लोगों का कहना, आम जनता पर पड़ेगा बोझ
शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला में पीने का पानी को लेकर घमासान मचा हुआ है। राजधानी में पीने का पानी महंगा हो गया है। पेयजल कंपनी के पानी की दरें दस फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। ऐसे में अब हर महीने लोगों को पहले से ज्यादा पानी का बिल चुकाना पड़ेगा।
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अधिसूचना के अनुसार बढ़ी हुई नई दरें 24 जनवरी से लागू मानी जाएंगी। फरवरी से ही लोगों को नई दरों पर पानी के बिल जारी किए जाएंगे। शिमला शहर में 35 हजार के करीब पेयजल उपभोक्ता हैं, जिन पर इसका सीधा बोझ पड़ने वाला है। पानी की दरें बढ़ाने से शहर के लोगों में काफी रोष है। शहरवासियों का कहना है कि आम जनता पर महंगाई का बोझ पड़ेगा। पहले ही हर चीज महंगी है, ऐसे में पानी की दरों में दस प्रतिशत इजाफा गलत है। सरकार को पहले शिमला में 24 घंटे पानी की व्यवस्था करनी चाहिए, उसके बाद ही दरों को बढ़ाना चाहिए।
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सीपीआईएम ने पानी की दरों में वृद्धि को गैरजरूरी बताया है। सीपीआईएम नेता विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह सरकार व जल प्रबंधन की मनमानी है। हर वर्ष दरों में 10% वृद्धि करना तर्कसंगत नहीं है इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। सीपीआईएम इसका विरोध करती है और अगर बढ़ी हुई दरें वापस नहीं ली गई तो जल्द ही इस को लेकर एक आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
सतलुज जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) के महाप्रबंधक अनिल मेहता ने बताया कि एसजेपीएनएल द्वारा वर्ष 2018 से हर वर्ष पेयजल दरों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होना निर्धारित है, जिसके चलते राजधानी शिमला व आसपास के क्षेत्रों में 24 जनवरी से यह बढ़ी हुई दरें लागू कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू व व्यवसायिक दोनों तरह के उपभोक्ताओं के लिए 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, जबकि अन्य किसी भी प्रकार के मीटर रेंट या नए कनेक्शन जैसे सेवाओं का शुल्क नहीं बदला गया है।
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बता दें कि करीब 25 हजार घरेलू जबकि 10 हजार व्यावसायिक उपभोक्ताओं पर इसका असर पड़ेगा। दस हजार घरेलू उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनका मासिक बिल अभी 200 रुपये से भी कम आ रहा है। इन पर बढ़ी दरों पर कम असर पड़ेगा। नई दरों के बाद इनका बिल बढ़कर 220 तक पहुंच जाएगा। बढ़ी हुई पेयजल दरों का ज्यादा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिनकी पानी की खपत ज्यादा है।