सुलह रेलवे स्टेशन के समीप बड़ा हादसा होते-होते टला
बैजनाथ। कोरोना काल में आराम फरमाने के बाद लंबे अर्से बाद रेलगाड़ी पटरी पर लौटी, लेकिन ठीक तरह से बैलेंस नहीं बना पाई। पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलमार्ग पर सुलह रेलवे स्टेशन के समीप देर शाम करीब 4.30 बजे इंजन की बोगी के 4 पहिए पटरी से उतर गए। हालांकि हादसा बड़ा हो सकता था लेकिन होते-होते टल गया। इस हादसे के बाद कई घंटों तक रेलगाड़ी में सवार सवारियों की जान हलक में फंसी रही।
घटना की सूचना मिलते ही पठानकोट-जोगिंद्रनगर डिवीजन के कई बड़े अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए। इसके बाद बैजनाथ-पपरोला से एक अन्य इंजन व लेबर को लाकर साढ़े चार घंटे तक कड़ी मशक़्क़त के बाद इंजन के पहियों को हाईड्रोलिक जैक से उठाकर पटरी पर वापिस रखा जा सका। इसके बाद करीब सवा नौ बजे रेलगाड़ी बैजनाथ-पपरोला की ओर रवाना हुई,लेकिन तब तक अधिकतर रेल में सवार लोग अपने गंतव्यों की ओर जा चुके थे।
गौरतलब है कि लंबे अर्से के बाद पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलमार्ग पर रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू हुआ है और आम लोगों को भी रेलगाड़ियों के चलने से लाभ हुआ है लेकिन इस तरह के हादसों से लोगों के मन में डर भी बैठ गया है। इससे पहले भी परौर पुल पर इंजन ख़राब होने से सवारियां घंटों पुल पर फंस गई थीं।
बता दें कि रेलवे विभाग फिरोजपुर के डीआरएम ने कांगड़ा घाटी के दौरे दोरान पटरियों के सुधारीकरण को लेकर व पटरी पर रोड़ी बिछाने पर बल दिया था। इसके साथ ही रेलघाटी में रेलों को यातायात को बढ़ावा देने को लेकर नए रेल इंजन भी दिए गए थे। इस घटना के घटने के बाद रेलवे विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। कोरोना काल में रेलगाड़ियों का परिचालन बंद होने के चलते पटरियों का रखरखाव करने में कोताही होने के चलते क्या इस प्रकार के हादसे हो रहे , ये सवाल भी लोगों के जहन में उठा रहा।
इस हादसे के बाद रेलवे विभाग पालमपुर से एडीएन ने बताया कि हादसे की जांच जारी कर दी गई है व जांच पूरी होने के बाद ही पता चल सकेगा कि हादसा कैसे हुआ। उन्होंने बताया कि चालक की सूझबूझ से आज एक बड़ा हादसा होने से बाल बाल टल गया। वहीं नए रेल इंजन होने के बावजूद पुराने रेल इंजनों को पटरी पर दौड़ाए जाने को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने बताया कि नए रेल इंजन ट्रायल के तोर पर ही इस ट्रैक पर चलाए जाते हैं।