नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमल तो दूसरे में कमंडल रहता रहता है। शास्त्रों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की जिसके के बाद इनका नाम तपश्चारिणी अथवा ब्रह्मचारिणी रखा गया। इनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इनको प्रसन्न करने का मंत्र ये है-
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।