क्रीन को वहां से हटा दिया। इस दौरान छात्र संगठन एसएफआई और पुलिस के जवानों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। शिमला पुलिस ने केंद्र सरकार की ओर से डॉक्यूमेंट्री प्रतिबंधित होने और इसके प्रसारण से कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति का हवाला देते हुए कार्रवाई की।

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इस पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संगठन एसएफआई ने कहा कि सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए है। लोगों से सच छिपाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर वे सेंसरशिप के कानून के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। छात्र संगठन एसएफआई ने ऐलान किया कि सरकार की ओर से उन्हें रोके जाने के बाद अब इस डॉक्यूमेंट्री को शिमला के मालरोड और हिमाचल प्रदेश सचिवालय के बाहर दिखाने का काम करेंगे।

एसएफआई ने आरोप लगाया कि पुलिस सरकार के इशारों पर छात्रों की आवाज दबाने का काम कर रही है। छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ता जेब में एक QR कोड लेकर पहुंचे थे। प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री रोके जाने के बाद सभी कार्यकर्ताओं को QR कोड बांटे गए और अपने मोबाइल और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए कहा गया।

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