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शिमला : SFI ने HPU में किया प्रदर्शन, मांगें ना मानने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

ईआरपी सिस्टम को लेकर भी छात्रों में है रोष

शिमला । हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एसएफआई इकाई ने छात्रों की समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के कार्यालय के बाहर उग्र प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई सह सचिव संतोष ने कहा कि एसएफआई पिछले लंबे समय से रिवॉल्यूशन के रिजल्ट को लेकर लगातार प्रदेश भर में आंदोलनरत है। परंतु, इसके बावजूद भी प्रशासन अभी तक आधे अधूरे परिणाम ही घोषित कर पाया है। जिसकी वजह से प्रदेशभर के अनेक छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। जो रिजल्ट घोषित भी हुए हैं उनमें ईआरपी की खामियों के चलते अनेक अनियमितताएं पाई गई है।

एसएफआई ने कहा कि ईआरपी सिस्टम में सुधार को लेकर भी अनेक बार प्रशासन को चेताया है लेकिन प्रशासन इस ओर भी कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। एसएफआई ने कहा यूजी परीक्षाओं के परिणाम को आए 100 से अधिक दिन हो गए हैं परन्तु हालात यह है कि विश्वविद्यालय 100 दिनों के अंदर भी रिवॉल्यूशन के परिणामों को घोषित कर पाने में नाकाम है । जो परिणाम अभी तक विश्वविद्यालय ने घोषित किए हैं उसके अंदर भी काफी खामियां ईआरपी सिस्टम के चलते देखने को मिली हैं।

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एसएफआई इसका विरोध करती है और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि इन परिणामों को जल्दी से जल्दी घोषित किया जाए। अधूरे परिणाम के चलते छात्रों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस धरने में आगे बात रखते हुए एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हरीश ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंदर पिछले लंबे समय से स्थाई कुलपति नहीं है। पिछले कुलपति और वर्तमान में भाजपा राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार ने इस विश्वविद्यालय को आउट सोर्स भर्तियों का अड्डा बना कर रख दिया था जिसके परिणाम आज प्रदेश भर का छात्र भुगत रहा है।

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साथ ही उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन होने पर हम उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस विश्वविद्यालयों को स्थाई कुलपति मिलेगा परंतु आज 3 महीने से अधिक समय होने के बावजूद भी विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं की गई है । यह सरकार के इस विश्वविद्यालय के प्रति नकारात्मक रवैया को दर्शाता है। एसएफआई प्रदेश सरकार से मांग करती है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर जल्द से जल्द स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जाए।

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एसएफआई का मानना है कि इन सभी समस्याओं का मूल कारण छात्रों के पास अपनी समस्याओं को उठाने का मंच ना होना है। वह मंच एससीए था परंतु 2013 के बाद से ही प्रदेश भर में एससीए इलेक्शन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। छात्रों को उनके जनवादी अधिकार से दूर रखने का काम बीजेपी तथा कांग्रेस दोनों ही सरकारों ने समान रूप से किया है। ऐसे में जब छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के पास जाता है तो प्रशासन छात्र मांगों को गंभीरता से ना लेकर टालमटोल करने की कोशिश करता है। एसएफआई ने कहा कि सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की दोनों ने ही छात्रों को उनके अधिकारों से वंचित रखा है।

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एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। यदि छात्र मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय के साथ साथ पूरे प्रदेश के अंदर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी और अथॉरिटी का उग्र घेराव किया जाएगा। जिसका जिम्मेदार यूनिवर्सिटी प्रशासन तथा प्रदेश सरकार होगी।

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