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शिमला। होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल मामले में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की संपदा को नुकसान न हो इसका यह सरकार का दायित्व है। सरकार 22 साल से इस लड़ाई को लड़ रही है।
कोर्ट ने हमारे हक में फैसला सुनाया है उसके बाद कल सरकार ने उसे अधिग्रहण किया लेकिन कोर्ट ने इस पर स्टे लगाया है। अब मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के पास हाइड्रो और पर्यटन है सरकार दोनों में अपने हक की लड़ाई लड़ रही है। लीज के बाद प्रदेश को एक पैसा नहीं मिला है।
हम अपनी संपदा को लुटने नहीं देंगे। सरकार कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी। यह प्रदेश के लोगों का अधिकार है और हम उसे लेकर रहेंगे।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला के छराबड़ा में ओबरॉय ग्रुप के होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में सरकार के कब्जे को गलत ठहराते हुए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर स्टे लगा दिया है।
सरकार ने बीते कल हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए होटल पर अपना कब्ज़ा कर एडमिनिस्ट्रेटर को बैठा दिया था, लेकिन मामले को लेकर कल दोपहर बाद हाई कोर्ट ने कब्जे पर स्टे लगाते हुए होटल को यथावत रखने के आदेश दिए हैं।
दरअसल, हाई कोर्ट के आदेशों को समझने में सरकार से बड़ी चूक हुई और होटल पर कब्ज़ा कर दिया। इसके बाद आज ओबेरॉय ग्रुप की तरफ से कोर्ट के ध्यान में मामला लाया गया जिसमें कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ने गलत तरीके से होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में कब्जा किया है जबकि कोर्ट के ऐसी कोई भी आदेश नहीं थे।
मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने होटल पर कब्जा किया है। हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ये हिमाचल प्रदेश टूरिज्म की प्रॉपर्टी थी, ओबरॉय ग्रुप के साथ समझौते के मुताबिक सरकार का 120 करोड़ रुपएं नहीं लौटाए जो कि करार हुआ था इसलिए कोर्ट के आदेश के मुताबिक हमने इसको कब्जे में लिया है। आज के आदेशों की उनको जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि लगभग 22 साल से होटल को लेकर सरकार से विवाद चल रहा है। पहले होटल को लेकर कोई चार्ज सरकार नहीं ले रही थी लेकिन अब लीज पर प्रॉपर्टी देने का निर्णय लिया गया है और रेंट आर्बिटेटर ने तय किया है जिसे देने के लिए कंपनी तैयार है लेकिन होटल को अवार्ड करने का अंतिम निर्णय कोर्ट लेगा।
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला के छराबड़ा में ओबरॉय ग्रुप के होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में सरकार के कब्जे को गलत ठहराते हुए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर स्टे लगा दिया है।
सरकार ने बीते कल हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए होटल पर अपना कब्ज़ा कर एडमिनिस्ट्रेटर को बैठा दिया था, लेकिन मामले को लेकर कल दोपहर बाद हाई कोर्ट ने कब्जे पर स्टे लगाते हुए होटल को यथावत रखने के आदेश दिए हैं।
दरअसल, हाई कोर्ट के आदेशों को समझने में सरकार से बड़ी चूक हुई और होटल पर कब्ज़ा कर दिया। इसके बाद आज ओबेरॉय ग्रुप की तरफ से कोर्ट के ध्यान में मामला लाया गया जिसमें कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ने गलत तरीके से होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में कब्जा किया है जब्कि कोर्ट के ऐसी कोई भी आदेश नहीं थे।
ओबेरॉय ग्रुप की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट राकेश्वर लाल सूद ने बताया कि सरकार ने गलत तरीके से होटल पर कब्जा करने की कोशिश की है जिस पर स्टे लगा दिया है। अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी जबकि 15 दिसंबर को होटल को अवार्ड करने को लेकर कोर्ट निर्णय लेगा।
वहीं, सरकार की तरफ से मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने होटल पर कब्जा किया है।
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ये हिमाचल प्रदेश टूरिज्म की प्रॉपर्टी थी ओबरॉय ग्रुप के साथ समझौते के मुताबिक सरकार का 120 करोड़ रुपएं नहीं लौटाए जो करार हुआ था इसलिए कोर्ट के आदेश के मुताबिक हमने इसको कब्जे में लिया है। आज के आदेशों की उनको जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि लगभग 23 साल से होटल को लेकर सरकार से विवाद चल रहा है। पहले होटल को लेकर कोई चार्ज सरकार नहीं ले रही थी लेकिन अब लीज पर प्रॉपर्टी देने का निर्णय लिया गया है और रेंट आर्बिटेटर ने तय किया है जिसे देने के लिए कंपनी तैयार है लेकिन होटल को अवार्ड करने का अंतिम निर्णय कोर्ट लेगा।