1993 में कांग्रेस तो 2007 में भाजपा ने किया था क्लीन स्वीप
सोलन। हिमाचल के सोलन जिला में भाजपा ने कांग्रेस से 1993 का बदला 2007 में लिया था। 1993 में कांग्रेस ने सोलन जिला में क्लीन स्वीप किया था। भाजपा ने 2007 में क्लीन स्वीप कर बदला ले लिया। इसके बाद आंकड़ा तीन दो का ही रहा है।
देहरा अब कौन होगा तेरा, होशियारी कहीं पड़ न जाए भारी- पढ़ें खबर
2017 विधानसभा चुनाव में हिमाचल के सोलन जिला की अर्की सीट पर सबकी नजर थी। इसका कारण इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का चुनाव लड़ना था। अपने पुत्र विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक करियर के लिए वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण की जगह अर्की से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
अर्की सीट ऐसी सीट थी जिस पर पिछले दो चुनाव 2012 और 2007 से कांग्रेस हारती आ रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अर्की से चुनाव लड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया था। उनका मुकाबला भाजपा से रतन सिंह पाल से हुआ। इसमें वीरभद्र सिंह 6051 मतों से जीते थे।
सोलन जिला के पांच विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो तीन पर कांग्रेस और दो पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
हिमाचल कैबिनेट की आगामी बैठक 6 को, महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा संभव
अर्की, नालागढ़ व सोलन कांग्रेस की झोली में गई। दून व कसौली पर भाजपा ने जीत दर्ज की। दो विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबला काफी क्लोज रहा था। सोलन सीट पर कांग्रेस के डॉ. (कर्नल) धनीराम शांडिल भाजपा के राजेश कश्यप से 671 वोट से जीते थे।
कसौली में भाजपा के डॉ. राजीव सैजल कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी से 442 मतों से जीते थे। 2012 विधानसभा चुनाव में तो डॉ राजीव सैजल ने मात्र 24 वोटों से जीत दर्ज की थी। राजीव सैजल 2007 से जीतते आ रहे हैं। 2017 में नालागढ़ में कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा ने भाजपा के केएल ठाकुर को 1242, दून में भाजपा के परमजीत सिंह ने कांग्रेस के राम कुमार को 4319 मतों से शिकस्त दी थी।
सोलन जिला में कसौली सीट पर भाजपा 2007, सोलन सीट पर कांग्रेस 2012 से जीतती आ रही है। दून में पांच पांच साल वाला क्रम जारी है। अर्की में 2007 व 2012 में जीतती आ रही भाजपा का क्रम 2017 में वीरभद्र सिंह की जीत से टूटा था।
अजय महाजन की “आइडिया 10 लाख का” मुहिम से जुड़े यह बॉलीवुड कलाकार
नालागढ़ विधानसभा सीट पर 2003, 2007, 2012 में जीतती आ रही भाजपा को 2017 में कांग्रेस की जीत से सत्ता से बाहर होना पड़ा। इस बार कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इसलिए आगामी चुनाव रोचक रहने वाले हैं।
1998 में कांग्रेस ने चार व भाजपा ने एक, 2003 में कांग्रेस ने तीन, भाजपा ने दो, 2012 में भाजपा ने तीन, कांग्रेस ने दो और 2017 में कांग्रेस ने तीन और भाजपा ने दो सीट पर जीत दर्ज की थी।