नदी और नालों में ना जाने की हिदायत
धर्मशाला। हिमाचल के कांगड़ा जिला में आज बारिश ने कहर बरपाया है। कई जगहों पर बादल फटने जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे रजोल के पास पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण बंद हो गया है। कांगड़ा जाने के लिए बसें विकल्पिक मार्ग का प्रयोग कर रही हैं। दूसरी तरफ नगरोटा बगवां पुलिस स्टेशन के तहत गांव चाहड़ी में एक 8 साल की बच्ची नाले के पानी के तेज बहाव में बह गई है। यह हादसा घर के पास ही हुआ है। सूचना मिलने पर प्रशासन , पुलिस बल तथा फायर ब्रिगेड की टीमों ने मौके पर पहुंच सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
हिमाचल प्रदेश के अप्पर धर्मशाला स्थित भागसूनाग में बादल फटने के बाद आए तेज पानी से मची तबाही के बाद जिला प्रशासन ने आमजन को कहा है कि वह नदी नालों तथा खड्डों के नजदीक जाने से परहेज करें। इसी बीच जिला प्रशासन ने कुछ जगहों पर ज्यादा पानी आने पर लोगों को दूसरी जगहों पर विस्थापित भी किया है। डीसी कांगड़ा डाॅ. निपुण जिंदल ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि राहत तथा पुनर्वास के कार्यों को त्वरित प्रभाव से पूरा किया जाए और किसी भी स्तर पर कोताही नहीं बरतें ताकि प्रभावित लोगों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं झेलनी पड़े। डाॅ. जिंदल ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए जिला तथा उपमंडल स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। मानसून सीजन में यह कंट्रोल रूम 24 घंटे खुले रहेंगे, ताकि आपदा से त्वरित प्रभाव से निपटा जा सके। आपदा की स्थिति में जिला मुख्यालय कंट्रोल रूम से टोल फ्री नंबर 1077 पर संपर्क कर सकते हैं। आपदा से निपटने के लिए आवश्यक उपकरण भी उपमंडल स्तर पर उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके साथ ही होमगार्ड तथा वालंटियर्स की टीमें भी गठित की गई हैं जो कि आपदा के दौरान त्वरित प्रभाव से कार्य करेंगी।
सभी विभागों को मानसून सीजन के दौरान आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि आपदा प्रबंधन का कार्य सुचारू रूप से सके। डाॅ. जिंदल ने कहा कि मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी नियमित तौर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए भी उपयुक्त कदम उठाए गए हैं,.ताकि आम जनमानस पहले से ही मौसम को लेकर पहले से अलर्ट रहें। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभागए आईपीएच तथा विद्युत विभाग को आपदा प्रबंधन की दृष्टि से जेसीबी मशीनें और आवश्यक उपकरण भी पहले से तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। आपदा प्रबंधन के लिए सड़कों में पानी की निकासी इत्यादि की भी उचित व्यवस्था करनेए शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में में नालों तथा गंदे पानी की निकासी के लिए निर्मित नालियों की भी उचित सफाई की जाए, ताकि पानी का प्रवाह सुचारू रूप से चलता रहे।