86 स्वयं सहायता समूहों ने बनाए ऑर्गेनिक रंग
नाहन। होली का पर्व आने वाला है और अब सिंथेटिक रंगों की अपेक्षा ऑर्गेनिक यानि प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल का प्रचलन धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। सिरमौर जिला में पिछले कुछ साल से प्रशासन के सहयोग और मार्गदर्शन से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ऑर्गेनिक रंग तैयार कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रही हैं। यह एक नई शुरूआत है और अनुकरणीय है। इस बार भी महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं।
सिरमौर जिला में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के माध्यम से बेहतरीन कार्य कर रहा है। इस मिशन के तहत जिला में स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को विभिन्न स्वरोजगार अपना कर उनकी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
समूहों द्वारा तैयार इन रंगों को डीआरडीए के खंड स्तर पर निर्मित हिमिरा शॉप में विक्रय के लिए रखा जा रहा है। कुछ समूह अपने स्तर पर रंगों को तैयार कर बाजार में विक्रय कर रहे हैं। पिछले वर्ष करीब 30 स्वयं सहायता समूहों ने होली के प्राकृतिक रंग बनाए थे और लोगों ने इन्हें खूब पसंद किया। इसी से प्रेरित होकर इस बार भी स्वयं सहायता समूहों ने होली के ऑर्गेनिक रंगों को तैयार करने का अनुकरणीय कदम उठाया है।
नाहन के समीप देवनी पंचायत का बंधन स्वयं सहायता समूह होली के ऑर्गेनिक रंगों को तैयार करने की दिशा में पिछले दो वर्षों से आगे बढ़ रहा है। इस समूह ने इस बार होली के लिए पांच रंगों का करीब 50 किलो हर्बल गुलाल रंग तैयार किया है। समूह ने मोगीनंद के मुख्य मार्ग पर स्टाल लगाकर इस रंग का विक्रय करने की तैयारी कर ली है।
समूह की प्रधान शिप्रा राय कहती हैं कि इस बार हमारे पास होली पर ऑर्गेनिक रंगों की एडवांस बुकिंग आ गई है। हमारी पंचायत और आसपास के क्षेंत्रों के लोगों की ऑर्गेनिक रंगों की काफी डिमांड है। किन्तु इस साल हम केवल 50 किलो रंग ही बना पा रहे हैं। पिछले साल हमने 25 किलो रंग तैयार किया था। लोगों की डिमांड और बढ़ते रूझान को देखते हुए अगले साल की होली के लिए हमारा लक्ष्य 100 किलोग्राम तक का है।
शिप्रा बताती हैं कि होली का ऑर्गेनिक रंग अरारोट के आटे के साथ तैयार किया जाता है। अरारोट के आटे में फूड कलर यानि होली का जो रंग आपको बनाना हो उसी रंग का फूड कलर डाल कर तैयार किया जाता है। रंग को खुश्बुदार बनाने के लिए इसमें इत्र और गुलाब जल भी डाला जाता है। इस प्रकार इन मिश्रणों से त्वचा, आंखों और स्वास्थ्य के अनुकूल ऑर्गेनिक रंग तैयार हो जाता है। बंधन स्वयं सहायता समूह ने 100 ग्राम ऑर्गेनिक रंग का मूल्य 20 रुपये रखा है यानि 200 रुपये प्रति किलो। समूह की सदस्य कहती हैं कि अरारोट का आटा, इत्र, गुलाब जल, पैकिंग और महिलाओं के श्रम को शामिल किया जाए तो अच्छी बचत हो रही है।
यदि हम 100 किलो से ऊपर रंग तैयार कर लें तो और अच्छी आय हो सकती है। समूह में शिप्रा राय, ऊषा, संगीता, कमलेश, सीमा, फरीदा, रूपा, रफिया, छीमा देवी, बलकिश और आशिया आर्थिक रूप से निर्भर होने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियों से जुड़ रही हैं। होली के रंगों के साथ आचार, पापड़ और दूसरे उत्पाद भी तैयार किये जा रहे हैं।
उपायुक्त सिरमौर आर.के. गौतम कहते हैं कि सिरमौर जिला में स्वयं सहायता समूह बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी 86 स्वयं सहायता समूह होली के ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रहे हैं। कुछ समूह जहां अरारोट के साथ फूड कलर मिलाकर रंग बना रहे हैं तो कई समूह पालक, चुकंदर और गेंदे के फूल से हर्बल कलर बना रहे हैं। यह एक बेहतरीन और सरानीय प्रयास है। इससे जहां आम जन को होली पर ऑर्गेनिक रंग उपलब्ध होंगे वहीं हमारे समूहों की महिलाओं की आमदनी भी बढ़ेगी। ऑर्गेनिक रंग त्वचा, आंखें और स्वास्थ्य की दृष्टि से अनकूल हैं और पर्यावरण के लिए भी लाभदायक हैं।
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परियोजना अधिकारी जिला ग्रामीण विकास अभिकरण सिरमौर अभिषेक मित्तल कहते हैं कि सिरमौर जिला में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे हैं। इस बार 86 समूह होली के लिए ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रहे हैं। हम ऐसे समूहों को अपनी शुभकामनाएं देते हैं और उनसे अपेक्षा करते हैं कि वह अन्य उत्पादों को भी तैयार करें। हम इन सभी समूहों को सरकार की नीति के अनुरूप यथ संभव सहयोग करेंगे और उनका मागदर्शन करेंगे