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हिमाचल : रात भर शिमला सचिवालय के बाहर डटे रहे SMC टीचर, फूटा गुस्सा

मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े थे शिक्षक

शिमला। हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में सेवारत एसएमसी (SMC) टीचर रातभर सचिवालय के बाहर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का इंतजार करते रहे। मगर मुख्यमंत्री उनसे मिलने नहीं आए।

इनमें बड़ी संख्या में महिला टीचर भी शामिल हैं। पूरी रात इन्होंने सचिवालय के बाहर सड़क पर बिताई। हालांकि देर शाम उनसे मिलने शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर पहुंचे, लेकिन वे सीएम से मिलने की मांग पर अड़े रहे।

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एसएमसी शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि हम अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास कर रहे हैं और पिछले 12 साल का संघर्ष उनके समक्ष रखना चाहते थे।

हम कोई तोड़फोड़ करने नहीं आए हैं, शांतिपूर्वक हक मांगने आए हैं। हमारी महिला साथी सड़कों पर हैं। महिलाओं को राष्ट्र निर्माता के नाम से भी जाना जाता है, पर आज यही राष्ट्रीय निर्माता सड़कों पर हैं। यह शर्म की बात है।

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हमारी मांग है कि एक स्थाई समाधान निकाला जाए और अगर यह नहीं निकलता तो हमारा प्रदर्शन और उग्र होगा। हमें कई आश्वासन दिए गए पर सभी झूठ के पुलिंदे थे।

सरकार के पास आपदा का एक बहुत बड़ा बहाना है, पर आपदा के लिए 4500 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कर दी गई है और हमारे लिए कुछ भी नहीं। यह हमारे साथ धोखा है।

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मुख्यमंत्री को ओक ओवर में मिलने का विकल्प भी दिया था, पर उन्होंने वह भी स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में इसे प्रमुखता से रखा था पर वह भी एक बहुत बड़ा झूठा निकला।

वहीं, चौपाल से SMC टीचर इंद्रा चौहान ने कहा कि हिमाचल सरकार को शर्म आनी चाहिए। रात भर बहू बेटियां सड़कों पर बैठी हुई हैं, कहां हैं हमारे राजा। सीएम साहब अपना चेहरा तक नहीं दिखा पा रहे हैं। क्या अपराध है हमारा। हमारे लिए नीति बनाए या हमारे लिए जहर लाकर दें।

कृपया हमारी सहनशीलता को चंडी काली का रूप धारण करने पर मजबूर ना करें। मुख्यमंत्री मिलने तो आ सकते हैं, हमारा हाल चाल पूछ सकते हैं कि हम क्यों आए हैं।

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गुस्सा दिमाग ही नहीं दिल और पेट भी करता है खराब, क्या है नुकसान जानें

गुस्सा ऐसी चीज है जो आपके रिश्तों को तो खराब करता ही है लेकिन इससे भी खतरनाक ये है कि ये आपके शरीर को भी बीमार करता है। गुस्से से दिमाग तो खराब होता ही है लेकिन इसके साथ ही दिल औऱ पेट भी खराब होता है। जी हां, ये कोई मजाक नहीं बिलकुल सच है।

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बाल्टीमोर के जॉन हॉपकिंस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर इलन शोर विटस्टीन का कहना है कि गुस्से या हताशा में शरीर के न्यूरो हॉर्मोनल सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है जो इमरजेंसी तक पहुंचा सकता है और लंबे समय में इंसान की मौत तक हो सकती है। गुस्सा हमारे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम से नर्वस सिस्टम तक को प्रभावित करता है।

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गुस्से से शरीर के हर हिस्से पर क्या असर पड़ता है हम आपको बताते हैं …

बीपी बढ़ना और नसों में सिकुड़न : ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के विशेषज्ञ डॉक्टर विटस्टीन कहते हैं- गुस्सा धमनियों को संकुचित करता है। पहले से कोई कार्डियोवस्कुलर बीमारी जैसे हाई बीपी या हाई कोलेस्ट्रॉल है तो दिल का दौरा पड़ सकता है। गुस्से से बीपी बढ़ने, नसों के सिकुड़ने के साथ इम्यून सिस्टम से पचाने वाले सेल निकलते हैं। यह सब एक साथ होता है। इससे धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं।

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याददाश्त होने लगती है कमजोर : गुस्से में दिमाग सही फैसले नहीं कर पाता। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में मनोरोग और बिहेवियरल न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर डॉक्टर रोयसे ली कहते हैं- किसी खास वजह से उत्तेजित होने पर दिमाग कुछ कर दिखाने के लिए भी प्रेरित करता है। इंसान गुस्से में वह कह और कर जाता है, जिसे वह पसंद नहीं करता। गुस्से में याददाश्त कमजोर होती है। किसी चीज पर केंद्रित नहीं हो पाते।

खाना नहीं पचता-भूख लगना बंद : भावनाओं और पेट का गहरा संबंध है। गुस्से की वजह से गैस्ट्रो की समस्या होने लगती है। खाना पचता नहीं है। कब्ज रहने लगता है। डॉक्टर एटिनजिन कहते हैं- गुस्से में पेट की मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं। कई बार आंते अपनी जगह से हट जाती हैं। इससे डायरिया तक हो सकता है। कई बार गुस्से की वजह से पेट में मरोड़ भी पड़ने लगते हैं। कई बार भूख लगना बंद हो जाती है।

 

ध्यान, प्राणायाम से खुद को रखें फिट : येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में क्लिनिकल मनोविज्ञानी और प्रोफेसर डॉक्टर वीलियम बर्ग कहते हैं- गुस्सा रोक पाना हमेशा संभव नहीं होता, लेकिन हम इसे कम कर सकते हैं। ध्यान, प्राणायाम के साथ खुद को फिट रखें और पूरी नींद लें। इससे आपको गुस्सा कम आएगा और आप स्वस्थ रह पाएंगे।

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