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BBC डॉक्यूमेंट्री पर ‘बैन’ के खिलाफ आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

प्रतिबंध के बावजूद कई जगहों पर हुई थी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच में होगी। आपको बत्ता दें कि डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है। एक याचिका वरिष्ठ पत्रकार एनराम, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर और अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर विचार करेगी।

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20 जनवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने यूटयूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था। शर्मा की याचिका में आईटी अधिनियम के तहत 21 जनवरी के आदेश को अवैध, दुर्भावनापूर्ण और मनमाना, असंवैधानिक और भारत के संविधान के अधिकारातीत और अमान्य होने के कारण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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प्रतिबंध के बावजूद की गई स्क्रीनिंग…

डॉक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन कांग्रेस समेत कई दूसरे दलों और उससे जुड़े संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री को सार्वजनिक स्थानों पर चलाकर दिखाया था। जेएनयू, डीयू, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों में इसकी स्क्रीनिंग को लेकर तनाव का माहौल बना जब बीजेपी समर्थित संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध किया।

शर्मा की याचिका में तर्क दिया गया है कि BBC डॉक्यूमेंट्री ने 2002 के दंगों के पीड़ितों के साथ-साथ दंगों के परिदृश्य में शामिल अन्य संबंधित व्यक्तियों की मूल रिकॉर्डिंग के साथ वास्तविक तथ्यों को दर्शाया है और इसे न्यायिक न्याय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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क्या है डॉक्यूमेंट्री पर विवाद

बीबीसी ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही यह विवादों में घिर गई थी। इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है. वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है।डॉक्यूमेंट्री की रिलीज के साथ ही केंद्र सरकार ने इसे शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्विटर लिंक को ब्लॉक करने का आदेश दिया था। यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को हटाने के सरकार के फैसले की विपक्षी पार्टी की तरफ से जमकर विरोध किया गया और इसे सेंसरशिप कहा गया।

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