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हरिपुर में मनाया सुरक्षित मातृत्व दिवस, BMO संजय बजाज भी रहे मौजूद

महिलाओं को दी गईं विभिन्न जानकारियां

हरिपुर। हिमाचल के कांगड़ा जिला के देहरा विधानसभा क्षेत्र के तहत हरिपुर में सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया गया। इस अवसर पर बीएमओ ज्वालामुखी संजय बजाज, जन शिक्षा सूचना अधिकारी कांगड़ा जगतंबा मेहता, सीएमओ ऑफिस धर्मशाला की हेल्थ एजुकेटर अंजलि और सुपरवाइजर संजीव शर्मा आदि मौजूद थे। इसमें महिलाओं को मातृत्व देखभाल और सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं को दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

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बीएमओ ज्वालामुखी संजय बजाज ने बताया कि सीएमओ धर्मशाला के सौजन्य से हरिपुर में सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाने का मौका मिला। इसमें हरिपुर और आसपास से करीब 80 महिलाओं ने भाग लिया। महिलाओं को मातृत्व देखभाल के बारे में बताया। बताया गया कि कैसे सुरक्षित प्रसव करवाना है। साथ ही टीकाकरण और सरकार के कार्यक्रमों का कैसे लाभ लेना है कि जानकारी भी दी गई।

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जन शिक्षा सूचना अधिकारी जगदंबा मेहता ने कहा कि सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य यह है कि शिशु मृत्यु दर को कैसे रोक सकते हैं। सरकार के द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए कई स्कीमें चलाई हैं। सरकार मुफ्त डिलीवरी की सुविधा प्रदान कर रही है।

एक साल के बच्चों का फ्री इलाज सरकार की तरफ से होता है। साथ ही सभी टेस्ट फ्री होते हैं। हेल्थ एजुकेटर अंजलि ने कहा कि महिलाओं को मां और बच्चे सेहत के बारे जागरूक किया गया।

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नूरपुर अस्पताल में वर्षों से धूल फांक रही अल्ट्रासाउंड मशीन, गर्भवती महिलाएं परेशान

इलाज के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों में ढीली करनी पड़ रही जेब

ऋषि महाजन/नूरपुर। हर किसी को बेहतर इलाज मिले, इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन हकीकत बिल्कुल जुदा है। प्रदेश में सेहत महकमे के हुक्मरान भले ही सब कुछ चुस्त-दुरुस्त होने के दावे करते नहीं थक रहे हों, लेकिन इनके दावों में दम नहीं है।

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आज हम यहां बात कर रहे हैं नूरपुर सिविल अस्पताल की जहां दिन पर दिन स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी होती जा रही हैं और मरीजों को बेहतर इलाज देने के सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
वैसे तो नूरपुर अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर 200 बेड का हो चुका है। अस्पताल में डॉक्टरों के स्वीकृत 34 पद हैं जबकि वर्तमान में महज 28 डॉक्टर कार्यरत हैं।

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अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद गत चार वर्षों से रिक्त चल रहा है। जिसके चलते लाखों की मशीन वर्षों से धूल फांक रही है। जिसके चलते नूरपुर हल्के के चार विधानसभा क्षेत्रों नूरपुर, फतेहपुर, इंदौरा, ज्वाली के अलावा भटियात के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।हालांकि इस दौरान कुछ माह के लिए यहां अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की नियुक्ति हुई थी लेकिन कुछ माह बाद ही यहां से उनका टांडा को स्थानांतरित कर दिया गया।

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अल्ट्रासाउंड ना होने से मरीजों को निजी अस्पताल,पठानकोट या टांडा मेडिकल कॉलेज का रुख करना पड़ता है। डॉक्टर विशेषकर गर्भवती महिलाओं को दो से तीन बार गर्भ में बच्चे की ग्रोथ को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने की डॉक्टर सलाह देते हैं। हर बार गर्भवती परिवार के परिजनों को निजी अस्पतालों में जेब ढीली करनी पड़ती है। वहीं, नूरपुर व जसूर के निजी हस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए महंगे दामों पर इन महिलाओं के परिजनों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही है।

 

इसमें गरीब व बीपीएल परिवारों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है क्योंकि सरकार द्वारा बनाए गए हेल्थ कार्ड के निजी अस्पतालों में मान्य नहीं होते । अगर यह सुविधा नूरपुर अस्पताल में उपलब्ध होती है तो अन्य वर्गों के लोगों को भी नाम मात्र दामों पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा प्राप्त हो सकती है। जसूर की रजनी देवी का बीपीएल कार्ड होने के बावजूद उसे निजी अस्पताल में जाकर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ा।

 

भडवार की चंपा, खन्नी की स्नेहलता को भी कमोबेश इन्हीं परिस्थितियों का सामना करते हुए नूरपुर व बोड़ स्तिथ निजी अल्ट्रासाउंड में जाकर अपना स्कैन करवाना पड़ा। इन महिलाओं का कहना है कि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे करती रहती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

 

वहीं, इसको लेकर नूरपुर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर सुशील शर्मा का कहना है कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ के पद रिक्त होने के सम्बंध में विभाग को समय समय पर जानकारी भेजी जाती है।

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