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करवा चौथ 2022 : इस बार नई दुल्हनें नहीं रख पाएंगी पहला व्रत, ये है वजह

इस वर्ष उद्यापन भी नहीं कर पाएंगी महिलाएं

हिंदू धर्म में सुहागिनों का महापर्व यानी करवा चौथ व्रत आ रहा है लेकिन नई दुल्हनें पहले ये खबर पढ़ लें उसके बाद ही व्रत की सोचें। अगर आपकी शादी हाल ही में हुई है और आपका पहला करवा चौथ का व्रत है तो इस बार आप व्रत नहीं रख पाएंगीं। जी हां, इसकी वजह ये शुक्र अस्त है। सुख-वैभव, प्रेम, वैवाहिक सुख देने वाले शुक्र ग्रह के अस्त होने से इस बार पहली बार सुहागिनों को व्रत रखने से बचना चाहिए।

कोई सुहागिन पहली बार करवा चौथ व्रत रख रही है तो व्रत शुरू न करें। शुक्र अस्त होने से इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही इस वर्ष जो महिलाएं करवा चौथ का उद्यापन करना चाहती हैं वह भी नहीं कर पाएंगी।

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20 नवंबर तक शुक्र अस्त का मान रहने से इस दौरान शुभ कार्य वंचित होंगे। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी नहीं होंगे। शुक्र ग्रह का अस्त होना सभी लोगों के धन, सुख, प्रेम और वैवाहिक जीवन पर बड़ा असर डालता है। सामान्यत: शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने पर मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।

करवा चौथ पूजन की बात करें तो 13 अक्टूबर गुरुवार को चतुर्थी शाम 5:45 से 6:59 बजे तक रहेगी। इस दौरान पूजन का शुभ मुहूर्त है। इस बार करवा चौथ में चांद का पूजन विशेष फलदायी होगा। चंद्रमा का पूजन स्त्रियों के लिए पति और बच्चों के लिए अच्छा रहेगा। पूजन चंद्रोदय के पहले करना उत्तम होगा। चंद्रोदय रात 8.07 बजे होगा। इससे पहले प्रदोष बेला में 7.30 बजे तक पूजन कर सकते हैं। चतुर्थी 13 को सुबह 3:01 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को 5:43 बजे तक रहेगी।

करवा चौथ की पूजा का महत्व

जिस करवा चौथ व्रत वाले दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए रात्रि के समय चंद्रमा की विशेष रूप से पूजा करती हैं, उसे करक चतुर्थी भी कहते हैं।करवा या फिर करक की बात करें तो इसका हिंदी अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है। इसी करवा के जरिए महिलाएं करवा चौथ की रात को चंद्र देवता को अर्घ्य देती हैं। हिंदू धर्म में मिट्टी के बर्तन को बहुत ज्यादा पवित्र माना गया है। यही कारण है कि महिलाएं न सिर्फ इस दिन करवा से चंद्र देवता को अर्घ्य देती हैं, बल्कि इसका विशेष रूप से ब्राह्मण महिला को दान करके उनसे आशीर्वाद भी लेती हैं।

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

करवा चौथ के दिन महिलाओं को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए और दिन में शिव परिवार की पूजा करने के बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। इसके बाद रात्रि में 16 श्रृंगार करने के बाद घर के उत्तर पूर्व दिशा यानी पूजा स्थान पर करवा चौथ की पूजा का चित्र बनाएं या बाजार से लाया हुआ कैलेंडर का पूजा के लिए प्रयोग करें।

करवा चौथ की पूजा करने के लिए सबसे पहले चावल के आटे में हल्दी मिलाकर आयपन बनाएं। इसके बाद इससे स्वच्छ भूमि या चौकी पर सात घेरे बनाएं और उसके ऊपर उस चित्र को रखें। इसके बाद मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और उसमें दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें। करवा में आप 21 सींकें लगाएं और उसके ऊपर रखे दीपक को जलाएं।

इसके बाद छलनी से चंद्र देवता के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें. करवा चौथ की पूजा में इस व्रत से जुड़ी कथा जरूर सुनें। करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न होने पर अपने पति एवं घर के बड़े लोगों का पैर जरूर छुएं। करवा चौथ का व्रत अपने पति को पूजा के लिए बनाए गए भोग प्रसाद को खिलाने के बाद ही खोलें।

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