किसानों ने सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की उठाई मांग
शिमला। हिमाचल प्रदेश की 80 प्रतिशत की आबादी गांव में बसती है और कृषि व बागवानी से जुड़ी हुई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार 17 मार्च को अपना पहला बजट पेश करने जा रही है। जिसको लेकर हिमाचल के किसानों व बागवानों को काफी उम्मीदें बंधी है।
बागवानों की मुख्य मांग बागवानी संबंधी उपकरणों की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने और प्रदेश में सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की है। बता दें कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों द्वारा अपने उत्पादों स्वयं दामों के निर्धारित करने का चुनावी वादा किया है। ऐसे में सुक्खू सरकार क्या पहले बजट में इस दिशा में करती है ये देखने वाला होगा। अभी तक किसानों के उत्पाद के दाम खरीददार और आढ़ती ही तय करते हैं। औने-पौने दाम में फल सब्जियां और अन्य उत्पाद खरीद कइ गुणा दाम पर बेचते हैं।
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वहीं, शिमला के लोगों को भी शहर के लोगों को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। लोगों का कहना है कि महंगाई चरम पर है सरकार को बजट में राहत देनी चाहिए। स्टेट की ओर से लगाया जाने वाला टैक्स व अन्य कर में राहत दी जानी चाहिए। लोगों का ये भी कहना है कि बिजली की दरों को बढ़ाने के बजाए सरकार को 300 यूनिट बिजली देनी चाहिए।
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बागवानों का कहना है कि उन्होंने काफी समय तक अपनी मांगों को लेकर संघर्ष किया। उन्हें उम्मीद है कि बजट में कीटनाशक दवाइयों व पर मिलने वाली सब्सिडी बढ़ाई जाएगी। बागवानों की आय से अधिक लागत आ रही है सरकार को बागवानों की मांगों को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए।