ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित कंडवाल बैरियर रोजाना सैकड़ों भारी वाहनों की आवाजाही का मुख्य प्रवेशद्वार है। क्रेशर मैटेरियल, ईंट, सरिया, सीमेंट और अन्य भारी सामान से लदे 16, 18 और 22 टायरों वाले ट्रक यहां से गुजरते हैं। पर हैरानी की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण बैरियर पर आज तक भार तोलक मशीन (धर्म कांटा) स्थापित नहीं हो सकी है।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति पहले ही ठीक नहीं है, ऐसे में राजस्व बढ़ाने का सीधा अवसर यूं हाथ से फिसलना चौकाने वाला है। वर्षों पहले मशीन लगाने का प्रस्ताव तैयार हुआ, लेकिन फोरलेन निर्माण का हवाला देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब फोरलेन पूरा होने के बाद भी विभाग एनओसी न मिलने का बहाना बनाकर बैठा है।
धर्म कांटा न होने की वजह से रोजाना ओवरलोडेड ट्रक बिना वजन जांच के हिमाचल में प्रवेश कर रहे हैं। इससे सरकार को प्रतिदिन लाखों और सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
ओवरलोडेड वाहनों की मार नव-निर्मित फोरलेन भी झेल रही है। कई जगह सड़क धंस चुकी है, किनारे टूट रहे हैं और ट्रैफिक सुरक्षा पर भी गहरा खतरा मंडरा रहा है। विभागीय सुस्ती अब सीधे-सीधे सड़क सुरक्षा और सरकारी संपत्ति पर असर डाल रही है।
मानवाधिकार मंच के सह-संयोजक राजेश पठानिया ने इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि तुन्नूहट्टी जैसे कम व्यस्त बैरियर पर धर्म कांटा चल रहा है, लेकिन कंडवाल जैसे भारी ट्रैफिक वाले बैरियर पर मशीन न लगना कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने इस मामले को जांच योग्य बताते हुए कहा कि प्रदेश को हर साल भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने सरकार व विभाग से कंडवाल बैरियर पर धर्म कांटा शीघ्र स्थापित करने की अपील की है। उनका कहना है कि राजस्व हानि रोकना और ओवरलोडिंग पर अंकुश लगाना सरकार की जिम्मेदारी है, और इसके लिए विभाग को अब और बहानेबाजी नहीं करनी चाहिए।
आरटीओ कांगड़ा मनीष कुमार सोनी ने बताया कि धर्म कांटा लगाने के लिए आरटीडीसी को फंड जमा कर दिए गए हैं। उनका कहना है कि जैसे ही एनओसी मिलेगी, काम शुरू हो जाएगा।