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हिमाचल : कोई पंचायत निर्धारित समय में नहीं देगी NOC तो स्वीकृत मानी जाएगी परियोजना

आईपीपी के साथ बैठक में सीएम सुक्खू ने दी जानकारी

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईपीपी) के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी समस्याओं को दूर कर उनकी परियोजनाओं को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार उनकी विद्युत परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए सभी मंजूरियां प्राप्त करने में सहयोग प्रदान करेगी।

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उन्होंने कहा कि यदि कोई ग्राम पंचायत निर्धारित समयावधि में अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देती है, तो उसे स्वीकृत माना जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार विद्युत उत्पादकों की सुविधा के लिए ओपन हाइड्रो पॉलिसी लाएगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन के अलावा जल विद्युत क्षेत्र प्रदेश के राजस्व का मुख्य स्रोत है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जल उपकर अधिनियम पारित किया है। उन्होंने अधिनियम को लागू करने के लिए जल उपकर की मात्रा पर आईपीपी से प्रस्ताव मांगा और कहा कि सरकार उनके प्रस्ताव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा स्थापित विद्युत परियोजनाओं खासकर अपना खर्च पूर्ण करने वाली परियोजनाओं में रॉयल्टी बढ़ाने का मुद्दा भी उठा रही है। आईपीपी की मांग पर मुख्यमंत्री ने एचपीपीटीसीएल को विद्युत पारेषण लाइन (पावर ट्रांसमिशन लाइन) बिछाने में तेजी लाने के निर्देश दिए, ताकि उत्पादन स्थलों से विद्युत की आपूर्ति समयबद्ध की जा सके और विद्युुत उत्पादकों को वित्तीय नुकसान का सामना न करना पड़े।

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ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार 41 विद्युत परियोजनाओं के लिए विद्युत खरीद समझौते की तारीख के बजाय वाणिज्यिक संचालन की तारीख से बिजली दरों की गणना के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को भी वास्तविक आधार पर रॉयल्टी यानी 12, 18 और 30 प्रतिशत पर विचार करने के लिए परामर्श देगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 111 मिनी और माइक्रो ऊर्जा परियोजनाएं राज्य के खजाने में 223.60 करोड़ रुपये का योगदान कर रही हैं। उन्होंने आईपीपी से कहा कि वे अपनी विद्युत परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करें ताकि इन परियोजनाओं का लाभ जल्द से जल्द उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि आईपीपी के माध्यम से 3539 मेगावॉट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, जिसमें से अभी तक केवल 754 मेगावॉट का दोहन किया जा सका है।

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ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार सौर और पवन ऊर्जा के दोहन को प्राथमिकता दे रही है। राज्य सरकार ने जहां इस वर्ष के दौरान 500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, वहीं राज्य में पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए भी अध्ययन किया जा रहा है। बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, विधायक चंद्रशेखर, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव जल शक्ति अमिताभ अवस्थी, प्रबंध निदेशक हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लिमिटेड ऋग्वेद ठाकुर, निदेशक ऊर्जा हरिकेश मीणा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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हिमाचल ने फ्रांसीसी एजेंसी से MOU किया साइन, 817.12 करोड़ की है परियोजना

612 करोड़ एएफडी और 204.85 करोड़ सरकार करेगी खर्च
शिमला। हिमाचल सरकार ने  राज्य के पांच शहरों में पेयजल और स्वच्छता सेवाओं में सुधार के लिए फ्रांसीसी विकास एजेंसी ‘एजेंस फ्रैंकेंज डी. डेवलपमेंट’ (एएफडी) के साथ 817.12 करोड़ रुपये की परियोजना के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।  मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की उपस्थिति में प्रदेश सरकार की ओर से जल शक्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी व एएफडी की ओर से कंट्री निदेशक ब्रूनो बोस्ले ने समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य राज्य के पांच शहरों मनाली, बिलासपुर, पालमपुर, नाहन और करसोग में बेहतर मलनिकासी सुविधाएं विकसित करना और मनाली व पालमपुर में पेयजल आपूर्ति में सुधार करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत 612 करोड़ रुपये एएफडी द्वारा प्रदान किए जाएंगे, जबकि हिमाचल सरकार 204.85 करोड़ रुपये व्यय करेगी। परियोजना के अंतर्गत इन पांच शहरों के लाभार्थियों को हाउस सर्विस कनेक्शन उपलब्ध करवाए जाएंगे और मल निकासी संयंत्रों को अत्याधुनिक तकनीकों के साथ डिजाइन किया जाएगा, ताकि कृषि और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए अपशिष्ट का पुनः उपयोग किया जा सके।
उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य जलस्रोतों की पर्यावरणीय स्थिति में सुधार करना, जलजनित रोगों को कम करना, स्थानीय नियमों और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम परंपराओं के अनुसार गुणवत्तापूर्ण स्वच्छता सुविधाओं का प्रबंधन करना और पेयजल और स्वच्छता क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता लाना है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह परियोजना दो चरणों में लागू की जाएगी, जिसमें पहले चरण में 425.85 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसमें से एएफडी द्वारा 340 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में 371 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 272 करोड़ रुपये एएफडी द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
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उन्होंने कहा कि परियोजना की कार्यान्वयन अवधि तीन वर्ष होगी और चरण-1 के शुरू होने के 18 महीने बाद चरण-2 शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के लोगों को बेहतर स्वच्छता सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और यह परियोजना इस लक्ष्य को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगी। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक आशीष बुटेल, अजय सोलंकी, भुवनेश्वर गौड़, एएफडी के प्रतिनिधि अंकित तुलस्यान और अक्षिता शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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हिमाचल: एक माह में NH परियोजनाओं में 804 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजे वितरित

