शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। किंवदंतियों के अनुसार जिस समय सृष्टि में अंधकार था तब मां दुर्गा ने इस स्वरूप में ब्रह्मांड की रचना की थी। यही कारण है कि इन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। देवी कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और यह सिंह की सवारी करती है। सभी भुजाओं में चक्र, गदा, धनुष, कमंडल, धनुष बाण और कमल स्थापित है। देवी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र है-
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।