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सिरमौर : खैरी-लानाचेता हादसे के मृतकों का अंतिम संस्कार, तीन जगह जली चिताएं

राजगढ़। सिरमौर जिला में खैरी-लानाचेता मार्ग पर पबौर के पास हुए सड़क हादसे में एक परिवार ही के चार लोगों की जान चली गई। उपमंडल राजगढ़ की तीन पंचायतों में मातम छाया हुआ है।

हादसे में मां-बाप, बेटी और मामा की मौत हुई है। मंगलवार को दाहन पंचायत के रूग में दंपती की एक साथ चिता जली तो भूइरा पंचायत के थनोगा में उनकी बेटी रेखा और बोहल टालिया पंचायत के फग्गू में उनके रिश्तेदार कमलराज की चिता जली। इस घटना से समूचे क्षेत्र में शोक का माहौल है।

सिरमौर में बड़ा हादसा, पति-पत्नी सहित चार की गई जान

मंगलवार शाम तीन पंचायतों में चार लोगों की चिताएं चलीं तो माहौल गमगीन हो गया। राजगढ़ तहसील की पंचायत दाहन के गांव रूग के जीवन सिंह और उनकी पत्नी सुमा देवी का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। दंपती ने सात फेरों का वचन अंतिम सांस तक निभाया और चिता में भी अंतिम साथ दिया।

पिता के बाद दो मासूमों के सिर से उठा मां का साया

जीवन सिंह कुछ साल पहले लोक निर्माण विभाग से बेलदार सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने अपनी बेटी रेखा का विवाह भूइरा पंचायत के थनोगा में करवाया था। रेखा के पति का भी देहांत हो चुका है। इसके बाद उनकी बेटी मायके में अपनी 8 वर्षीय बेटी अनामिका और पांच साल के ईशांत के साथ रह रही थी। बच्चों के सिर से पहले ही पिता का साया उठ गया था और अब मां भी दुनिया में नहीं रही। अब बच्चों की सारी जिम्मेदारी उनके मामा बलदेव समेत उनके परिवार पर आ गई है।

दूसरी तरफ बोहल टालिया पंचायत के फग्गू में भी माहौल गमगीन है। रिश्ते में जीवन सिंह के सगे साले यानी रेखा के मामा 40 वर्षीय कमलराज की भी हादसे में मौत हो गई।

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पबौर के पास खाई में गिरी थी कार

बता दें कि सिरमौर जिला में पुलिस स्टेशन संगड़ाह के तहत खैरी-लानाचेता मार्ग पर पबौर के पास मंगलवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे एक कार अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। हादसे में चार लोगों कमल राज (40), जीवन सिंह (63) व सुमा देवी (54) पत्नी जीवन सिंह निवासी गांव फग्गू दाहन राजगढ़ व जीवन सिंह की बेटी रेखा (25) निवासी थनोगा राजगढ़ की मौके पर मौत हो गई। रेखा विधवा थीं। कमल राज सुमा देवी का भाई था।

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यह लोग लानाचेता में अपने रिश्तेदार के घर गए थे और वापस दाहन लौट रहे थे। सूचना मिलने पर संगड़ाह पुलिस स्टेशन की टीम ने हैड कांस्टेबल कुश शर्मा की अगुवाई में मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक जांच में चालक की लापरवाही के चलते हादसा हुआ।

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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दुर्घटना में चार व्यक्तियों के निधन पर शोक प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को प्रभावित परिवारों की हर संभव सहायता के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और शोक संतप्त परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। विधायक रीना कश्यप ने भी हादसे को लेकर शोक प्रकट किया है।

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सिरमौर के संगड़ाह में बड़ा हादसा, पति-पत्नी सहित चार की गई जान

खैरी-लानाचेता मार्ग में पबौर के पास हुआ हादसा

संगड़ाह। हिमाचल के कांगड़ा जिला के बाद अब सिरमौर जिला में बड़ा हादसा हुआ है। खैरी-लानाचेता मार्ग पर पबौर के पास एक कार के खाई में गिरने से पति और पत्नी और बेटी सहित चार लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। हादसा आज सुबह करीब साढ़े पांच बजे हुआ है।

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बता दें कि सिरमौर जिला में पुलिस स्टेशन संगड़ाह के तहत खैरी-लानाचेता मार्ग पर पबौर के पास एक कार अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। हादसे में चार लोगों कमल राज (40), जीवन सिंह (63) व सुमा देवी (54) पत्नी जीवन सिंह निवासी गांव फग्गू दाहन राजगढ़ व जीवन सिंह की बेटी रेखा (25) निवासी थनोगा राजगढ़ की मौके पर मौत हो गई। रेखा विधवा थीं। कमल राज सुमा देवी का भाई था।

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यह लोग लानाचेता में अपने रिश्तेदार के घर गए थे और वापस दाहन लौट रहे थे। सूचना मिलने पर संगड़ाह पुलिस स्टेशन की टीम ने हैड कांस्टेबल कुश शर्मा की अगुवाई में मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में चालक की लापरवाही के चलते हादसा हुआ है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दुर्घटना में चार व्यक्तियों के निधन पर शोक प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को प्रभावित परिवारों की हर संभव सहायता के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और शोक संतप्त परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

गौरतलब है कि कांगड़ा जिला के धर्मशाला के योल के पास उथड़ाग्रा में रविवार को बड़ा हादसा हुआ था। गेंहू की फसल से भरा कैंटर खाई में गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में तीन एक ही परिवार के थे। हादसे में पांच ही लोग घायल हैं।

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कुल्लूः खाई में गिरी जीप, पति और पत्नी की मौत-चालक घायल

मामला दर्जकर जांच में जुटी पुलिस

कुल्लू। हिमाचल में सड़क हादसों का सिलसिला जारी है। अब हिमाचल के कुल्लू जिला में एक जीप के खाई में गिरने से पति और पत्नी की मौत हो गई है। वहीं, एक व्यक्ति घायल है। पुलिस ने मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है। बता दें कि आज दोपहर बाद चौंग रोड कैंची मोड़ सरसाड़ी के निकट एक जीप अनियंत्रित होकर करीब 150 फीट गहरी खाई में जा गिरी।

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हादसे का पता चलने पर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और मामले की सूचना पुलिस को भी दी गई। खाई में गिरे लोगों को बाहर निकाला गया। हादसे में पति की मौके पर जान चली गई। वहीं, पत्नी ने रास्ते में दम तोड़ा।

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हादसे में लुदर चंद (43) पुत्र धनीराम व द्रोपती देवी (42) पत्नी लुदर चंद गांव सारणी डाकघर जल्लूग्रां जिला कुल्लू की मौत हुई है। हादसे में जीप चालक राजेंद्र पुत्र जीवन लाल गांव चौंग डाकघर जल्लूग्रां जिला कुल्लू घायल हुआ है। घायल का इलाज जिला अस्पताल कुल्लू में चल रहा है। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। कल पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपे जाएंगे।

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हादसे में मृतक दंपति का बेटा देवराज 11वीं कक्षा पढ़ता है। उनकी एक बेटी वैष्णवी है। अब दोनों के पालन-पोषण का जिम्मा बूढ़ी दादी पर आ गया है। वहीं 67 वर्षीय नूपदासी बेटे व बहू की मौत से सदमे में है।

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पति के जिंदा रहते यहां पत्नी बिताती है विधवा का जीवन, बड़ी अजब है कहानी, पढ़ें

पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक गछवाहा समुदाय की है ये परंपरा

नई दिल्ली। एक सुहागन के लिए उसका सिंदूर, बिंदी, महावर, मेहंदी जैसी चीजें बहुत मायने रखती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार ये सभी चीजें सुहाग का प्रतीक होती हैं। कोई औरत इन चीजों को तभी त्यागती है जब उसके पति की मृत्यु हो जाती है। इससे पहले ऐसा करने का कोई सोच भी नहीं सकता। हम जो आपको बताने वालें हैं वो बात ही कुछ हैरान करने वाली है। हमारे देश में एक समुदाय ऐसा है जहां पर महिलाएं पति के जिंदा होते हुए भी हर साल कुछ साल विधवाओं की तरह रहती हैं। बात तो हैरान करने वाली है कि आखिर भला वो ऐसे क्यों करती हैं वो भी पति के जिंदा रहते हुए। हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

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पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक गछवाहा समुदाय है जिसमें इस तरह का रिवाज है। इस समुदाय की महिलाएं लंबे समय से इस रिवाज को मानती आ रही है और इसका पूरी निष्ठा से पालन भी करती हैं। ये महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए हर साल विधवाओं की तरह रहती हैं। दरअसल, यहां के आदमी लगभग पांच महीने तक पेड़ों से ताड़ी उतारने (एक तरह का पेय पदार्थ) का काम करते हैं। इस दौरान जिन महिलाओं के पति पेड़ से ताड़ी उतारने जाते हैं वे महिलाएं विधवाओं की तरह रहती हैं। वे न ही सिंदूर लगाती हैं, न बिंदी, महिलाएं किसी भी तरह का कोई श्रृंगार नहीं करती हैं। यहां तक कि वह उसी तरह उदास रहती हैं जैसे उनका पति है ही नहीं।

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गछवाहा समुदाय में तरकुलहा देवी को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। जिस दौरान पुरुष ताड़ी उतारने का काम करते हैं तो उनकी पत्नियां अपना सारा श्रृंगार देवी के मंदिर में रख देती हैं। दरअसल जिन पेड़ों (ताड़ के पेड़) से ताड़ी उतारी जाती है वे बहुत ही ऊंचे होते हैं और जरा सी भी चूक व्यक्ति की मौत की वजह बन सकती है इसलिए यहां की महिलाएं कुलदेवी से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और श्रृंगार को उनके मंदिर में रख देती हैं। है ना ये अजीब लेकिन लोग इस परंपरा को सदियों से मनाते आ रहे हैं। आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। इसी तरह की जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ewn24 के साथ ।

 

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