सीएम ने शेष मुआवजे के मामलों को शीघ्र निपटाने के दिए निर्देश

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां प्रदेश में निर्माणाधीन विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उन्होंने भूमि मुआवजा, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) और वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) की मंजूरी से संबंधी मामलों और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आ रही अन्य बाधाओं के समाधान पर बल दिया।

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मुख्यमंत्री ने विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) परियोजनाओं के लिए एक माह के भीतर 804 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजे का वितरण करने के लिए अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने 27 मार्च, 2023 तक लगभग 750 करोड़ रुपये के शेष मुआवजे के मामलों की वितरण प्रक्रिया को पूरा करने पर भी विशेष बल दिया।

उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में सड़कें परिवहन का मुख्य साधन हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मुआवजे और स्वीकृतियों से संबंधित मामलों का निपटारा प्रतिबद्धता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के सुचारू कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है, जिससे राज्य के लोगों के साथ-साथ प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को बेहतर संपर्क सुविधा उपलब्ध होगी।

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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को एफआरए-एफसीए स्वीकृति संबंधी मामलों की हर 15 दिनों में निगरानी कर इनमें तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन मामलों में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए 27 मार्च, 2023 को बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने शिमला-मटौर सड़क, पठानकोट-मंडी सड़क, शिमला बाइपास और पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ सड़क की प्रगति की भी समीक्षा की और परियोजनाओं के निर्माण कार्य में गति लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीहरू-लठियाणी सड़क के लिए 900 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट 20 फरवरी, 2023 को केंद्र सरकार को प्रस्तुत की जा चुकी है और 31 मार्च, 2023 तक इस परियोजना को स्वीकृति मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की सड़क व्यवस्था के सुधार और परिवहन क्षेत्र को प्रोत्साहन प्रदान करने में यह सड़क विकास परियोजना मददगार साबित होगी।

इसके अतिरिक्त 31 मार्च, 2023 तक सैंज-लूहरी-जलोड़ी सड़क की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि जलोड़ी सुरंग के निर्माण के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया जाएगा तथा नालागढ़-स्वारघाट सड़क, ऊना बाईपास और पंजाब की सीमा से नादौन तक सड़क निर्माण को शुरू किया जाएगा। यह परियोजनाएं क्षेत्र के आर्थिक विकास और स्थानीय लोगों को लाभान्वित करेंगी।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार), गोकुल बुटेल, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक पंकज डडवाल और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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हिमाचल के लिए एडीबी ने 1,311.20 करोड़ रुपये की परियोजना को दी सैद्धांतिक मंजूरी

इसमें परियोजना की ट्रेंच-1 की उप-परियोजनाएं शामिल

 

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि एशियन विकास बैंक (एडीबी) ने प्रदेश में पर्यटन अधोसंरचना विकसित करने के लिए 1,311.20 करोड़ रुपये की परियोजना को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी प्रदान की है। इसमें नई एडीबी परियोजना की ट्रेंच-1 की उप-परियोजनाएं शामिल हैं।

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मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि एडीबी ने प्रदेश सरकार की पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने की परिकल्पना की सराहना की है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन अधोसंरचना विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं तैयार की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के ट्रेंच-1 में पालमपुर शहर का सौंदर्यीकरण, धर्मशाला में सम्मेलन केंद्र, मंडी में शिवधाम का विकास, परागपुर में ग्रीन पार्क, धर्मशाला, मनाली और शिमला में आईस स्केटिंग रिंक एवं रोलर स्केटिंग रिंक का निर्माण शामिल है।

