रेखा चंदेल/झंडूता। सर्दी, गर्मी और बरसात में सबको आश्रय देने वाली वर्षा शालिका खुद असहाय नजर आ रही है। विभागीय अनदेखी का शिकार बनी यह शालिका मरम्मत और रखरखाव की बाट जोहती दिख रही है।
जी हां, बात हो रही है घुमारवीं शहर के अबढाणी चौक पर बनी वर्षा शालिका की, जो सभी यात्रिओं को रात-दिन सर्दी, गर्मी और बरसात में आश्रय दे रही है, लेकिन इसकी दयनीय स्थिति को देखकर कोई भी यात्री इसके अंदर जाने से कतरा रहे हैं ।
परिणामस्वरूप यह लावारिस घूमने वाले पशुओं का ठिकाना बन गई है। शालिका की हालत यह है कि इसकी छत्त और दीवारें मरम्मत न होने के कारण जर्जर हो गई हैं। छत्त और दीवारों पर घास उग गई है। छत्त टूट-टूटकर गिर रही है। दीवारों का प्लास्टर उखड़ चुका है। बैठने को बने बैंच टूटे-फूटे हैं।
शालिका की स्थिति को देखकर लगता है कि जब से यह निर्मित हुई है उसके बाद इसकी मरम्मत नहीं हुई है। विभाग भी इसे बनाने के बाद इसकी सुध-बुध लेना भूल गया है। खेद का विषय है कि इतने व्यस्त चौक पर स्थित इस शालिका की दयनीय हालत पर क्यों किसी का ध्यान नहीं जाता।
अगर समय रहते इस शालिका की मरम्मत और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह जमींदोज हो सकती है। शासन, प्रशासन और विभाग से अनुरोध है कि शीघ्र-अतिशीघ्र इस आश्रय स्थल की मरम्मत करें ताकि लोगों को राहत मिल सके।