उन्होंने कहा कि इस ट्रेंच के तहत शिमला, धर्मशाला, नादौन, मनाली और कुल्लू में वेलनेस केन्द्रों व धर्मशाला में उच्च गुणवत्तायुक्त फाउंटेन टूरिस्ट सुविधा तथा मंडी-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग, नादौन व कालेश्वर महादेव कांगड़ा में वे-साइड सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के तहत नादौन में राफ्टिंग व वाटर पार्क परिसर, पौंग डैम, तत्तापानी, नादौन व बंगाणा इत्यादि स्थानों में जलक्रीड़ा उपकरण, जैटी, शिकारा, हाउस बोट व बाइकिंग रूट सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। इसके अलावा श्री बाबा बालक नाथ जी मंदिर में पर्यटन सुविधाएं, अटल रोहतांग टनल में प्रवेश व निकास स्थानों में पर्यटन आधारित गतिविधियों का विकास भी किया जाएगा। इसके साथ-साथ परियोजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने, इसके विपणन व प्रचार-प्रसार तथा पर्यटन विकास में स्थानीय समुदायों की क्षमता निर्माण के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के प्रयासों के दृष्टिगत राज्य को इंडिया टूडे पर्यटन सर्वेक्षण एवं पुरस्कार के अन्तर्गत बेस्ट एडवेंचर डेस्टिनेशन, मोस्ट सीनिक रोड्स तथा बेस्ट माउन्टेन डेस्टिनेशन्स श्रेणी में विजेता पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे पर्यटक स्थलों पर यातायात दबाव कम करने एवं पर्यटकों को मनभावन हिमाचल में अधिक से अधिक समय तक ठहराव के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार साहसिक, धार्मिक, ग्रामीण एवं सप्ताहान्त पर्यटन को प्रोत्साहित कर रही है। पर्यटकों को होम स्टे शृंखला के माध्यम से राज्य के अनछुए प्राकृतिक स्थलों पर समय बिताने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

राज्य में पर्यटकों एवं स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए विभिन्न अधोसंरचना को सुदृढ़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में बेहतर हवाई सुविधा उपलब्ध करवाने की दिशा में योजनाबद्ध कार्य कर रही है। राज्य के पारंपरिक व्यंजनों एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए खाद्य एवं सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जा रहे हैं ताकि पर्यटक भी हिमाचल की विविध संस्कृति एवं हस्तकलाओं से लाभान्वित हो सकें।

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HDP और एचपी शिवा परियोजना से बदलेंगे किसानों-बागवानों की तकदीर

बागवानी मंत्री ने कैहडरू और भरमोटी के क्लस्टरों का किया निरीक्षण

हमीरपुर। राजस्व, बागवानी और जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि प्रदेश सरकार हिमाचल को फल राज्य के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से कार्य करेगी। मंगलवार को हमीरपुर के निकटवर्ती गांव कैहडरू में बागवानी विभाग की एचपी शिवा परियोजना के तहत विकसित मौसंबी और अनार के क्लस्टर का निरीक्षण करने के बाद जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के ऊंचे क्षेत्रों के साथ-साथ मध्यम एवं कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी फलदार पौधों को बढ़ावा दिया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बागवानी विकास परियोजना (HDP) और एचपी शिवा परियोजना के माध्यम से हिमाचल के सभी जिलों में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों एवं अनुकूल जलवायु के अनुसार बड़े पैमाने पर फलदार पौधों का रोपण सुनिश्चित करवाएगी, जिससे प्रदेश के किसानों की आय में अच्छी वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा कि कैहडरू में एचपी शिवा परियोजना के तहत किए गए मौसंबी और अनार के पौधारोपण के काफी उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। यहां 55 किसानों की लगभग 8 हैक्टेयर भूमि पर मौसंबी तथा अनार के पौधे लगाए गए हैं और मात्र 3 वर्षों में ही इनमें काफी अच्छी मात्रा में फल लगने शुरू हो गए हैं। इसी प्रकार सुजानपुर के निकट गांव भलेऊ के क्लस्टर में अमरूद के पौधे लगाए गए हैं और इन पौधों से भी काफी अच्छी पैदावार हो रही है।

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जगत सिंह नेगी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत विकसित किए गए कैहडरू और भलेऊ के क्लस्टरों में अच्छे परिणामों को देखते हुए आने वाले समय में हमीरपुर जिले जैसे कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एचपी शिवा परियोजना के माध्यम से फल उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इस अवसर पर जगत सिंह नेगी ने बागवानों से सीधा संवाद भी किया और एचपी शिवा परियोजना के संबंध में फीडबैक लिया। उन्होंने बागवानी विभाग के अधिकारियों से भी परियोजना की प्रगति की जानकारी ली तथा उन्हें दिशा-निर्देश जारी किए।

बागवानी विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने बागवानी मंत्री को जिला हमीरपुर में विकसित किए गए क्लस्टरों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इस मौके पर एसडीएम मनीष कुमार सोनी, बागवानी विभाग और एचपी शिवा परियोजना से संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कैहडरू के बाद जगत सिंह नेगी ने शाम को नादौन के निकट गांव बाग-भरमोटी के क्लस्टर का भी निरीक्षण किया तथा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए।

शिमला: ‘म्हारी छोअटी म्हारी शान‘, माता-पिता बेटी के साथ लेंगे सेल्फी 

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